Dharma Sangrah

Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

कैसा है महाबलीपुरम, जहां मिल रहे हैं मोदी और शी जिनपिंग

Advertiesment
हमें फॉलो करें Narendra Modi

WD

, शनिवार, 12 अक्टूबर 2019 (11:34 IST)
तमिलनाडु में समुद्र के किनारे बसे इस शहर को 7वीं शताब्दी में पल्लव शासकों ने बसाया था और यह शहर खासतौर पर प्राचीन मंदिरों के लिए जाना जाता है। मोदी और शी जिनपिंग इन मंदिरों और गुफाओं को देखने गए।
 
भारत की 2 दिवसीय यात्रा पर आए चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से तमिलनाडु के शहर मामल्लपुरम यानी महाबलीपुरम में मुलाकात की। दोनों नेताओं की यह मुलाकात अनौपचारिक है इसलिए बातचीत का एजेंडा पहले से तय नहीं है लेकिन मुलाकात के लिए इस शहर का चुनाव लोगों में कई तरह की जिज्ञासा प्रकट कर रहा है।
 
शी जिनपिंग और नरेन्द्र मोदी के बीच पिछले साल भी चीन के वुहान शहर में अनौपचारिक मुलाकात हुई थी। वुहान शी जिनपिंग का गृहराज्य है। उससे पहले नरेन्द्र मोदी ने शी जिनपिंग को गुजरात में आमंत्रित किया था और दोनों नेताओं की झूले पर बैठी तस्वीर काफी वायरल हुई थी।
 
जहां तक महाबलीपुरम में इस अनौपचारिक बैठक को आयोजित करने का सवाल है तो इस शहर की अपनी ऐतिहासिक खासियत के अलावा इसके राजनीतिक मायने भी निकाले जा रहे हैं। वरिष्ठ पत्रकार अरविंद कुमार सिंह कहते हैं, 'आज बीजेपी सत्ता की चरमावस्था में है। फिर भी वह तमिलनाडु और केरल जैसे दक्षिण भारतीय राज्यों में तमाम कोशिशों के बावजूद प्रवेश के लिए तरस रही है। महाबलीपुरम के सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व के अलावा तमिल अस्मिता का सवाल भी उससे जुड़ा है। चीन के राष्ट्रपति को महाबलीपुरम लाकर नरेन्द्र मोदी एक ओर चीन और भारत के प्राचीन राजनीतिक, सामरिक और व्यापारिक संबंधों को याद दिलाएंगे।'
webdunia
कुमार का कहना है कि मोदी तमिलनाडु के लोगों को यह भी बताने की कोशिश करेंगे कि राजनीतिक रूप से उनकी पैठ इस राज्य में भले ही न हो लेकिन व्यक्तिगत तौर पर वे यहां से कितना जुड़ाव रखते हैं।
 
तमिलनाडु में समुद्र के किनारे बसे इस शहर को 7वीं शताब्दी में पल्लव शासकों ने बसाया था और यह शहर खासतौर पर प्राचीन मंदिरों के लिए जाना जाता है। इस शहर को पल्लव शासक नरसिंह देववर्मन ने बसाया था और इसीलिए उनके नाम पर इस शहर का भी नाम मामल्लपुरम पड़ गया। नरसिंह देववर्मन की गणना दक्षिण भारत के प्रतापी राजाओं में की जाती है और उन्होंने 'महामल्ल' की उपाधि धारण की थी।
 
हालांकि पल्लव शासकों का इतिहास करीब 1700 साल पुराना है और उससे पहले भी इस क्षेत्र के लोगों का चीन के साथ व्यापारिक संबंध रहा है। यहां से चीन, फारस और रोम के प्राचीन सिक्के मिले हैं, जो इस बात का सबूत हैं कि यहां के बंदरगाहों के जरिए इन देशों के साथ व्यापार होता था।
 
दक्षिण भारत का इतिहास लिखने वाले प्रसिद्ध इतिहासविद के.ए. नीलकंठ शास्त्री अपनी पुस्तक 'हिस्ट्री ऑफ साउथ इंडिया' में लिखते हैं कि नरसिंह वर्मन प्रथम के समय में ही चीनी यात्री ह्वेनसांग भारत आया था और उसने कांची और महाबलीपुरम की समृद्धि का बेहद खूबसूरती से वर्णन किया है।
webdunia
चीन और भारत में एक जैसा क्या है?
 
