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वायु प्रदूषण का शिकार होते हैं दुनिया के 99 फीसदी लोग

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DW

, शनिवार, 15 फ़रवरी 2025 (08:23 IST)
वायु प्रदूषण दुनियाभर में समय से पहले होने वाली मौतों का दूसरा सबसे बड़ा कारण है इसकी वजह से हर साल 70 लाख लोगों की असमय मौत हो जाती है बच्चों को भी इससे खासा नुकसान होता है।
 
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मुताबिक, दुनिया की लगभग 99 फीसदी आबादी कभी ना कभी ऐसी हवा में सांस लेने के लिए मजबूर होती है, जो डब्ल्यूएचओ के मानकों के अनुरूप नहीं होती। डब्ल्यूएचओ का अनुमान है कि हर साल प्रदूषित हवा में सांस लेने के चलते 70 लाख लोगों की असमय मौत हो जाती है।
 
भारत समेत कई एशियाई देशों में वायु प्रदूषण एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या बन चुका है। दिल्ली, इस्लामाबाद, ढाका, बैंकॉक और जकार्ता जैसे शहरों में लोग प्रदूषित हवा में सांस ले रहे हैं। एनर्जी पॉलिसी इंस्टिट्यूट ऑफ शिकागो की तनुश्री गांगुली कहती हैं, "सबसे पहले यह समझना होगा कि हवा सिर्फ तभी प्रदूषित नहीं होती, जब धुंध छायी रहती है नीला आसमान हवा के साफ होने की गारंटी नहीं देता।"
 
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कौन बनाता है हवा को सबसे ज्यादा प्रदूषित
हवा को प्रदूषित करने वाले तत्व अक्सर विभिन्न चीजों को जलाने से पैदा होते हैं। जैसे, बिजली बनाने या परिवहन के लिए कोयला, प्राकृतिक गैस या डीजल-पेट्रोल जैसे ईंधन को जलाने से प्रदूषक तत्व वातावरण में जाते है। पराली जलाने और जंगल में लगने वाली आग से भी वायु प्रदूषण बढ़ता है।
 
डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, लोगों के स्वास्थ्य के लिए पार्टिकुलेट मैटर (पीएम) सबसे ज्यादा खतरनाक होते हैं। ये बेहद सूक्षम कण होते हैं, जो सांस के जरिए शरीर में घुस जाते हैं। ईंधन जलाने से पैदा होने वाले पीएम 25 कण तो फेफड़ों तक में जा सकते हैं। वहीं, खेती, परिवहन और खनन जैसी गतिविधियों से पैदा होने वाले पीएम 10 कण खांसी-जुकाम जैसी स्वास्थ्य समस्याएं पैदा कर सकते हैं।
 
किन स्वास्थ्य समस्याओं से होता है सामना
वायु प्रदूषण दुनियाभर में समय से पहले होने वाली मौतों का दूसरा सबसे बड़ा कारण है। हेल्थ इफेक्ट्स इंस्टिट्यूट की हालिया रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है। रिपोर्ट के मुताबिक, वायु प्रदूषण से संबंधित बीमारियों का सबसे ज्यादा बोझ दक्षिण एशिया और अफ्रीका के देशों पर पड़ता है।
 
कम समय के लिए प्रदूषित हवा में सांस लेने से अस्थमा और दिल का दौरा पड़ने का खतरा होता है। बुजुर्गों और स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे लोगों के लिए यह खतरा सबसे ज्यादा होता है। वहीं, लंबे समय तक प्रदूषित हवा में सांस लेने से हृदय और फेफड़ों से जुड़ी गंभीर समस्याएं हो सकती हैं, जिनसे जान भी जा सकती है।
 
बच्चों के लिए काम करने वाले संगठन यूनिसेफ के मुताबिक, पूर्वी एशिया और प्रशांत क्षेत्र के देशों में 50 करोड़ से ज्यादा बच्चे प्रदूषित हवा में सांस लेते हैं। इसके अलावा, हर दिन औसतन पांच साल से कम उम्र के 100 बच्चों की मौत होती है, जिसका संबंध प्रदूषण से होता है।
 
कैसे रख सकते हैं खुद को सुरक्षित
विशेषज्ञ कहते हैं कि हवा के प्रदूषित होने पर घर में ही रहने की कोशिश करनी चाहिए और बाहर निकलने पर मास्क लगाना चाहिए। हालांकि, वर्ल्ड रिसोर्स इंस्टिट्यूट में हवा की गुणवत्ता पर शोध करने वाले डैनी जारुम कहते हैं कि घर के भीतर रहना हमेशा संभव नहीं होता, खासकर उन लोगों के लिए जो खुले में काम करते हैं।
 
लोगों के घर के अंदर होने वाले वायु प्रदूषण से भी सावधान रहना चाहिए घर में होने वाली आम गतिविधियों जैसे खाना पकाने और अगरबत्ती जलाने से भी हवा प्रदूषित होती है। एयर प्यूरिफायर घर के अंदर की हवा को साफ करने में मदद कर सकते हैं, लेकिन उनकी भी एक सीमा होती है। एयर प्यूरिफायर तभी प्रभावी होते हैं, जब वे छोटी जगहों पर इस्तेमाल किए जाएं और लोग उसके आसपास ही रहें।
एएस/वीके (एपी)

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