Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

क्या भारत शेख हसीना को बांग्लादेश वापस भेज सकता है

हमें फॉलो करें क्या भारत शेख हसीना को बांग्लादेश वापस भेज सकता है

DW

, शनिवार, 14 सितम्बर 2024 (07:41 IST)
चारु कार्तिकेय
बांग्लादेश के एक नेता ने हाल ही में कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की भारत से प्रत्यर्पण मांगने की प्रक्रिया जल्द शुरू की जाएगी। लेकिन अगर वाकई बांग्लादेश ने प्रत्यर्पण का अनुरोध किया, तो ऐसे में भारत क्या करेगा?
 
बांग्लादेश के अंतरराष्ट्रीय अपराध ट्रिब्यूनल (आईसीटी) के मुख्य प्रॉसिक्यूटर मोहम्मद ताजुल इस्लाम ने 8 सितंबर को ढाका में पत्रकारों को बताया कि हसीना पर ना सिर्फ "नरसंहार" का आरोप है बल्कि वह मुख्य आरोपी हैं। ताजुल इस्लाम ने कहा कि चूंकि हसीना देश छोड़कर जा चुकी हैं, इसलिए उन्हें वापस लाने की कानूनी प्रक्रिया को जल्द शुरू किया जाएगा।
 
उन्होंने दोनों देशों के बीच हुई प्रत्यर्पण संधि का जिक्र करते हुए कहा, "बांग्लादेश और भारत के बीच अपराधियों के प्रत्यर्पण को लेकर संधि पर 2013 में हस्ताक्षर हुए थे, जब हसीना ही सत्ता में थीं। चूंकि हसीना को बांग्लादेश में हुए नरसंहारों का मुख्य आरोपी बनाया गया है, हम कानूनी रूप से उन्हें बांग्लादेश वापस लाने की कोशिश करेंगे, ताकि उनपर मुकदमा चलाया जा सके।"
 
अंतरिम सरकार पर दबाव
आईसीटी का गठन हसीना के कार्यकाल में हुआ था। इसका मूल उद्देश्य 1971 में पाकिस्तान के खिलाफ हुए युद्ध के दौरान हुए अत्याचार के मामलों की जांच करना था।
 
खुद हसीना के कार्यकाल के दौरान उनपर बड़े पैमाने पर मानवाधिकारों के उल्लंघन के आरोप लगे। इनमें बड़ी संख्या में अपने राजनीतिक प्रतिद्वंदियों को जेल भेजना और उनकी न्यायेतर हत्याएं करवाने के आरोप शामिल थे।
 
अब बांग्लादेश की अंतरिम सरकार हसीना के खिलाफ इन आरोपों से संबंधित मुकदमा चलना चाह रही है। उनके इस्तीफा दे देने से पहले कई हफ्तों तक देश में जो आंदोलन चला, उसमें सैकड़ों प्रदर्शनकारियों की मौत हो गई।
 
मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में गठित अंतरिम सरकार पर काफी दबाव है कि वह इन मौतों के संबंध में हसीना पर मुकदमा चलाए और उनके प्रत्यर्पण की मांग करे।
 
संयुक्त राष्ट्र की एक प्राथमिक रिपोर्ट के मुताबिक, बांग्लादेश के हालिया आंदोलन में कम-से-कम 600 लोग मारे गए थे। आशंका है कि मृतकों की संख्या इस अनुमान से कहीं ज्यादा हो सकती है। बांग्लादेश, हसीना का डिप्लोमैटिक पासपोर्ट रद्द कर चुका है। मोहम्मद यूनुस भी उन्हें वापस लाने की बात कर चुके हैं।
 
यूनुस ने हाल ही में ही भारतीय समाचार एजेंसी पीटीआई से बातचीत में कहा कि जब तक हसीना को मुकदमे के लिए बांग्लादेश नहीं लाया जाता, तब तक उन्हें "चुप रहना" चाहिए। युनूस ने कहा था, "अगर भारत उन्हें तब तक रखना चाहता, जब तक बांग्लादेश उन्हें वापस ना ले ले, तो उसकी शर्त यह है कि उन्हें चुप रहना होगा।"
 
हसीना के शासन में सुरक्षाकर्मियों पर सैकड़ों लोगों को गायब करने के आरोप भी लगे और हाल ही में इस मामले में एक सेवानिवृत्त हाई कोर्ट जज द्वारा जांच भी शुरू करवाई गई।
 
क्या भारत हसीना को सौंप सकता है?
बांग्लादेश ने प्रत्यर्पण के लिए औपचारिक रूप से भारत को अनुरोध भेजा है या नहीं, इस बारे में अभी तक कोई सार्वजनिक जानकारी उपलब्ध नहीं है। सबसे बड़ा सवाल यह है कि अगर बांग्लादेश अनुरोध कर भी दे, तो क्या भारत हसीना के प्रत्यर्पण की इजाजत दे देगा। हसीना की पृष्ठभूमि पर अगर नजर डालें, तो भारत एक तरह से उनका दूसरा घर कहा जाता है।
 
वह पहले भी भारत में शरण ले चुकी हैं। 1975 में बांग्लादेश में उनके पिता शेख मुजीबुर रहमान और उनके परिवार के कई सदस्यों की एक सैन्य तख्तापलट के दौरान हत्या कर दी गई थी।
 
उस समय हसीना अपने पति, बच्चों और बहन के साथ तत्कालीन पश्चिमी जर्मनी में थीं। वहां उन्हें भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का भारत में राजनीतिक शरण लेने का निमंत्रण मिला।
 
निमंत्रण स्वीकार कर हसीना भारत आ गईं और छह साल तक भारत में ही रहीं। 1981 में उनके बांग्लादेश लौट जाने के बाद भी उनके बच्चे भारत में ही रहे और उनकी पढ़ाई यहीं हुई। अपने पूरे कार्यकाल के दौरान भी हसीना का भारत के प्रति काफी झुकाव रहा। ऐसे में बड़ा सवाल है कि क्या भारत उन्हें बांग्लादेश वापस भेज देगा?
 
हाल ही में डीडब्ल्यू ने जब भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर से पूछा कि हसीना के प्रत्यर्पण के बारे में भारत सरकार क्या सोच रही है, तो उन्होंने कहा, "जैसा कि आपको मालूम है, बांग्लादेश में सरकार बदल गई है और हम स्पष्ट रूप से मौजूदा सरकार से ही डील करते हैं। हम यह व्यवहार कूटनीतिक चैनलों के जरिए करते हैं, ना कि प्रेस रिपोर्टों के माध्यम से।"
 
कई राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भारत सरकार प्रत्यर्पण के लिए सहमति दे दे, इसकी संभावना कम है। भारत के रक्षा मंत्रालय के संस्थान 'मनोहर परिकर इंस्टिट्यूट ऑफ डिफेंस स्टडीज एंड एनालिसिस' की रिसर्च फेलो स्मृति पटनायक ने डीडब्ल्यू को बताया कि उन्हें नहीं लगता कि भारत सरकार इसके लिए राजी होगी क्योंकि भारत ने हसीना को शरण दी है और सरकार इस शरण को इतनी आसानी से वापस नहीं लेगी।
 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

छत्तीसगढ़ के हसदेव में विरोध के बावजूद काटे गए 11 हजार पेड़