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सीरिया छोड़ देगी अमेरिकी सेना

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, शुक्रवार, 21 दिसंबर 2018 (11:55 IST)
अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने सीरिया से अमेरिकी फौज को पूरी तरह हटाने के फैसला किया है। अमेरिका के सहयोगी देश अकेले लिए गए इस फैसले से आहत हैं। माना जा रहा है कि इस फैसले के पीछे तुर्की भी है।
 
 
अमेरिका ने एलान किया है कि उसने सीरिया से अपनी सेना की वापसी शुरू कर दी है। सीरिया में 2,000 अमेरिकी सैनिक तैनात हैं। अनुमान है कि 60 से 100 दिनों के भीतर यह काम पूरा हो जाएगा। अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने एक ट्वीट कर दावा किया कि अमेरिका ने सीरिया में इस्लामिक स्टेट को हरा दिया है।
 
 
ट्रंप के दावे के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति कार्यालय, व्हाइट हाउस की प्रवक्ता सारा सैंडर्स ने एक बयान में कहा, "सीरिया में आइसिस पर विजय इसका संकेत नहीं है कि गठबंधन या अभियान का अंत हो गया है।" सैंडर्स ने कहा कि अभियान के अगले चरण में प्रवेश करने के लिए सेना की घर वापसी की जाएगी। वॉशिंगटन ने अमेरिकी विदेश मंत्रालय के सभी कर्मचारियों को 24 घंटे के भीतर सीरिया ने निकालने का एलान भी किया।
 
 
रक्षा विशेषज्ञों की अनदेखी
ट्रंप का यह फैसला कई हलकों को चौंका रहा है। अमेरिकी रक्षा मंत्री जेम्स मैटिस समेत कुछ सैन्य और रक्षा सलाहकारों ने पुरजोर कोशिश की कि राष्ट्रपति सेना वापस न बुलाएं। अधिकारियों के मुताबिक सेना की वापसी से कुर्द लड़ाकों का मनोबल टूटेगा और अमेरिका की विश्वसनीयता पर भी सवाल उठेंगे।
 
 
यूएस इंस्टीट्यूट ऑफ पीस (यूएसआईपी) की विश्लेषक मोना याकोबियान ने डॉयचे वेले से बातचीत में ट्रंप के जीत के दावे पर संदेह जताया। वह कहती हैं, "फाइनल स्टेज भले ही करीब है, लेकिन आइसिस के खिलाफ सैन्य अभियान अभी पूरा नहीं हुआ है, आइसिस लड़ाकों का जिद्दी धड़ा अंत तक लड़ना चाहता है। असल में आइसिस के खिलाफ लड़ाई अब भी अंत से बहुत दूर है। अमेरिकी सरकार का ही अनुमान है कि सीरिया में अब भी करीब 30,000 आइसिस लड़ाके हैं और वहां आइसिस की हिंसा के संकेत भी मिल रहे हैं। 2011 में इराक से अमेरिकी सेना की वापसी से सीख मिली थी कि शांति बहाली से पहले वापस लौटने से किस तरह के खतरे सामने आते हैं।"
 
 
इराक और सीरिया, दोनों देशों में इस्लामिक स्टेट के खिलाफ संघर्ष में कुर्द लड़ाकों ने सबसे असरदार भूमिका निभाई। कुर्द लड़ाकों को अमेरिका और खाड़ी के देशों से हवाई मदद, खुफिया जानकारी, प्रशिक्षण और औजार मिले। लेकिन नाटो का एक सदस्य तुर्की इससे खासा नाराज हुआ।
 
 
मैदान छोड़ना
हालिया मुलाकातों और बातचीतों के दौरान अमेरिकी रक्षा मंत्री मैटिस और सुरक्षा अधिकारियों ने जोर दिया कि सीरिया से चार साल बाद सेना हटाने से राष्ट्रीय सुरक्षा नीति में बड़ा बदलाव आएगा। माना जा रहा है कि अमेरिका जो मैदान छोड़ेगा वह रूस और ईरान के नियंत्रण में चला जाएगा। जबकि आधिकारिक तौर पर अमेरिका इन दोनों देशों के सामने पीछे नहीं हटता नहीं दिखना चाहता।
 
