Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

मलेशिया में लेस्बियन महिलाओं को पड़े कोड़े

हमें फॉलो करें मलेशिया में लेस्बियन महिलाओं को पड़े कोड़े
, बुधवार, 5 सितम्बर 2018 (12:04 IST)
मलेशिया में यौन संबंध बनाने की कोशिश करने वाली दो महिलाओं को कोड़ों की सजा दी गई। शरिया कोर्ट की ओर से सुनाई गई इस सजा का मानवाधिकार संगठन विरोध कर रहे हैं और कानून की समीक्षा की मांग उठा रहे हैं।
 
 
मुस्लिम बहुल देश मलेशिया में समलैंगिकों को आए दिन मुसीबतों का सामना करना पड़ता है। पिछले दिनों वहां की शरिया अदालत ने दो महिलाओं को शारीरिक संबंध बनाने की कोशिश करने का दोषी पाया। अदालत ने 32 व 22 वर्षीय इन महिलाओं को कानून के मुताबिक जनता के सामने बेंतों से मारने की सजा सुनाई। तीन सितंबर को इन महिलाओं को लगभग सौ लोगों के सामने छह बार बेतें मारी गईं।
 
 
स्थानीय अखबार 'द न्यू स्ट्रेट्स टाइम्स' के मुताबिक, इस सजा को त्रिंगानु राज्य की शरिया हाई कोर्ट के बाहर अंजाम दिया गया। राज्य के एक्जीक्यूटिव काउंसिल के सदस्य सातीफुल बाहरी मामत ने बताया कि राज्य में पहली बार किसी समलैंगिक जोड़े को इस तरह सजा मिली है। उनके मुताबिक, ''शरिया की आपराधिक प्रक्रिया कोर्ट को इजाजत देती है कि वह सजा दे और इसे बाकि मुसलमान जरूर देखें।'' हालांकि सातिफुल जोड़ते हैं कि बेंत से मारने की सजा में प्रताड़ना या जख्म देने का मकसद नहीं था। वह कहते हैं, ''जनता के सामने सजा देने का मकसद लोगों को सबक सिखाना है।'' 
 
 
मलेशिया में न्याय प्रणाली की दोहरी व्यवस्था है। मुसलमानों से संबंधित मामलों की सुनवाई इस्लामिक अदालतों में होती है, जबकि अन्य विवादों के निपटारे के लिए सिविल अदालतें हैं। महिलाओं को बेंत से मारना सिविल अदालत में प्रतिबंधित है, लेकिन कुछ राज्यों में इस्लामिक कानून के दायरे में इजाजत मिली है।
 
 
मानवाधिकार संगठनों का विरोध
लेस्बियन जोड़े को मिली सजा से मानवाधिकार संगठनों ने कड़ी आपत्ति जताई है। मानवाधिकार संगठन एमनेस्टी इंटरनेशनल ने इसे भयानक दिन कहा है। समूह की मलेशियाई रिसर्चर रशेल छोआ-हावर्ड के मुताबिक, ''सहमति से संबंध बनाने वाले दो लोगों पर ऐसी क्रूर सजा को थोपना सरकार द्वारा मानवाधिकारों को बेहतर करने की कोशिशों पर बड़ा झटका है।''
 
 
मलेशिया में महिलाओं के समूह 'जस्टिस फॉर सिस्टर्स ऐंड सिस्टर्स इन इस्लाम' ने कानून की समीक्षा की मांग की है जिसमें महिलाओं को बेंत से मारने की इजाजत दी जाती है। समूह का कहना है, "जो सजा दी गई है, वह न्याय की हत्या है।''
 
 
हाल के दिनों में मलेशिया में समलैंगिक समुदाय को लेकर असहनशीलता बढ़ रही है। कुछ हफ्तों पहले ही दो एलजीबीटी कार्यकर्ताओं की तस्वीरों को प्रदर्शनी से हटा दिया था। धार्मिक मामलों के मंत्री मुजाहिद युसुफ रवा ने इस पर कहा था कि सरकार एलजीबीटी संस्कृति को बढ़ावा नहीं देती है। वहीं, अगस्त में एक ट्रांसजेंडर महिला को एक समूह ने पीट डाला था। सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस घटना को गे और ट्रांसजेंडर समुदाय के प्रति बढ़ रही नफरत का एक नमूना कहा था। 
 
 
वीसी/आईबी (रॉयटर्स, डीपीए)
 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

क्या गूगल आपको बेवकूफ बना रहा है?