Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

गरीब परिवारों तक नहीं पहुंच पा रही ऑनलाइन पढ़ाई

हमें फॉलो करें गरीब परिवारों तक नहीं पहुंच पा रही ऑनलाइन पढ़ाई

DW

, बुधवार, 8 सितम्बर 2021 (08:11 IST)
रिपोर्ट : चारु कार्तिकेय
 
धारणा बन गई है कि स्कूलों के बंद रहने के बीच ऑनलाइन पढ़ाई एक अच्छा विकल्प बन गई है, लेकिन असल में ऑनलाइन शिक्षा का दायरा बेहद सीमित है। एक नए सर्वे के अनुसार ग्रामीण इलाकों में सिर्फ 8 फीसदी बच्चे ऑनलाइन पढ़ पा रहे हैं।
 
इस नए सर्वेक्षण में दावा किया गया है कि महामारी की वजह से स्कूलों के बंद होने का बच्चों पर 'अनर्थकारी' असर पड़ा है। ग्रामीण इलाकों में यह असर और ज्यादा गंभीर है जहां सिर्फ 8 प्रतिशत बच्चे नियमित रूप से ऑनलाइन पढ़ पा रहे हैं। इन इलाकों में 37 प्रतिशत बच्चों की पढ़ाई तो ठप ही हो गई है।
 
यह सर्वेक्षण जाने माने अर्थशास्त्री ज्याँ द्रेज और रितिका खेड़ा के संचालन में कराया गया। इसमें 15 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में पहली से लेकर 8वीं कक्षा तक में पढ़ने वाले 1400 बच्चों और उनके अभिभावकों से बात की गई।
 
स्मार्टफोन हैं ही नहीं तो पढ़ाई कैसे हो?
 
इन राज्यों में असम, बिहार, चंडीगढ़, दिल्ली, गुजरात, हरियाणा, झारखंड, कर्नाटक, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, पंजाब, तमिलनाडु, उत्तरप्रदेश और पश्चिम बंगाल शामिल हैं। सर्वे में शामिल किए गए परिवारों में से करीब 60 प्रतिशत ग्रामीण इलाकों में रहते हैं। इसके अलावा लगभग 60 प्रतिशत परिवार दलित या आदिवासी समुदायों से संबंध रखते हैं।
 
अध्ययन में यह भी पाया गया कि इन इलाकों में भी जो परिवार अपने बच्चों को निजी स्कूलों में पढ़ा रहे थे, उनमें से एक चौथाई से भी ज्यादा परिवारों ने अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में डाल दिया। ऐसा उन्हें या तो पैसों की दिक्कत की वजह से करना पड़ा या ऑनलाइन शिक्षा ना करा पाने की वजह से।
 
ऑनलाइन शिक्षा का दायरा इतना सीमित होने की मुख्य वजह कई परिवारों में स्मार्टफोन का ना होना पाई गई। ग्रामीण इलाकों में तो पाया गया कि करीब 50 प्रतिशत परिवारों में स्मार्टफोन नहीं थे। जहां स्मार्टफोन थे भी, उन ग्रामीण इलाकों में भी सिर्फ 15 प्रतिशत बच्चे नियमित ऑनलाइन पढ़ाई कर पाए क्योंकि उन फोनों का इस्तेमाल घर के बड़े करते हैं।
 
शहरों में भी स्थिति अच्छी नहीं
 
काम पर जाते समय इन लोगों को फोन साथ में लेकर जाना पड़ता है और ऐसे में फोन बच्चों को नहीं मिल पाता है। ऐसा भी नहीं है कि यह तस्वीर सिर्फ ग्रामीण इलाकों की है। शहरी इलाकों में चिंताजनक स्थिति ही पाई गई। मिसाल के तौर पर जहां ग्रामीण इलाकों में नियमित ऑनलाइन शिक्षा पाने वाले बच्चों की संख्या सिर्फ 8 प्रतिशत पाई है, शहरी इलाकों में यह संख्या सिर्फ 24 प्रतिशत पाई है। यानी शहरों में भी हर 100 में से 76 बच्चे नियमित रूप से ऑनलाइन पढ़ाई नहीं कर पा रहे हैं।
 
यही हाल स्मार्टफोन होने और ना होने के मोर्चे पर भी है। स्मार्टफोन वाले घरों में भी जहां ग्रामीण इलाकों में सिर्फ 15 प्रतिशत बच्चे नियमित ऑनलाइन पढ़ पा रहे हैं, शहरों में यह संख्या बस 31 प्रतिशत पाई गई।
 
बच्चों की क्षमता पर असर
 
कुल मिला कर इस स्थिति का असर बच्चों की लिखने और पढ़ने की क्षमता पर भी पड़ा है। शहरी इलाकों में 65 प्रतिशत और ग्रामीण इलाकों में 70 प्रतिशत अभिभावकों को लगता है कि इस अवधि में उनके बच्चों की लिखने और पढ़ने की क्षमता में गिरावट आई है।
 
इन कारणों की वजह से ग्रामीण और शहरी दोनों ही इलाकों में 90 प्रतिशत से ज्यादा गरीब और सुविधाहीन अभिभावक चाहते हैं कि अब स्कूलों को खोल दिया जाए।
 
सर्वे में मध्यम वर्ग और अमीर परिवारों को शामिल नहीं किया गया था, लेकिन कई राज्यों में इन वर्गों के परिवार अभी बच्चों को स्कूल भेजने से डर रहे हैं। भारत में अभी 18 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए कोविड-19 के खिलाफ टीकाकरण शुरू नहीं हुआ है।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

आप अपना पासवर्ड कहां रखते हैं?