भारत सरकार ने पिछले हफ्ते जारी कर अचानक हटा लिए गए नए आईटी नियमों को फिर से जारी कर दिया है। सरकार ने कहा है कि इन नियमों की जरूरत थी क्योंकि बड़ी तकनीकी कंपनियों ने नागरिकों के अधिकारों का उल्लंघन किया था।
नए आईटी नियमों के तहत कंपनियों को 'भारत के संविधान द्वारा देश के नागरिकों को दिए गए अधिकारों का सम्मान करना होगा।' कंपनियों के कॉन्टेंट मॉडरेशन से जुड़े फैसलों के खिलाफ अपील की सुनवाई के लिए एक सरकारी पैनल भी गठित किया जाएगा।
ये नियम सरकार ने पिछले हफ्ते जारी कर अचानक वापस ले लिए थे, लेकिन सोमवार 6 जून को सरकार इन्हें बिना किसी बदलाव के वापस ले आई। नए नियमों के मसौदे को सार्वजनिक करते हुए सरकार ने इन पर लोगों और जानकारों की राय मांगी है। राय 30 दिनों के अंदर देने के लिए कहा गया है।
क्या हैं नए नियम
इन नियमों को लाने का स्पष्टीकरण देते हुए सरकार ने कहा, 'कई (तकनीकी) इंटरमीडियरियों ने भारतीय नागरिकों के संवैधानिक अधिकारों का हनन किया है।' बयान में किसी कंपनी का नाम भी नहीं लिया गया और किस अधिकार का हनन हुआ है यह भी नहीं बताया गया। नए नियमों के तहत कंपनियों को 'सभी यूजर उनकी सेवाओं का इस्तेमाल कर पाएं यह सुनिश्चित करने और साथ ही निजता और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए सभी मुनासिब कदम उठाने होंगे।'
सरकार का कहना है कि सोशल मीडिया कंपनियों के पास ऐसा कोई तंत्र नहीं है और साथ ही 'कोई विश्वसनीय स्व-विनियमन का तंत्र' भी नहीं है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार के कई बड़ी तकनीकी कंपनियों से तनावपूर्ण संबंध रहे हैं।
कंपनियों से सरकार का झगड़ा
सरकार फेसबुक, यूट्यूब और ट्विटर जैसी कंपनियों के विनियमन को कड़ा भी करती रही है। पिछले साल ही सरकार और ट्विटर के बीच तनाव बढ़ गया था। ट्विटर ने ऐसे खातों को बंद करने के सरकार के आदेशों का पालन नहीं किया जो सरकार के मुताबिक किसान आंदोलन को लेकर गलत जानकारी फैला रहे थे। भारत में ट्विटर की कई राजनेताओं और अन्य प्रभावशाली लोगों के खातों को ब्लॉक करने की आलोचना भी हुई है।