Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

खाने वाला तेल पाम ऑयल इतना विवादित क्यों?

हमें फॉलो करें खाने वाला तेल पाम ऑयल इतना विवादित क्यों?
, मंगलवार, 3 अप्रैल 2018 (11:42 IST)
खाने में इस्तेमाल होने वाले तेल के रूप में पाम ऑयल का उपयोग 5000 सालों से हो रहा है, लेकिन जब तब इसे लेकर विवाद उठते रहते हैं। क्या वजह है कि इसे दुनिया का सबसे विवादित खाने का तेल भी कहा जाता है।
 
पश्चिम अफ्रीका में पैदाइश
पाम ऑयल ट्री या खजूर का पेड़ पश्चिम अफ्रीका के जंगलों में पैदा हुआ। यहां से ब्रिटिश इसे 1870 में सजावटी पौधे के रूप में मलेशिया लेकर गए और फिर वहां से यह दूसरे देशों में गया। भारत, चीन, इंडोनेशिया और यूरोप में मुख्य रूप से इसका इस्तेमाल होता है।
 
ऊंचा पेड़ खजूर का
करीब 60 फीट ऊंचे इस पेड़ से फल आने में करीब 30 महीने लगते हैं और उसके बाद यह अगले 20-30 सालों तक फल देता है। पाम ऑयल का इस्तेमाल खाने के साथ ही कई और चीजों में भी होता हैइनमें बिस्किट, आइसक्रीम, चॉकलेट स्प्रेड के अलावा साबुन, कॉस्मेटिक और बायोफ्यूल भी शामिल है।
 
मलेशिया और इंडोनेशिया
पाम ऑयल की सप्लाई करने वाले देशों में मलेशिया और इंडोनेशिया सबसे प्रमुख हैं। करीब 90 फीसदी सप्लाई इन्हीं देशों से आती है। इस तेल के जरिए इन दोनों देशों में करीब 45 लाख लोगों को रोजगार मिलता है।
 
मुनाफे की खेती
इनके अलावा थाईलैंड, इक्वाडोर, नाइजीरिया और घाना में भी पाम ऑयल का उत्पादन होता है। खाने वाले दूसरे तेलों की तुलना में पाम ऑयल की खेती फायदेमंद हैं क्योंकि कृषि भूमि पर इसकी पैदावार करीब 4-10 गुना ज्यादा होती है।
 
खजूर के लिए जंगल साफ
दुनिया के कुछ इलाकों में खजूर के पेड़ लगाने के लिए जंगल साफ कर दिए गए और यह अब भी जारी है। हालांकि कंपनियों ने ऐसा नहीं करने का वचन दिया था। जंगलों के लिए काम करने वाले लोग दक्षिण पू्र्वी एशिया में कंपनियों पर हर साल जंगलों को काटने और जलाने का आरोप लगाते हैं।
 
मजदूरों का शोषण
मलेशिया और इंडोनेशिया में 40 फीसदी से ज्यादा खजूर के बाग छोटे किसानों के स्वामित्व में हैं। इन छोटे किसानों को नियमों में बांधना मुश्किल साबित हो रहा है, इन्हीं लोगों पर प्रकृति का दोहन और मजदूरों का शोषण करने के आरोप हैं।
 
कंपनियों पर दबाव
खजूर के बागों में किसानों पर मजदूरों का शोषण करने के भी आरोप हैं। कई देशों में इसे लेकर भारी विरोध भी हुआ, कंपनियों पर इस बात के लिए दबाव बनाया जा रहा है कि वे उचित मजदूरी देने वाले फार्म से ही तेल खरीदें।
 
जंगल की आग
किसानों की लगाई आग से पर्यावरण का बहुत नुकसान होता है बावजूद इसके यह वर्षों से जारी है। कई बार तो इनकी वजह से आपात स्थिति पैदा हो जाती है। 2013 में मलेशिया में ऐसा ही हुआ था।
 
यूरोप में सख्त नियम
बेल्जियम, डेनमार्क, फ्रांस, जर्मनी, नीदरलैंड्स और ब्रिटेन 2020 तक सौ फीसदी टिकाऊ तरीके से पाम ऑयल का उत्पादन करने की तैयारी या तो कर चुके हैं या पूरी कर लेंगे।
 
टिकाऊ तरीके से तेल
यूरोप के खाने में इस्तेमाल होने वाला करीब 60 फीसदी पाम ऑयल पहले से ही टिकाऊ तरीके से हासिल किया जा रहा है। यहां 2021 से इस तेल को वाहन के ईंधन के रूप में इस्तेमाल करने पर भी रोक लग जाएगी।
 
कैंसर का खतरा!
पाम ऑयल के इस्तेमाल से कैंसर का खतरा होने की बात कही जाती है लेकिन इटली के मशहूर कंफेक्शनरी फेरेरो ने सार्वजनिक रूप से पाम ऑयल का बचाव किया है और उसका दावा है कि ऐसा कोई खतरा नहीं।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

इस्तांबुल में कितना यूरोप बसता है?