एक तरफ पूरा देश गर्मी से तप रहा है, वहीं लोकसभा चुनाव के माहौल ने इस तपिश को और बढ़ा दिया है। धोरों की धरती राजस्थान भी इससे अछूती नहीं है। शेखावाटी की सीकर लोकसभा सीट पर चुनावी जंग जोर-शोर से जारी है। भाजपा ने संन्यासी राजनेता और वर्तमान सांसद स्वामी सुमेधानंद सरस्वती को एक बार फिर उम्मीदवार बनाया है। कांग्रेस ने सुभाष महरिया पर दांव लगाया है। इस चुनावी माहौल में भाजपा प्रत्याशी सुमेधानंदजी से जब वेबदुनिया ने बात की तो उन्होंने सभी मुद्दों पर खुलकर अपनी बात रखी।
तीन राज्यों में भाजपा की हार : लोकसभा चुनाव से ठीक पहले मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनावों में भाजपा की हार पर स्वामीजी ने कहा कि कांग्रेस ने 60 साल तक देशवासियों को धोखा देकर राज किया है। विधानसभा चुनाव में भी किसान राहुल गांधी के झांसे में आ गए और उन्होंने भावुकता में कांग्रेस को वोट दे दिया।
कांग्रेस ने किसानों के सभी तरह के कर्ज माफ करने की बात कही थी, लेकिन वह इस संबंध में कोई योजना नहीं दे पाई। मध्यप्रदेश में भाजपा को कांग्रेस की तुलना में एक फीसदी ज्यादा वोट मिले हैं, जबकि राजस्थान में भी दोनों के बीच वोटों में ज्यादा अंतर नहीं है। मप्र और राजस्थान दोनों ही जगह कांग्रेस अल्पमत सरकार चला रही है। छत्तीसगढ़ में जरूर भाजपा की हार हुई है।
अपनी जीत के प्रति पूर्णत: आश्वस्त स्वामी सुमेधानंद ने कहा कि लोकसभा चुनाव में इसकी पूर्ति हो जाएगी क्योंकि किसान ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं, एससी-एसटी के लोग समझने लगे हैं कि भाजपा के साथ रहने में ही भलाई है। राजस्थान में गुर्जर समाज खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहा है। वैसे भी विधानसभा चुनाव में स्थानीय मुद्दे होते हैं जबकि लोकसभा का चुनाव प्रधानमंत्री और उनकी नीतियों के आधार पर लड़ा जाता है।
स्वामीजी ने कहा कि विपक्ष के पास न तो कोई नेता है और न ही नीति। उनके पास प्रधानमंत्री पद का कोई एक चेहरा नहीं है। ममता कहती हैं कि मैं प्रधानमंत्री बनूंगी, मायावती और राहुल गांधी भी प्रधानमंत्री बनने का ख्वाब बुन रहे हैं। जो विपक्ष के नेता दिल्ली में राहुल गांधी के साथ खड़े दिखाई देते हैं, वही कोलकाता में ममता के साथ नजर आते हैं जबकि हमारे पास नरेन्द्र मोदी का चेहरा है।
उन्होंने कहा कि मोदी की नीति, नीयत और योजनाएं देश हित में हैं। मतदाता नासमझ नहीं है, वह विपक्षी नेताओं की बातों में नहीं आएगा। देशवासी पहले भी वीपी सिंह, चंद्रशेखर, एचडी देवेगौड़ा और इंद्रकुमार गुजराल की अल्पमत और खिचड़ी सरकारें देख चुके हैं। अल्पमत की सरकार से देश को फिर चुनाव झेलना पड़ेगा और उससे आर्थिक नुकसान ही होगा। इससे देश अस्थिर होगा, जो राष्ट्रीय सुरक्षा की दृष्टि से भी सही नहीं है। मतदाता भावुक जरूर है, लेकिन जब देश की स्थिरता और सुरक्षा से जुड़ा मुद्दा होता है तो वह पूरी गंभीरता से काम लेता है।
स्वामीजी ने कहा कि वर्तमान में भाजपा की जितनी लोकसभा सीटें हैं, लोकसभा चुनाव में उससे ज्यादा सीटें ही मिलेंगी। यूपी, मध्यप्रदेश, राजस्थान, गुजरात, छत्तीसगढ़ आदि राज्यों में नुकसान होगा, ऐसा मानने वालों का मिथक भी टूट जाएगा। हालांकि कुछ सीटों का नुकसान हो सकता है, लेकिन इसकी पूर्ति दक्षिण, पूर्वोत्तर, पश्चिम बंगाल और ओडिशा जैसे राज्यों से हो जाएगी।
एयर स्ट्राइक : पाकिस्तान के बालाकोट में आतंकी ठिकानों पर भारतीय वायुसेना की कार्रवाई पर विपक्षी नेताओं द्वारा सबूत मांगने के मुद्दे पर स्वामीजी ने कहा ऐसा करके वे पाकिस्तान को ही फायदा पहुंचाने का काम कर रहे हैं। कार्रवाई पर सवाल उठाने से सेना का मनोबल टूटता है। लेकिन, भाजपा के लिए नेशन फर्स्ट है, पार्टी सेकंड। व्यक्ति तो यहां तीसरे नंबर पर आता है। हमें हमारी सेना पर गर्व है।
