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रोबोट की आंखों में देखने से इंसानी दिमाग पर असर

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DW

, सोमवार, 13 सितम्बर 2021 (08:30 IST)
रिपोर्ट: वीके/सीके (रॉयटर्स)
 
इटली के वैज्ञानिकों ने पता लगाया है कि रोबोट की आंखों में देखने से इंसान के दिमाग पर असर होता है। ऐसा करने से इंसानों की निर्णय क्षमता प्रभावित होती है। इस बारे में वैज्ञानिक काफी पहले से जानते हैं कि रोबोट की आंखों में झांकना परेशान करने वाला अनुभव हो सकता है। इस अहसास को अंग्रेजी में 'अनकैनी वैली' के नाम से जाना जाता है। लेकिन इटली के कुछ शोधकर्ताओं ने पता लगाया है कि यह सिर्फ एक अहसास नहीं है बल्कि इसका असर गहरा होता है।
 
जिनोआ में स्थित इटैलियानो डि टेक्नोलोगिया (IIT) इंस्टीट्यूट की एक टीम ने रिसर्च में दिखाया है कि कैसे रोबोट की आंखों में झांकने से हमारे फैसले प्रभावित हो सकते हैं। साइंस रोबॉट्स नामक पत्रिका में प्रकाशित रिसर्च की मुख्य लेखिका प्रोफेसर एग्निस्चिका वाइकोवस्का कहती हैं कि आंखों में झांकना एक बहुत महत्वपूर्ण सामाजिक संकेत है जिसे हम रोजमर्रा की जिंदगी में लोगों से संवाद करते हुए प्रयोग करते हैं। सवाल यह है कि रोबोट की आंखों में झांकने से भी क्या मानव मस्तिष्क में वैसी ही प्रतिक्रिया होती है, जैसी एक इंसान की आंखों में झांकने से होगी।
 
कैसे हुआ शोध
 
अपनी रिसर्च के लिए इटली की इस टीम ने 40 लोगों को 'चिकन' नाम की वीडियो गेम खेलने को कहा। हर खिलाड़ी को यह फैसला करना था कि कार को सामने वाली कार से भिड़ जाने दे या टक्कर टालने के लिए रास्ता बदल ले। सामने वाली कार में ड्राइवर के रूप में एक रोबोट बैठा था।
 
खेलते वक्त खिलाड़ियों को रोबोट की ओर देखना था, जो कई बार उनकी आंखों में झांकता था तो कई बार दूसरी तरफ देखता। हर बार के लिए शोधकर्ताओं ने आंकड़े जमा किए और इलेक्ट्रोएंसफालोग्रैफी (EEG) के जरिए मस्तिष्क में हो रही प्रतिक्रियाओं को रिकॉर्ड किया।
 
प्रोफेसर वाइकोवस्का बताती हैं कि हमारे नतीजे दिखाते हैं कि मानव मस्तिष्क रोबोट के आंखों में झांकने को भी एक सामाजिक संकेत के रूप में ग्रहण करता है और इस संकेत का हमारे फैसलों, गेम की हमारी रणनीतियों और हमारी प्रतिक्रियाओं पर असर होता है।
 
क्या रहा असर
 
शोध कहता है कि रोबोट से आंखें मिलाने का असर यह हुआ कि फैसलों में देरी हो गई जिस कारण खेल के दौरान खिलाड़ी बहुत धीमे फैसले ले रहे थे।
 
इन नतीजों का असर भविष्य में रोबॉट्स के इस्तेमाल पर भी हो सकता है। प्रोफेसर वाइकोवस्की कहती हैं कि जब हम यह समझ जाते हैं कि रोबोट सामाजिक अनुकूलन को प्रभावित करते हैं तो हम ये फैसले कर सकते हैं कि किस संदर्भ में उनका होना इंसान के लिए लाभदायक हो सकता है और किस संदर्भ में नहीं।
 
इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ रोबोटिक्स के मुताबिक 2018 से 2019 के बीच प्रोफेशनल सर्विस देने वाले रोबोट की बिक्री में 32 प्रतिशत की बढ़त हुई थी और यह 11 अरब डॉलर को पार कर गई थी।

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