तालिबान के प्रवक्ता जबीबुल्लाह मुजाहिद ने 'पाकिस्तान को तालिबान का दूसरा घर' बताया है। पाकिस्तानी न्यूज़ वेबसाइट एआरवाई न्यूज़ टीवी के मुताबिक़, मुजाहिद ने बुधवार को कहा कि पाकिस्तान दूसरा घर है और अपने घर के ख़िलाफ़ कुछ नहीं होने देंगे।
एआरवाई न्यूज़ टीवी को दिए एक विशेष इंटरव्यू में मुजाहिद ने अफ़ग़ानिस्तान में चरमपंथी संगठनों की उपस्थिति, भारत प्रशासित कश्मीर और इस्लामिक स्टेट से लेकर भारत-पाकिस्तान संबंधों पर भी अपनी राय रखी।
मुजाहिद ने अफ़ग़ानिस्तान में इस्लामिक स्टेट और तहरीक-ए-तालिबान (पाकिस्तान) के मुद्दे पर कहा, 'हम अपनी ज़मीन किसी के ख़िलाफ़ इस्तेमाल नहीं होने देंगे।'
उन्होंने कहा, 'इस संबंध में हमारी नीति स्पष्ट है। दाएश (ISIS) की अफ़ग़ानिस्तान में कोई मौजूदगी नहीं है।'
तालिबान इससे पहले कई मौक़ों पर ये कह चुका है कि वह अपनी ज़मीन पर चरमपंथी तत्वों को सक्रिय नहीं होने देगा।
लेकिन चीन समेत दुनिया के कई मुल्क इस दावे को संदेह की नज़र से देखते हैं।
'भारत-पाकिस्तान मिल-बैठकर सुलझाएं मुद्दे'
मुजाहिद ने भारत और पाकिस्तान के बीच लंबे समय से जारी विवाद पर कहा है कि दोनों देशों को एक साथ बैठकर ये मसला सुलझा लेना चाहिए।
मुजाहिद बोले, 'पाकिस्तान और भारत को बैठकर अपने पुराने सभी मामलों को हल कर लेना चाहिए। क्योंकि दोनों देश एक दूसरे के पड़ोसी हैं और दोनों के हित एक दूसरे से जुड़े हुए हैं।'
भारत प्रशासित कश्मीर के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि भारत सरकार को 'विवादित इलाक़े' को लेकर सकारात्मक रुख़ रखने की ज़रूरत है।
इसके अलावा आने वाले समय में भारत के साथ संबंधों पर मुजाहिद ने कहा है, 'तालिबान चाहता है कि भारत सरकार अफ़ग़ानिस्तान के लोगों के हितों को ध्यान में रखते हुए अपनी नीति बनाए।'
इसी बीच रेडियो पाकिस्तान ने बताया है कि तालिबानी नेता शहाबुद्दीन दिलवर ने 30 लाख अफ़ग़ान शरणार्थियों को शरण देने के लिए पाकिस्तान का शुक्रिया अदा किया है। उन्होंने कहा है कि तालिबान सभी देशों के साथ आपसी सम्मान के आधार पर शांतिपूर्ण संबंध चाहता है।
तालिबान और पाकिस्तान के संबंध
तालिबान के कई बड़े नेताओं के संबंध पाकिस्तान से है। तालिबान को चलाने वाली क्वेटा शूरा भी बलोचिस्तान में स्थित है। अफ़ग़ानिस्तान की पिछली सरकार खुले तौर पर तालिबान के पीछे पाकिस्तान का हाथ होने की बात कहती है।
तालिबान के कई वरिष्ठ नेताओं ने कथित तौर पर पाकिस्तानी शहर क्वेटा में शरण ली थी, जहां से उन्होंने तालिबान का मार्गदर्शन किया। इसे 'क्वेटा शूरा' करार दिया गया था। पाकिस्तान के इसके अस्तित्व इंकार करता रहा है।
उस सरकार के कई मंत्री और उच्च अधिकारी तालिबान की बढ़ती ताक़त के पीछे पाकिस्तान की अहम भूमिका के बारे में बात करते रहे हैं। लेकिन तालिबान के अफ़ग़ानिस्तान पर कब्ज़े के बाद, पाकिस्तान में कई तरह के अंदेशे हैं।
पाकिस्तान मीडिया में आई रिपोर्टों के मुताबिक़ काबुल पर तालिबान के नियंत्रण स्थापित होने के बाद अफ़ग़ानिस्तान में 'तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान' के कई चरमपंथियों को रिहा कर दिया गया है।
'तहरीक-ए-तालिबान' यानी पाकिस्तान तालिबान की स्थापना दिसंबर 2007 में 13 चरमपंथी गुटों ने मिलकर की थी। टीटीपी का मक़सद पाकिस्तान में शरिया पर आधारित एक कट्टरपंथी इस्लामी शासन क़ायम करना है।
पाकिस्तान तालिबान का पाकिस्तान की सेना से टकराव बना रहता है। कुछ वक़्त पहले संगठन के प्रभाव वाले इलाक़े में पेट्रोलिंग कर रहे एक पुलिसकर्मी को बुरी तरह पीटने की ख़बर सामने आई थी।
इसके अलावा अफ़ग़ानिस्तान और पाकिस्तान में दोनों देशों को अलग करने वाली डूरंड रेखा पर भी विवाद है। तालिबान का इस पर क्या रुख़ रहता है, ये देखना दिलचस्प होगा।