जर्मनी और फ्रांस ने सुझाव दिया है कि रूस के साथ बातचीत की जानी चाहिए। यह सुझाव कई सदस्य देशों को नागवार गुजरा है। इस कारण यूरोपीय संघ में दरार नजर आ रही है। रूस को साथ लेकर चलने को लेकर यूरोपीय संघ में दरार नजर आ रही है। जर्मनी और फ्रांस रूस के साथ बातचीत करना चाहते हैं लेकिन कई देश इसका विरोध कर रहे हैं। गुरुवार को ब्रसेल्स में यूरोपीय संघ के नेताओं के बीच यह दरार उभरकर सामने आ गई।
गुरुवार को ईयू सम्मेलन के बाद जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल ने कहा कि रूस से बातचीत करने पर सहमति नहीं बन पाई। मर्केल ने बताया कि बहुत विस्तार से बातचीत हुई। लेकिन आसान बातचीत नहीं थी। नेताओं के बीच फौरन बैठक कराने पर तो आज कोई सहमति नहीं बन पाई। फ्रांस और जर्मनी ने कहा है कि रूसी राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन को बातचीत के लिए ईयू सम्मेलन में बुलाया जाना चाहिए। यह प्रस्ताव तब आया है जबकि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने पिछले हफ्ते ही जेनेवा में व्लादीमीर पुतिन से मुलाकात की है।
जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल ने कहा है कि 27 सदस्यीय यूरोपीय संघ को रूस के साथ सीधी बातचीत करनी चाहिए क्योंकि अगर आप एक दूसरे से बात करें तो विवाद सुलझाए जा सकते हैं। फ्रांस के राष्ट्रपति इमानुएल माक्रों ने भी कहा कि यदि यूरोपीय संघ की स्थिरता के लिए यह जरूरी है तो रूस के साथ संबंधों में गर्माहट लाने की कोशिश की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि रूस के संदर्भ में हम सिर्फ प्रतिक्रिया करने के बारे में ही नहीं सोच सकते। क्रीमिया को लेकर चल रहे संघर्ष के कारण यूरोपीय संघ ने 2014 के बाद से रूस के साथ कोई बातचीत नहीं की है।
रूस के साथ कैसे हैं संघ के रिश्ते?
यूरोपीय संघ और रूस के संबंधों में पिछले कुछ समय से तनाव रहा है। यूक्रेन के रूस के साथ संघर्ष के कारण जो खटास दोनों पक्षों के रिश्तों में आ गई थी, उसे रूसी विपक्षी नेता अलेक्सी नावाल्नी के राजनीतिक दमन ने और बढ़ा दिया। नावाल्नी इस वक्त रूस की एक जेल में बंद हैं।
पिछले महीने रेयानएयर के एक विमान को जबरन उतारकर बेलारूस द्वारा एक पत्रकार रोमान प्रातोसेविच को गिरफ्तार किए जाने की घटना ने भी रूस के साथ खींचतान बढ़ाई थी। बेलारूस के नेता लुकाशेंको के रूसी राष्ट्रपति पुतिन से करीबी संबंध हैं। जर्मनी समेत यूरोपीय संघ के कई सदस्य देशों ने एक यात्री विमान को जबरन अपने यहां उतारकर एक पत्रकार को गिरफ्तार करने की कार्रवाई पर बेलारूस से सफाई मांगी थी। इसके बाद मॉस्को ने कई यूरोपीय विमानों को अपने यहां आने से कुछ समय के लिए रोक दिया था। ऐसे में जर्मनी और रूस द्वारा पुतिन के साथ बातचीत के सुझाव पर कुछ यूरोपीय देशों की सरकारें हैरान हुई हैं। दो वरिष्ठ कूटनीतिज्ञों ने डीडब्ल्यू को बताया कि उन्हें तो इस प्रस्ताव का पता ही मीडिया से चला।
कई देश नाखुश
लातविया के प्रधानमंत्री क्रिश्यानिस कारिंश भी इस सुझाव को लेकर सशंकित हैं। उन्होंने कहा कि रूसी सरकार पर भरोसा करना मुश्किल होगा। कारिंश ने कहा कि क्रेमलिन को ताकत की राजनीतिक समझ में आती है। क्रेमलिन शक्ति के संकेत के रूप में छूट नहीं देता।
एक अन्य बाल्टिक देश लिथुआनिया भी जर्मनी और फ्रांस के सुझाव पर उत्साहित नहीं है। वहां के राष्ट्रपति गितानस नौसेदा ने कहा कि यदि रूस के व्यवहार में सकारात्मक बदलाव के बिना हम बातचीत शुरू करते हैं तो हमारे साझीदारों को बहुत अनिश्चित और बुरा संदेश जाएगा। मुझे तो ऐसा लग रहा है कि हम शहद को सुरक्षित रखने के लिए भालू से बात करने की कोशिश कर रहे हैं।
नीदरलैंड्स के प्रधानमंत्री मार्क रुटे ने कहा कि वह यूरोपीय संघ की पुतिन के साथ किसी भी बैठक का बहिष्कार करेंगे। उन्होंने 2014 में यूक्रेन के आसमान में एमएच17 विमान को गिराए जाने की याद दिलाई जिसमें करीब 300 लोग मारे गए थे। उनमें से ज्यादार डच नागरिक थे।
वीके/एए (रॉयटर्स, एपी, एएफपी)