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क्लस्टर बम बैन करने वाली संधि से निकला लिथुएनिया

दुनिया में उदार और मानवीय संधियां टूटती दिख रही हैं। गुरुवार को लिथुएनिया क्लस्टर बम प्रतिबंध संधि से बाहर निकलने वाला पहला ईयू देश बना।

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DW

, शुक्रवार, 7 मार्च 2025 (08:39 IST)
लिथुएनिया की संसद क्लस्टर बमों के इस्तेमाल को प्रतिबंधित करने वाली संधि से बाहर निकलने का फैसला, जुलाई 2024 में ही कर चुकी थी। इस प्रक्रिया के तहत देश को यूएन में एक्जिट डॉक्यूमेंट जमा करना पड़ता है, जिसके छह महीने बाद ही संधि से बाहर निकलने का फैसला प्रभावी होता है। गुरुवार को यह प्रक्रिया पूरी हो गई। इसके साथ ही लिथुएनिया, क्लस्टर बमों पर प्रतिबंध लगाने वाली अंतरराष्ट्रीय संधि से बाहर निकलने वाला यूरोपीय संघ का पहला देश बन गया। इस फैसले के प्रभावी होने के बाद लिथुएनिया के रक्षा मंत्री अमेरिका की यात्रा पर जाने वाले हैं।
 
क्यों सहमा है लिथुएनिया
यूरोपीय संघ और नाटो के सदस्य देश लिथुएनिया की पूर्वी व दक्षिणी सीमा बेलारूस से सटी है। 28 लाख की छोटी सी आबादी वाले लिथुएनिया को लगता है कि इसी सीमा से खतरा भीतर घुस सकता है। लिथुएनिया को डर है कि रूस अगर यूक्रेन में सफल हुआ तो व्लादिमीर पुतिन का अगला निशाना वह बन सकता है।
 
सोवियत संघ के आधिकारिक विघटन से एक साल पहले, मार्च 1990 में लिथुएनिया सोवियत छाता से आजाद होने वाला पहला देश बना। लिथुएनिया की आजादी ने बाकी देशों को भी सोवियत संघ से आजाद होने के लिए प्रेरित किया। बीते कई साल से रूस की सत्ता संभाल रहे राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, उस वक्त रूसी खुफिया एजेंसी केजीबी के एजेंट हुआ करते थे। पुतिन मानते हैं कि सोवियत संघ का विघटन एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना थी। उनके दिल में आज भी इसकी कसक दिखती है।
 
सोवियत संघ से बाहर निकलने वाले देशों में से एक लिथुएनिया आज एक बेहद सफल देश के रूप में गिना जाता है। बेहद कम जनसंख्या के बावजूद इसकी गिनती विकसित और उच्च आय वाले देशों में होती हैं।
 
रूस और यूक्रेन ने इस संधि पर कभी हस्ताक्षर नहीं किए। दोनों पिछले तीन साल से जारी जंग में क्लस्टर बमों का इस्तेमाल भी कर रहे हैं। लिथुएनिया के उपरक्षा मंत्री कारोलिस अलेक्सा ने समाचार एजेंसी एएफपी से बातचीत में कहा, "सामान्य युद्ध में रूस हर तरह के हथकंडों का इस्तेमाल कर रहा है, और इससे पता चलता है कि हमें प्रभावी प्रतिरोध और रक्षा प्रणाली को पक्का करना होगा।"
 
क्या है क्लस्टर बमों पर प्रतिबंध लगाने वाली संधि
क्लस्टर बमों के इस्तेमाल को बैन करने के लिए अंतरराष्ट्रीय संधि 2008 में नॉर्वे की राजधानी ओस्लो में हुई। 2010 से यह प्रभावी हुई। संधि, क्लस्टर गोला-बारूद के इस्तेमाल, निर्माण, भंडारण और ट्रांसफर पर प्रतिबंध लगाती है। इस संधि के तहत सदस्य देशों को 10 साल के भीतर अपने इलाके से क्लस्टर गोला-बारूद हटाना होगा। संधि यह भी कहती है सदस्य देश 8 साल के भीतर अपने क्लस्टर गोला बारूद को नष्ट करेंगे।
 
क्लस्टर बमों पर प्रतिबंध लगाने वाली संधि में 112 देश शामिल हैं। 12 अन्य देशों ने भी इस संधि पर दस्तखत कर क्लस्टर गोला बारूद इस्तेमाल न करने का वचन दिया है। क्लस्टर बम विमानों या तोपों से दागे जा सकते हैं। ऐसे बम हवा में ही फटते हैं और इनसे निकलने वाले बमछर्रे बड़े इलाके में चोट कर नुकसान पहुंचाते हैं। अगर किसी वजह से क्लस्टर बम न फटे तो भी यह जमीन या पानी में लंबे समय तक जिंदा रहता है। इस तरह इन बमों के कभी भी फटने का खतरा बना रहता है।
 
क्लस्टर बमों पर प्रतिबंध
लिथुएनिया के उपरक्षा मंत्री के मुताबिक, क्लस्टर गोला बारूद, "आपके पास हों और आप जानते हों कि इन्हें कैसे इस्तेमाल करें तो ये सबसे असरदार प्रतिरोधी और सुरक्षा उपाय हैं।"
 
मानवाधिकार संगठन, एमनेस्टी इंटरनेशनल और ह्यूमन राइट्स वॉच ने लिथुएनिया के फैसले की आलोचना की है। दोनों संगठनों का कहना है कि इस फैसले से आम नागरिकों की जान जोखिम में पड़ेगी।
 
लिथुएनिया की सरकार एंटी पर्सनल लैंडमाइन (बारूदी सुंरगों) पर प्रतिबंध लगाने वाली संधि से भी बाहर निकलने पर विचार कर रही है। देश की सेना और रक्षा मंत्रालय ने लैंडमाइन संधि से बाहर होने का समर्थन किया है। फिलहाल मामला सरकार के सामने है और वह इस पर विचार कर रही है। एंटी पर्सनल लैंडमाइन संधि से बाहर निकलने पर फिनलैंड में भी विचार चल रहा है। 1997 एंटी पर्सनल लैंडमाइन्स कंवेंशन में फिलहाल 164 देश शामिल हैं। ओएसजे/सीके (एएफपी)
edited by : Nrapendra Gupta

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