 
रिपब्लिकन दल की सांसद लिंडसे ग्रैहम अकसर राष्ट्रपति ट्रंप का समर्थन करती हैं। लेकिन इस फैसले को उन्होंने भी राष्ट्रपति की गलती करार दिया है, "इस वक्त अमेरिका का बाहर निकलना आइसिस, ईरान, सीरिया के बशर अल असद और रूस के लिए एक बड़ी जीत होगी। मुझे डर है कि हमारे देश, उस इलाके और दुनिया के लिए इसके भयावह नतीजे होंगे। इसकी वजह से भविष्य में कट्टरपंथी इस्लाम के खिलाफ स्वेच्छा से लड़ने वाले साझेदारों की भर्ती करने में ज्यादा मुश्किल होगी। ईरान और दूसरे बुरे धड़े इसे ईरान के प्रभाव के कम करने के मामले में, कमजोर पड़ते अमेरिका की तरह देखेंगे।"
 
 
बुधवार को ही रूसी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया जाखारोवा ने अमेरिका पर अवैध तरीके से सीरिया में रहने का आरोप लगाया। उन्होंने वॉशिंगटन को शांति की राह का रोड़ा बताया, "आतंकवाद के खिलाफ युद्ध का एक भागीदार होने से लेकर सीरिया में अमेरिका की गैरकानूनी मौजूदगी, समाधान के लिए खतरनाक बाधा बन रही है।"
 
 
इसी मुद्दे पर बात करते हुए अमेरिकी यूनिवर्सिटी में नेशनल सिक्योरिटी स्कॉलर क्रिस एडेलसन कहते हैं, "इस पर ध्यान देना चाहिए कि सीरिया से अमेरिका की वापसी पुतिन के लिए एक बड़ी जीत है। यह पहला मौका नहीं है जब ट्रंप प्रशासन के कदमों या बयानों ने पुतिन के एजेंडे को मदद पहुंचाई है।"
 
 
साझेदारों को अकेला छोड़ना
अमेरिकी सेना की सीरिया से वापसी का पहला और सबसे तेज असर कुर्द लड़ाकों पर पड़ेगा। तुर्क सेना उनके लिए खतरा बन जाएगी। अंकारा कुर्दिश वर्कर्स पार्टी (पीकेके) से संबंधों के चलते कुर्दों को आतंकवादी करार देता है। सीरिया के कुर्द पड़ोसी इराक की तरह उत्तर में अपना एक स्वायत्त क्षेत्र बनाना चाहते हैं। तुर्की बिल्कुल नहीं चाहता कि उसके यहां के कुर्द भी कुछ ऐसा करने की सोचें।
 
 
नाटो में अमेरिका का सहयोगी तुर्की बार बार कुर्दों को मिले अमेरिकी समर्थन का विरोध कर चुका है। हाल ही तुर्क राष्ट्रपति रेचप तैयब एर्दोवान ने कुर्द लड़ाकों के खिलाफ सीमा पार हमला करने का एलान भी किया।
 
 
औचक वापसी को जीत बताना
ट्रंप लंबे समय से सेना हटाने की मांग करते आ रहे हैं। ट्रंप के मुताबिक तुर्की की योजना भी सीरिया से सेना की वापसी का एक कारण है। अमेरिकी राष्ट्रपति का कहना है कि सीरिया में उनकी सेना को खतरनाक परिस्थितियों को सामना करना पड़ सकता है।
 
 
राष्ट्रपति पद के चुनाव अभियान के दौरान भी ट्रंप ने सीरिया से अमेरिकी सेना की वापसी का वादा किया था। कुछ लोगों को लगता है कि इस वापसी को अमेरिकी की जीत बताकर ट्रंप फिर से राष्ट्रपति चुनाव के दौरान इसका जिक्र करेंगे।
 
 
जॉन विलियम शेल्टन जूनियर, मिषाएल क्निगे (वॉशिंगटन)
 
 

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