नई दिल्ली। भारत में ग्रेटर नोएडा में फॉर्मूला-1 का बुद्ध इंटरनेशनल सर्किट बना हुआ है लेकिन इस सर्किट पर 3 आयोजनों के बाद पिछले कई वर्षों से किसी भी फॉर्मूला-1 रेस का आयोजन नहीं हुआ है। इसके बावजूद एफ-1 कारों को लेकर भारतीय छात्रों में जबरदस्त उत्साह है और उन्होंने इन कारों के मॉडल तैयार किए हैं।
9 से 19 साल के छात्रों ने दुनिया के सबसे बड़े स्टैम चेलेंज एफ-1 इन स्कूल्स इंडिया के दूसरे सत्र में हिस्सा लिया जिसका ग्रैंड फिनाले नोएडा की एमिटी यूनिवर्सिटी में आयोजित हुआ। गुडगांव के स्कॉटिश हाई इंटरनेशनल स्कूल की ओरियन रेसिंग इसमें विजेता बनी।
साकेत ने एमिटी इंटरनेशनल स्कूल के मैटाडोर्स को दूसरा और राजधानी के द ब्रिटिश स्कूल के स्टालियन को तीसरा स्थान मिला। इन विजेता स्कूलों को अब नवंबर 2019 में अबू धाबी में आयोजित वर्ल्ड फाइनल्स में भारत का प्रतिनिधित्व करने का मौका मिलेगा, जहां 49 देशों की टीमें हिस्सा लेंगी।
एफ-1 स्कूल्स इंडिया के इन कंट्री चीफ यशराज सिंह ने इन टीमों को सम्मानित करते हुए कहा कि जब हमने एफ-1 इन स्कूल्स के इंडिया चैप्टर की शुरुआत की थी तब हमें अंदाजा नहीं था कि भारत में इतने प्रतिभाशाली छात्र दिखाई देंगे। इन किशोरों ने कार डिजाइनिंग से लेकर ब्रांड एसोसिएशन और मार्केटिंग तक अपनी अनूठी प्रतिभा का परिचय दिया है। इसके लिए छात्रों ने 1 साल तक तैयारी की थी।
मुंबई, बेंगलोर और दिल्ली एनसीआर में क्षेत्रीय राउंड के बाद फाइनल राउंड हुआ जिसमें 80 टीमों ने क्वालीफाई किया। छात्रों के सामने फॉर्मूला 1 रेसिंग कार बनाने और इसे 24 मीटर के रेस ट्रैक पर दौड़ाने की चुनौती थी। (वार्ता)