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मच्छरदानी और मॉस्किटो कॉइल से नहीं, इस ट्यूब से मरेंगे मच्छर

हमें फॉलो करें मच्छरदानी और मॉस्किटो कॉइल से नहीं, इस ट्यूब से मरेंगे मच्छर
, सोमवार, 15 जुलाई 2019 (11:57 IST)
चाहे आप मच्छरों से बचने के लिए कोई भी तरीका आजमाएं, किसी ना किसी तरह मच्छर आप तक पहुंच ही जाते हैं। एक बार घर के अंदर आ जाने के बाद उनसे बचना काफी मुश्किल है। लेकिन यह तरकीब मच्छरों से छुटकारा दिला सकती है।
 
मच्छर सिर्फ खून चूस कर परेशान ही नहीं करते, बल्कि ये सेहत के लिए भी गंभीर खतरा पैदा करते हैं। नीदरलैंड्स के कीट विज्ञानी बार्ट क्नोल्स मच्छरों को काबू में लाने की कोशिश कर रहे हैं। वह बीते 22 सालों से मच्छरों पर शोध कर रहे हैं। हफ्ते में दो बार वह लैब में जा कर मच्छरों से अपना खून चुसवाते हैं। यह उनके प्रयोग का हिस्सा है।
 
क्नोल्स बताते हैं, "ये करोड़ों सालों से हमारे बीच हैं। क्रमिक विकास के लिहाज से देखें तो ये रोल्स रॉयस हैं। ये लोगों को खोजने में और बीमारियां फैलाने में माहिर हैं। हम इंसानों के लिए इन्हें नियंत्रित करना मुश्किल साबित हुआ है क्योंकि अगर हम कीटनाशक छिड़केंगे तो वे प्रतिरोधी क्षमता हासिल कर लेंगे। इसीलिए हमें इन मच्छरों को मारने का कोई नया और रचनात्मक तरीका खोजना पड़ रहा है।"
 
मच्छर रात में काटते हैं, वे खिड़कियों, झरोखों या अन्य खुली जगहों से इमारतों में घुसते हैं। तो फिर उन्हें रोका कैसे जाए? एक यूरोपीय रिसर्च प्रोजेक्ट ने अब इसका आसान तरीका खोजा है, जालीदार प्लास्टिक ट्यूब। जाली पर कीटनाशक की परत लगी होती है जिस पर मच्छर चिपक जाते हैं।
 
क्नोल्स बताते हैं, "झरोखे रहेंगे लेकिन उनके छेद में हम जालीदार ट्यूब लगाएंगे। जाली में कीटनाशक होगा, इंसान की गंध पाकर जैसे ही मच्छर एक निश्चित दायरे में आएंगे, जाली उन्हें फांसेगी और कीटनाशक मार डालेगा।" इस डिवाइस का परीक्षण तंजानिया में 1,300 से ज्यादा घरों में किया जा चुका है और नतीजे अच्छे रहे हैं। अब स्थानीय निर्माण कंपनियों के साथ काम किया जा रहा है ताकि एंटी मॉस्कीटो ट्यूब्स को नई इमारतों में लगाया जा सके।
 
सात महीनों तक चले प्रयोग में रिसर्चर गेज के संपर्क में आने वाले सभी 100 फीसदी मच्छरों को मारने में कामयाब रहे। इंस्टॉलेशन की शुरुआत खर्चीली है लेकिन बाद में अगर सिर्फ जाली बदलनी हो तो यह सस्ती है। एक साल में हर व्यक्ति के मुताबिक खर्चा महज एक से दो डॉलर आता है।
 
इसे और ज्यादा किफायती बनाने के लिए अलग अलग मैटीरियल और आकारों का टेस्ट किया जा रहा है। छत पर लगने वाली ट्यूब बच्चों की पहुंच से दूर रहती है, इसीलिए उस पर कई तरह के कीटनाशक लगाए जा सकते हैं। प्रयोगों के दौरान पता चला है कि अगर कीटों पर सही मात्रा में कीटनाशक चिपके तो वे प्रतिरोधी क्षमता विकसित नहीं कर पाते हैं।
 
बार्ट क्नोल्स कहते हैं, "अब हमारे पास अफ्रीका में मलेरिया को नियंत्रित करने के दो मुख्य तरीके हैं। एक है अंदर दीवारों पर कीटनाशकों का छिड़काव, जो साल में दो बार किया जाता है। मच्छरदानी का इस्तेमाल इसका दूसरा तरीका है, जालियां, इंडोर स्प्रे और ये ट्यूब।" इस तकनीक का इस्तेमाल कर एशिया और दक्षिण अमेरिका में भी लाखों जानें बचाई जा सकती हैं।
 
ओएसजे/आईबी

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