रिपोर्ट : आमिर अंसारी
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तरप्रदेश के ग्रामीण इलाकों में तेजी से फैलते संक्रमण को लेकर गंभीर चिंता जाहिर की है। एक याचिका की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा राज्य के गांवों और छोटे शहरों में चिकित्सा व्यवस्था 'रामभरोसे' है।
मेरठ के जिला अस्पताल से लापता हुए 64 साल के बुजुर्ग से जुड़े मामले पर सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने यह टिप्पणी की। अप्रैल के महीने में बुजुर्ग संतोष कुमार की मौत हो गई थी और उनके शव की शिनाख्त डॉक्टरों और मेडिकल कर्मचारियों द्वारा नहीं की गई जिसके बाद शव को लावारिस मानकर निस्तारित कर दिया गया। हैरानी की बात यह है कि जिस वक्त यह हादसा हुआ, उस समय प्रभारी डॉक्टर ड्यूटी पर उपस्थित नहीं था। रिपोर्ट के मुताबिक सुबह की ड्यूटी पर आए डॉक्टर ने शव को उस स्थान से हटवाया लेकिन व्यक्ति की पहचान नहीं हो सकी। इसी घटना पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा जब मेडिकल कॉलेज वाले शहर मेरठ का यह हाल है तो समझा जा सकता है कि छोटे शहरों और गांवों के हालात 'रामभरोसे' ही हैं।
इस मामले में कोर्ट ने कहा कि अगर डॉक्टरों और पैरामेडिकल कर्मचारी इस तरह का रवैया अपनाते हैं और ड्यूटी करने में घोर लापरवाही दिखाते हैं तो यह गंभीर दुराचार का मामला है, क्योंकि यह लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ जैसा है। कोर्ट ने राज्य सरकार से इस घटना के लिए जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई करने को कहा है।
जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा और जस्टिस अजित कुमार की बेंच ने उत्तरप्रदेश में कोरोनावायरस के प्रसार को लेकर दायर जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार को कई अहम सुझाव भी दिए हैं। इस याचिका में कोरोना मरीजों के लिए बेहतर इलाज की मांग की गई है।
कोर्ट ने उत्तरप्रदेश में चिकित्सा व्यवस्था की स्थिति पर टिप्पणी करते हुए कहा कि जहां तक चिकित्सा के बुनियादी ढांचे का सवाल है, इन कुछ महीनों में हमने महसूस किया है कि आज जिस तरह से यह स्थिति है वह बहुत नाजुक और कमजोर है।
ग्रामीण इलाकों का हाल
बीते कुछ हफ्तों से उत्तरप्रदेश के गांवों में कोरोना से मरने वालों का आंकड़ा तेजी से बढ़ा है। स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी और कोरोना जांच केंद्रों की गैरमौजूदगी से गांव वालों को कई बार कोरोना पॉजिटिव या निगेटिव होने के बारे में भी पता नहीं चल पाता है। हाईकोर्ट ने ग्रामीण आबादी की जांच बढ़ाने और उसमें सुधार लाने का राज्य सरकार को निर्देश दिया और साथ ही पर्याप्त स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने को कहा है। हाईकोर्ट में 5 जिलों के जिलाधिकारियों ने अपनी रिपोर्ट पेश की। कोर्ट ने राज्य सरकार को 5 सुझाव दिए हैं जिनमें टीकाकरण पर जोर, 5 शहरों में उच्च सुविधा वाले मेडिकल कॉलेज स्थापित करने, हर गांव के लिए 2 आईसीयू एम्बुलेंस और जीवनरक्षक दवाओं की कमी को दूर करने के निर्देश दिए गए हैं।
16 मई को राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा था कि राज्य में स्थिति नियंत्रण से बाहर नहीं है और यूपी तीसरी लहर के लिए तैयार है, अगर वह आती है। उन्होंने गांवों में कोरोना जांच किट, मेडिकल किट भेजने के बारे में बताया था, साथ ही जांच और मौतों में पारदर्शिता का जिक्र किया था। मुख्यमंत्री ने दावा किया था कि राज्य के पास पर्याप्त बुनियादी ढांचा है, जो महामारी से लड़ने के लिए अच्छी तरह से मुस्तैद है।
राज्य और केंद्र की तरफ से कोर्ट को बताया गया कि महामारी से जुड़ी शिकायतों के लिए 3 सदस्यीय कमेटी बनाई गई है। उत्तरप्रदेश में 1 लाख 49 हजार से अधिक कोरोना के सक्रिय मामले हैं। राज्य में 17 हजार से अधिक मौतें इस महामारी के कारण हुई हैं।