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तकरीबन दस हजार लोग भारत में कर रहे हैं प्लॉगिंग

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, मंगलवार, 30 अप्रैल 2019 (17:44 IST)
फिट रहने के लिए लोग जॉगिंग करते हैं. लेकिन अगर इस जॉगिंग में पर्यावरण को जोड़ दिया जाए तो देखिए यह कैसे प्लॉगिंग बन जाता है। स्वीडन, मेक्सिको समेत भारत में भी लोग सिर्फ जॉगिंग नहीं अब प्लॉगिंग कर रहे हैं।
 
 
स्वीडन का मशहूर ट्रेंड प्लॉगिंग अब भारत समेत दुनिया भर में लोकप्रिय हो रहा है। प्लॉगिंग ना केवल लोगों को फिट और सेहतमंद रखती है, बल्कि आसपास के वातावरण की साफ-सफाई में भी बेहद कारगर साबित हो रही है। दरअसल प्लॉगिंग में जॉगिंग करने वाले लोग अपने आसपास के कचरे को भी बटोरते चलते हैं।
 
 
इस ट्रेंड को 2016 में स्वीडन के एरिक आलस्ट्रोम ने अपने शहर आरे में शुरू किया था। आरे वही जगह है जहां फरवरी 2019 में स्कीइंग की विश्व चैपिंयनशिप आयोजित की गई थी। प्लॉगिंग का विश्व रिकॉर्ड मेक्सिको सिटी के नाम दर्ज है जहां एक दिन में चार हजार लोग प्लॉगिंग में हिस्सेदार बने। हालांकि एरिक मानते हैं कि भारत में रोजाना करीब 10 हजार लोग नियमित रूप से प्लॉगिंग करते हैं।
 
 
एरिक बताते हैं कि स्वीडिश भाषा में प्लोका मतलब सामान उठाना, और जॉग करना मतबल दौ़ड़ना और इन दोनों शब्दों से मिलकर बना है प्लॉगिंग। एरिक स्वीडन में रोजाना फेंके जाने वाले 30 लाख सिगरेट बट की बात करते हैं और समंदरों में जाने वाले प्लास्टिक कचरे पर भी चिंता जाहिर करते हैं, "अधिकतर प्लास्टिक जमीन पर पड़ा होता है ऐसे में अच्छा है अगर हम किसी कारण के चलते दौड़ लगाएं।"
 
 
एरिक दुनिया में प्लॉगिंग की ओर लोगों के बढ़ते रुझान से खुश हैं लेकिन उन्हें तेजी से फैलते इस ट्रेंड पर जरा भी हैरानी नहीं है। वह कहते हैं, "प्लॉगिंग सरल है और इसमें साधारण दौड़ के मुकाबले व्यक्ति की ज्यादा कैलोरी जलती है। इसके साथ ही यह आपके पैर के लिए भी अच्छा है और ऐसा करके आखिर में आपका दिन अच्छा होगा।"
 
 
स्वीडिश लोगों के प्रकृति और पर्यावरण प्रेम से पूरी दुनिया वाकिफ है। स्वीडन में पर्यावरण को लेकर आम लोग काफी जागरूक हैं। देश की 15 साल की पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थुनबेर्ग अपने प्रयासों के चलते दुनिया भर में लोकप्रियता बटोर चुकी हैं। एरिक की ओर से आयोजित किए जान वाले प्लॉगिंग इवेंट में हिस्सा लेने वाली लेना लागर्लयुंग कहती हैं कि प्लॉगिंग के जरिए पर्यावरण को बचाने में वह अपना योगदान दे रही हैं, "मैं ग्रेटा की तरह संसद के बाहर नहीं बैठ सकती। मुझे यह करना ही होगा।"
 

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