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हाथ में है लाल किताब का हॉरोस्कोप

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अनिरुद्ध जोशी

लाल किताब सामुद्रिक शास्त्र की हस्तरेखा पर आधारित ज्योतिषीय विज्ञान है। हस्तरेखा के विशेषज्ञ बने बगैर आप लाल किताब के विशेषज्ञ नहीं बन सकते। लाल किताब का हस्तरेखा विज्ञान आम हस्तरेखा विज्ञान से थोड़ा भिन्न है। जैसे, लाल किताब में राहु और केतु की स्थिति मणिबद्ध में होती है, जबकि प्रचलित हस्तरेखा अनुसार हथेली के मध्य में।
 
 
हमारी हाथ की हथेली के दो हिस्से हैं। एक अंगुलियों का हिस्सा और दूसरा हथेलियों का हिस्सा है। अंगुलियों के हिस्से में राशियों के पोर है और हथेली में ग्रहों के पर्वत हैं।
 
अंगुलियों का हिस्सा : लाल किताब का 36 साल चक्कर का अर्थ होता है राशियों का चक्र। अंगुठे को छोड़कर हमारी प्रत्येक अंगुली में तीन तीन पोरे होते हैं। प्रत्येक पोर तीन वर्ष के माने गए हैं। इस तरह 12 पोरे की 12 राशियां और 12 राशियों के 36 साल होते हैं। यह कुंडली के घरों के हिसाब से राशिफल का चक्र है।
 
 
पहली तर्जनी अंगुली गुरु की अंगुली है। दूसरी अंगुली मध्‍यमा शनि की अंगुली। तीसरी अनामिका अंगुली सूर्य की अंगुली और चौथी सबसे छोटी अंगुली बुध की अंगुली है।
 
1.पहली अंगुली तर्जनी का प्रथम पोर मेष, दूसरा वृष और तीसरा मिथुन राशि का होता है। तर्जनी की अंगुली में 1, 2 और 3 नंबर के खाने आते हैं।
 
2.बीच की अंगुली का प्रथम पोर मकर, दूसरा पोर कुम्भ और तीसरा पोर मीन राशि का माना जाता है।  मध्यमा में 10, 11 और 12 नंबर के खाने आते हैं। 
 
3.तीसरी अंगुली अनामिका में प्रथम पोर कर्क, दूसरा पोर सिंह और तीसरा पोर कन्या राशि का माना जाता है। इस अंगुली में 4, 5 और 6 नंबर के खाने आते हैं।
 
4.चौथी अंगुली का प्रथम पोर तुला, दूसरा पोर वृश्चिक और तीसरा पोर धनु राशि का माना जाता है। इस अंगुली में 7, 8 और 9 नंबर के खाने आते हैं।
 
हथेलियों का हिस्सा :
 
पर्वत : हाथ पर अंगूठे और अंगुलियों की जड़ों में बने पर्वत जैसे अंगूठे के नीचे बना शुक्र और मंगल का पर्वत। पहली अंगुली के नीचे बना गुरु का पर्वत। बीच की अंगुली के नीचे बना शनि का पर्वत। अनामिका (रिंग फिंगर) के नीचे बना सूर्य पर्वत। सबसे छोटी अंगुली के नीचे बना बुध पर्वत। हाथ के अन्त में बना चंद्र पर्वत और खराब मंगल का पर्वत। जीवन रेखा की समाप्ति स्थान कलाई के ऊपर पर बना राहु पर्वत आदि यह सभी हाथ में ग्रहों की स्थिति बताते हैं।
 
 
भाव या खाने : हथेली पर बारह भाव या खाने अलग-अलग प्रकार से होते हैं।
1.पहला खाना सूर्य पर्वत के पास।
2.दूसरा खाना गुरु पर्वत के पास।
3.तीसरा खाना अंगूठे और तर्जनी अंगुली की बीच वाली संधि में।
4.चौथा खाना सबसे छोटी अंगुली के सामने हथेली के आखिर में।
5.पांचवां खाना बुध और चंद्र पर्वत के बीच में।
6.छठवां खाना हथेली के मध्य में।
7.सातवां खाना बुध पर्वत के नीचे।
8.आठवां खाना चंद्र पर्वत के नीचे।
9.नवां खाना शुक्र और चंद्र पर्वत की बीच में।
10.दसवां खाना शनि पर्वत के नीचे।
11.ग्यारहवां खाना खराब मंगल और हथेली के बीच में।
12.बारहवां खाना शुक्र पर्वत और हथेली बीच में जीवन रेखा के नीचे लिखा होता है।
 
 
अन्य निशान :
1.हथेली में सूर्य का निशान सूर्य के समान दिखाई देता है।
2.चंद्र का निशान चंद्र तारे की तरह नजर आता है।
3.शुभ मंगल का निशान चौकोर चतुर्भुज के समान होता है।
4.अशुभ मंगल का निशान त्रिकोण या त्रिभुज के रूप में होता है।
5.बुध का निशान गोलाकार समान होता है।
6.गुरु का निशान किसी ध्वज की तरह होता है।
7.शुक्र का निशान समान्तर में बनी दो लहराती हुई रेखाओं सा होता है।
8.शनि का निशान धनु के आकार का होता है।
9.राहु का निशान आड़ी-तिरछी रेखाओं से बना जाल सा होता है।
10.केतु का निशान लम्बी रेखा के नीचे एक अर्धवृत सा होता है।
 
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