दुनिया में जब भी आबादी का जिक्र होता है, इन दोनों का नाम सबसे पहले आता है। दोनों देशों में जनसंख्या विशाल है लेकिन चीन ने उसकी बेतहाशा व़ृद्धि को थाम लिया है। भारत में यह अब भी नियंत्रण से बाहर है।
 
महाबलीपुरम तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई से करीब 60 किलोमीटर दूर है और यह शहर यूनेस्को की ऐतिहासिक धरोहरों में शामिल है। यहां की गुफाओं और एकाश्मक मंदिरों की वजह से यह शहर पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र रहता है। नरेन्द्र मोदी और शी जिनपिंग इन मंदिरों और गुफाओं को देखने गए।
 
7वीं शताब्दी में यहां स्थापत्य कला की जिस शैली का विकास हुआ, उसे मामल्ल शैली कहते हैं। इसके तहत महाबलीपुरम में 2 तरह के स्मारक बने- मंडप और एकाश्मक मंदिर यानी एक ही पत्थर को काटकर बनाए गए मंदिर। इन मंदिरों को रथ भी कहा जाता है। इन रथ मंदिरों को द्रविड़ मंदिर शैली का अग्रदूत कहा जाता है। कुछ रथों का निर्माण चैत्यगृहों की तरह हुआ है जिस पर बौद्ध शैली का प्रभाव बताया जाता है। पत्थरों को काटकर कई छोटी-छोटी लोककथाओं को भी उकेरा गया है।
 
मामल्ल शैली के रथ अपनी मूर्तिकला के लिए भी प्रसिद्ध हैं। महाभारत की कथा के अनुसार पांडव कुल के तमाम सदस्यों के नाम पर बने इन रथों पर विभिन्न प्रकार के देवी-देवताओं की मूर्तियां बनी मिलती है। इन्हें द्रौपदी रथ, नकुल-सहदेव रथ, अर्जुन रथ, भीम रथ जैसे नाम दिए गए हैं। दिलचस्प बात यह है कि इन रथों में इनमें से किसी की भी कोई मूर्ति नहीं है। इन रथों को 'सप्त पैगोडा' भी कहा जाता है। इन्हीं में से एक धर्मराज रथ पर पल्लव शासक नरसिंह वर्मन की मूर्ति भी अंकित है।
 
नरसिंह वर्मन के बाद दूसरे शासकों ने भी महाबलीपुरम में स्थापत्य कला को आगे बढ़ाया और गुफा मंदिरों की बजाय ईंट, पत्थर की सहायता से इमारती मंदिरों का निर्माण कराया। इस शैली का सबसे उत्कृष्ट उदाहरण तटीय मंदिर है जिसका निर्माण पल्लव शासक नरसिंह वर्मन द्वितीय राजसिंह ने कराया था। 2004 में आई सुनामी ने तमिलनाडु के तटीय इलाकों को अपनी चपेट में ले लिया था और इन मंदिरों के भीतर भी समुद्र का पानी चला गया था लेकिन अपनी मजबूती की बदौलत इन मंदिरों को कोई नुकसान नहीं हुआ।
 
शी जिनपिंग और नरेन्द्र मोदी की मुलाकात के चलते शहर में सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त किए गए हैं। सभी प्रमुख सड़कों पर सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं, सैकड़ों अतिरिक्त पुलिसकर्मी तैनात किए गए हैं और पिछले एक हफ्ते से मछुआरों को भी मछली पकड़ने से मना कर दिया गया है।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

कामिनी राय कौन थीं जिन पर है गूगल का डूडल