Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

चीन और ऑस्ट्रेलिया के बीच समुद्री अधिकारों को लेकर झड़प

हमें फॉलो करें चीन और ऑस्ट्रेलिया के बीच समुद्री अधिकारों को लेकर झड़प

DW

, मंगलवार, 22 फ़रवरी 2022 (19:12 IST)
ऑस्ट्रेलिया के तट के पास ही चीनी नौसेना के एक जहाज द्वारा ऑस्ट्रेलिया के एक विमान पर लेजर तान देने से विवाद खड़ा हो गया है। चीन ने विमान की गतिविधियों को उकसाने वाले बताया है, ऑस्ट्रेलिया ने लेजर ताने जाने की निंदा की है।
 
ऑस्ट्रेलिया के रक्षा विभाग के मुताबिक पिछले गुरूवार को चीनी नौसेना का गाइडेड मिसाइल विध्वंसक और एक उभयचरी ट्रांसपोर्ट डॉक न्यू गिनी और ऑस्ट्रेलिया के बीच अरफुरा सागर से हो कर गुजर रहा था और बाद में वो तंग टोर्रेस स्ट्रेट से हो कर गुजरा।
 
चीन ने कहा कि यह अंतरराष्ट्रीय समुद्री इलाका है और चीनी जहाजों को वहां जाने का कानूनी हक है। इस दावे को ऑस्ट्रेलिया ने नकारा नहीं है लेकिन साथ ही यह कहा है कि वो इलाका उसका आर्थिक क्षेत्र है और इस लिहाज से वहां की गतिविधियों पर नजर रखने का उसे हक है।
 
किसने की शुरुआत
 
ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने कहा कि सर्विलांस विमान अपना काम कर रहा था और चीनी जहाज की वजह से वो खतरे में आ गया था। बीजिंग का कहना है कि विमान नौसेना के जहाज के बहुत करीब आ गया था। पी-8ए पोजाइडन नाम के इस समुद्री गश्ती विमान ने पाया कि चीनी जहाज से निकल रही एक लेजर उस पर तनी हुई थी। ऑस्ट्रेलिया ने उसके उत्तरी तट के करीब स्थित 2 चीनी जहाजों की तस्वीरें भी जारी कीं।
 
ऑस्ट्रेलिया के रक्षा विभाग ने कहा कि लेजर का पता लगने के बाद विमान ने सोनोबॉय नाम के उपकरण वहां गिरा दिए। यह पनडुब्बियों का पता लगाने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला एक सोनार उपकरण होता है। ऑस्ट्रेलिया ने कहा है कि ये जहाजों को किसी तरह का नुकसान नहीं पहुंचाते हैं।
 
मॉरिसन ने पत्रकारों से कहा कि हमारे सर्विलांस विमानों को हमारे विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र में काम करने का और वहां कौन क्या कर रहा है उस पर करीब से निगाह बनाए रखने का पूरा अधिकार है। इन विमानों को खतरे में डाला गया यह बहुत ही निराशाजनक है।
 
अंतरराष्ट्रीय कानून
 
चीन के रक्षा मंत्रालय ने सोमवार को कहा कि सोनोबॉय चीनी जहाजों के चार किलोमीटर पास आ गया था और यह उकसाने वाला और खतरनाक कदम था। ऑस्ट्रेलिया के मुताबिक विमान ने सुरक्षित तरीके से काम किया था और समुद्री निगरानी के लिए सोनोबॉय का इस्तेमाल आम है।
 
ऑस्ट्रेलिया के रक्षा मंत्रालय ने कहा कि सोनोबॉय का इस्तेमाल भी लेजर के ताने जाने के बाद किया गया था और तब भी उन्हें चीनी जहाजों से दूर ही पानी में गिराया गया था। उसने यह भी कहा कि लेजर ताने जाने के समय विमान जहाज से 7.7 किलोमीटर दूर था।
 
बाद में विमान जहाज के 3.9 किलोमीटर तक गया और ऑस्ट्रेलिया के मुताबिक यह किसी भी जहाज के दृष्टि संबंधी निरीक्षण के लिए सामान्य है। रक्षा मंत्रालय के बयान ने यह भी कहा कि ऑस्ट्रेलिया उसके समुद्री इलाकों में प्रवेश करने वाली सभी विदेशी जहाजों से अपेक्षा करता है कि वो अंतरराष्ट्रीय कानून और विशेष रूप से समुद्री मामलों पर संयुक्त राष्ट्र की संधि का पालन करे।
 
सीके/एए (रॉयटर्स)

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

कोरोना के बाद क्या यूक्रेन संकट वैश्विक अर्थव्यवस्था को लड़खड़ा देगा?