-पेरिस से अविनाश द्विवेदी
भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के फ्रांस दौरे पर स्थानीय अखबारों और न्यूज आउटलेट्स ने भारत की बढ़ती ताकत को माना लेकिन मोदी सरकार की नीतियों और भारत में प्रेस की आजादी पर सवाल भी खड़े किए। भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 2 दिन की फ्रांस यात्रा पूरी कर यूएई जा चुके हैं।
उनके 2 दिन के दौरे को लेकर फ्रांस में ज्यादातर अखबारों और न्यूज आउटलेट्स ने काफी सकारात्मक बातें कहीं। लेकिन कुछ मामलों में मोदी सरकार की नीतियों और फ्रेंच राष्ट्रपति के उन्हें राष्ट्रीय दिवस के मौके पर पेरिस आमंत्रित करने के फैसले पर सवाल भी उठाया गया है।
फ्रांस के ज्यादातर अखबारों और न्यूज वेबसाइट ने इस दौरे को दोनों देशों के बीच लंबे समय से चली आ रही साझेदारी के लिए अहम प्रगति बताया। दौरे के पहले दिन पेरिस में मोदी के भारतीय समुदाय से करिश्माई संवाद और दोनों देशों के प्रमुख नेताओं के बीच दिखी गर्मजोशी की भी तारीफ समाचारों में की गई। हालांकि अखबारों और वेबसाइट्स ने मोदी सरकार की भारतीय मुस्लिमों के प्रति नीतियों और भारत में प्रेस की आजादी को लेकर सवाल भी उठाए।
भारत को नजरअंदाज करना नामुमकिन
साप्ताहिक मैग्जीन ले पोआं ने अपनी वेबसाइट पर लिखा, भारत एक ही समय पर दुनिया की सबसे बड़ी जनशक्ति वाला देश, आर्थिक दिग्गज, ग्रीनहाउस गैसों का बड़ा उत्सर्जक और परमाणु शक्ति- सब कुछ है। भारत को नजरअंदाज करना नामुमकिन है और यह ज्यादा से ज्यादा अहम होता जा रहा है। फ्रांस के ज्यादातर न्यूज आउटलेट्स ने दोनों देशों के बीच रक्षा, कारोबार, सेना, रणनीति, शिक्षा, हिंद-प्रशांत और ऊर्जा के मामले में चल रहे संवाद के सिलसिले में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दौरे को अहम बताया।
फ्रांस के प्रतिष्ठित अखबार ले फिगारो ने प्रधानमंत्री मोदी के फ्रांस दौरे को सांकेतिक दौरे से कहीं ज्यादा बताया। मोदी ने फ्रेंच अखबार लेज एको को इंटरव्यू भी दिया। अखबार से उन्होंने कहा कि वे फ्रांस को भारत के सबसे अहम वैश्विक साझेदारों में से एक मानते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि दोनों देशों की रणनीतिक स्वतंत्रता की एक जैसी इच्छा है। 'अंतरराष्ट्रीय कानूनों के पालन के लिए हम पूरी तरह समर्पित हैं और चाहते हैं कि दुनिया बहुध्रुवीय हो।' मोदी की इन बातों को फ्रांस के सभी बड़े अखबारों ने छापा है।
प्रेस कॉन्फ्रेंस न करने पर उठे सवाल
हालांकि दौरे और भारतीय प्रधानमंत्री मोदी की घरेलू नीतियों को लेकर कई अखबारों और न्यूज मीडिया में सवाल भी उठे। फ्रांस के अंतरराष्ट्रीय न्यूज चैनल फ्रांस 24 ने अपने एक कार्यक्रम रियालपोलिटिक में पूछा कि फ्रांस नरेन्द्र मोदी का इतना भव्य स्वागत क्यों कर रहा है जबकि उन पर गैर लोकतांत्रिक ज्यादतियों के आरोप लगते रहे हैं। कार्यक्रम में यह भी कहा गया कि फ्रेंच राष्ट्रपति इमानुएल मैक्रों रणनीति के मामले में भारत को चीन से अलग रखने की आशा कर रहे हैं।
एक अन्य प्रतिष्ठित फ्रेंच अखबार ले मोंद ने प्रधानमंत्री मोदी के फ्रांस दौरे के दौरान प्रेस कॉन्फ्रेंस को मुद्दा बनाया। अखबार ने लिखा कि प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान मौजूद रहे थोड़े से पत्रकारों को कोई भी सवाल पूछने का मौका नहीं दिया गया जबकि मोदी के अमेरिका दौरे के दौरान व्हाइट हाउस में पत्रकारों को इसका मौका मिला था। इसका जिक्र करते हुए अखबार ने अमेरिकी वॉल स्ट्रीट जर्नल की पत्रकार सबरीना सिद्दिकी को ऑनलाइन निशाना बनाए जाने का जिक्र भी किया।
यूएई में एजेंडे में रणनीति, ऊर्जा और खाद्य सुरक्षा
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी शुक्रवार को अपना फ्रांस दौरा खत्म कर अब यूएई जा चुके हैं। जहां यूएई के क्राउन प्रिंस शेख खालिद बिन मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान ने एयरपोर्ट पर उनका स्वागत किया। मोदी के स्वागत में दुबई के बुर्ज खलीफा को भी भारतीय राष्ट्रीय ध्वज के रंग में रंग दिया गया।
यूएई में मोदी एक दिन रुके। मोदी ने यूएई के राष्ट्रपति शेख मोहम्मद बिन जायद अल नहयान से मुलाकात कर ली है। यहां भी मोदी के एजेंडे में रणनीतिक साझेदारी सबसे अहम होगी। इसके अलावा ऊर्जा, खाद्य सुरक्षा और रक्षा के मुद्दे पर भी दोनों देश समझौते कर सकते हैं।