Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

7 महीने में दुनिया की 14 सबसे ऊंची चोटियों पर चढ़ गया ये शख्स

हमें फॉलो करें 7 महीने में दुनिया की 14 सबसे ऊंची चोटियों पर चढ़ गया ये शख्स
, बुधवार, 30 अक्टूबर 2019 (11:44 IST)
ब्रिटिश गोरखा से पर्वतारोही बने एक नेपाली शख्स ने दुनिया की 14 सबसे ऊंची चोटियों पर महज 7 महीने में चढ़ाई कर इतिहास रच दिया है। उसके सबसे नजदीकी प्रतिद्वंद्वी को यह काम करने में 7 साल से ज्यादा लगे थे।
 
नेपाल के दक्षिणी इलाकों में पले-बढ़े पर्वतारोही 36 साल के निर्मल पुर्जा की कामयाबी ने दुनिया को हैरान कर दिया है। बचपन से ही खेलकूद के शौकीन रहे निर्मल ने मंगलवार को चीन के तिब्बत में माउंट शिशापांगमा पर चढ़ाई कर यह रिकॉर्ड बनाया है। इसी साल अप्रैल में माउंट अन्नपूर्णा पर चढ़ाई से उन्होंने शुरुआत की थी। उनके सबसे नजदीकी प्रतिद्वंद्वी येर्जी कुकुच्का ने यह काम 7 साल 11 महीने और 14 दिन में पूरा किया था।
पुर्जा जब 5 साल के थे, तब उनका परिवार नेपाल के वेस्टर्न हिल्स से दक्षिण में मौजूद जिले चितवन चला आया। निर्मल बताते हैं, 'मेरे गांव में अच्छे स्कूल नहीं थे इसलिए मेरा परिवार वहां से चला आया ताकि मुझे और मेरे भाई-बहनों की अच्छी पढ़ाई हो सके।'
 
भारत के स्मॉल हैवेन बोर्डिंग स्कूल में पढ़ाई करने के दौरान निर्मल खेलों में बहुत अच्छे थे। वे स्कूल के छोटे से खेल के मैदान में बास्केटबॉल खेला करते थे। उनके साइंस टीचर परशुराम पौडेल उन्हें खेलों के शौकीन बच्चे के रूप में याद करते हैं जिसने स्कूल की प्रतियोगिताओं में कई मेडल जीते थे। पौडेल ने बताया, 'दूसरे बच्चे डॉक्टर और इंजीनियर बनना चाहते थे लेकिन उसने खेलों को बहुत गंभीरता से लिया।'
 
पुर्जा अपने पिता की तरह ब्रिटिश गोरखा रेजीमेंट में भर्ती हो गए। यह साल 2003 की बात है। 6 साल बाद उनका तबादला ब्रिटिश आर्मी की स्पेशल बोट सर्विस में हो गया और 1 साल बाद उन्हें यूनाइटेड किंगडम के सबसे बड़े सम्मान 'ऑर्डर ऑफ द ब्रिटिश एम्पायर' से नवाजा गया।
webdunia
उनके टीचर उनके बचपन के जुनून को उनकी आज की उलब्धियों की वजह मानते हैं लेकिन घनी मूंछों वाले पर्वतारोही निर्मल इसकी व्याख्या अलग तरीके से करते हैं। उनका कहना है, 'मेरे ख्याल से आपको चीजों की कल्पना अलग तरीके से करना सीखना चाहिए और आपको अपनी मानसिक और शारीरिक क्षमताएं अपने लक्ष्य को हासिल करने में लगानी चाहिए। यह आपकी मन:स्थिति पर भी है। आपको नई संभावनाएं देखनी चाहिए, जो दूसरे लोग नहीं देखते।'
 
2017 में माउंट एवरेस्ट पर ब्रिटिश गोरखा एक्सपीडिशन के साथ फतह करने के बाद उन्होंने हिमालय मैं फैली 8,000 मीटर ऊंची चोटियों पर चढ़ाई करने की सोची। उनके साथी पर्वतारोही वापस घर लौट गए लेकिन उन्होंने फिर से हिमालय में जाने का फैसला किया। चढ़ाई का मौसम खत्म हो रहा था और सभी वापस लौट रहे थे। केवल कुछ ही पर्वतारोही वहां बच गए थे।
 
निर्मल बताते हैं, 'उस मौसम में मैंने 2 बार एवरेस्ट पर चढ़ाई की। मैं ल्होत्से पर भी गया (माउंट एवरेस्ट के बगल की चोटी)। निश्चित रूप से मैं थका था लेकिन काफी ऊंचाई पर मैंने महसूस किया कि मेरे शरीर की ऊर्जा बहुत जल्द वापस आ गई। उसी वक्त मैंने सभी 14 ऊंची चोटियों पर 7 महीने में चढ़ने का निश्चय किया।'
 
जब उन्होंने अपनी यात्रा के लिए तैयारी करनी शुरू की और धन जुटाने लगे तो उनके सामने कई चुनौतियां आईं। उन्होंने पैसा जमा करने के लिए ब्रिटेन में अपने घर को बेच दिया लेकिन जल्दी ही उन्हें अहसास हो गया कि पैसे अब भी कम हैं। वे हेलीकॉप्टर से बेस कैम्प पर आए और 5 शेरपाओं की अपनी टीम को रस्सियां लगाने के काम पर लगा दिया। इन्हीं के सहारे रास्ते को सुरक्षित बनाया जाता है और साथ ही ऊंची चोटियों पर सामान की ढुलाई भी होती है।
 
निर्मल बताते हैं, 'जब मैंने अपने प्रोजेक्ट के बारे में लोगों को बताया तो वे हंसने लगे। उनका कहना था कि यह संभव नहीं है। इसीलिए मैंने इसे नाम दिया प्रोजेक्ट पॉसिबल। मैंने अपने दोस्तों, रिश्तेदारों सबसे मदद मांगी। मैंने क्राउड फंडिंग भी की।'
 
निर्मल ने 2 महीनों में माउंट एवरेस्ट समेत नेपाल की 6 सबसे ऊंची हिमालयी चोटियों पर चढ़ाई कर ली। एवरेस्ट पर चढ़ने वालों की लंबी कतार के साथ उनकी तस्वीर मीडिया में वायरल हो गई और तब पर्वतारोहियों के समुदाय और ग्लोबल मीडिया ने उनके अभियान को गंभीरता से लेना शुरू किया। वे कहते हैं, 'जिस सहयोग की मैं शुरू में तलाश कर रहा था, वह मेरे पास अब आ रहा है। बाद में प्रोजेक्ट में मुझे बहुत सहयोग मिला। वह बिलकुल नहीं मिलने से अच्छा था। मैं अब खुश हूं।'
 
एनआर/एके(डीपीए)

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

सऊदी अरब क्यों रखना चाहता है भारत से दोस्ती