सवर्ण आरक्षण : आर्थिक रूप से कमजोर सवर्णों को 10 प्रतिशत आरक्षण को असंवैधानिक और गैरजरूरी बताने के मुद्दे पर स्वामी सुमेधानंदजी कहते हैं कि अब तक संविधान में करीब 123 संशोधन हो चुके हैं, जो कि विशेष निमित्त और उद्देश्य को लेकर हुए हैं। अत: यह कहना कि यह असंवैधानिक है, कतई उचित नहीं है। वे कहते हैं कि निश्चित ही सरकारी क्षेत्रों में नौकरियों की संख्या सीमित है, लेकिन जितनी नौकरियां हैं उनमें तो सवर्ण वर्ग के 10 फीसदी लोगों को लाभ मिलेगा। उन्हें उच्च शिक्षा में भी फायदा होगा।
जब 52 फीसदी ओबीसी के लोग 27 फीसदी आरक्षण में लाभ उठा रहे हैं तो गरीब सवर्ण 10 फीसदी आरक्षण में लाभ क्यों नहीं उठा सकते। राजस्थान में तो कांग्रेस सरकार गुर्जरों को एक फीसदी आरक्षण देकर ही वाहवाही लूट रही है। धर्म परिवर्तन के बाद आरक्षण की बात पर सुमेधानंदजी कहते हैं कि आरक्षण का मूल ही पिछड़ापन और अस्यपृश्यता है और दूसरे धर्म के लोग छुआछूत को नहीं मानते। अत: धर्म बदलने के साथ ही व्यक्ति की आरक्षण की पात्रता भी समाप्त हो जाना चाहिए।
क्या मोदी अहंकारी हैं? : स्वामी सुमेधानंद कहते हैं कि लोगों ने मोदीजी को समझा ही नहीं है। मोदीजी जितना विनम्र व्यक्ति शायद ही कोई देखने को मिलेगा। मोदी को कितनी ही बार अपमानित करने की कोशिश की गई, गालियां दी गईं, वे सहते रहे। हालांकि विरोधियों को जरूर वे अपनी शैली में जवाब देते हैं, चाहे वह विदेशी हो या देशी। विनम्रता और कायरता में अंतर है। वे डरपोक नहीं हैं।
राहुल गांधी का गोत्र : स्कूली जीवन में कुश्ती के शौकीन मगर राजनीतिक के अखाड़े में पैंतरेबाजी से दूर सुमेधानंदजी ने कहा कि जो कांग्रेस पाठ्यपुस्तकों में राम और कृष्ण को काल्पनिक पात्र बताती रही है, अब उसके मुखिया राम और शिव की बात करते हैं और मंदिर-मंदिर जाकर माथा टेक रहे हैं। कांग्रेस के अध्यक्ष का भारतीय संस्कृति के प्रति न तो अध्ययन है और न ही चिंतन है, जबकि शीर्ष नेतृत्व ही पार्टी का मार्गदर्शन करता है।
उन्होंने कहा कि जहां तक हिन्दुत्व की बात है तो राहुल गांधी जी ने कहा कि वे ब्राह्मण हैं, उनका जनेऊ भी दिखाया गया था। हकीकत में राहुल और प्रियंका गांधी जब छोटे थे तब पोप जॉन पॉल को बुलाकर उन्हें ईसाई धर्म में दीक्षित किया गया था। उस समय स्वामी आनंदबोध के नेतृत्व में आर्य समाज और विश्व हिन्दू परिषद ने सड़कों पर उतरकर इसका विरोध किया था। दूसरी बात इनके दादाजी पारसी थे और मां ईसाई हैं। हिन्दू संस्कृति में गोत्र पिता का चलता है। पारसियों और ईसाइयों में तो गोत्र परंपरा ही नहीं है। यदि वे जनेऊधारी हिन्दू हैं तो देशवासियों को बताएं कि उन्होंने कब यज्ञोपवीत संस्कार करवाया था। यह सिर्फ वोटों की राजनीति है, लोगों को भ्रमित करने के लिए नौटंकी है। इस तरह के ढोंग बार-बार नहीं चलते।
चंद्रबाबू को अस्तित्व का खतरा : आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू द्वारा एनडीए से दूरी बनाने के प्रश्न पर स्वामीजी कहते हैं कि दक्षिण में भाजपा के बढ़ते प्रभाव से चंद्रबाबू नायडू डर गए हैं। उन्हें लगता है कि भाजपा के बढ़ते प्रभाव से उनका अस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा। इसी डर की वजह से नायडू ने भाजपा से दूरी बना ली।
शिक्षा व्यवस्था में बदलाव : केन्द्र सरकार की मानव संसाधन समिति के सदस्य स्वामी सुमेधानंद कहते हैं कि हमने शिक्षा में सुधार के लिए कई काम किए हैं। कांग्रेस शिक्षा में भगवाकरण के आरोप लगाती है, लेकिन हम चरित्र निर्माण की बात करते हैं। केन्द्र सरकार की मंशा है कि देश के विश्वविद्यालयों की गिनती दुनिया के शीर्ष विश्वविद्यालयों में हो। शिक्षा को लेकर सरकार ने काफी काम किए हैं और कर भी रही है।
अयोध्या में राम मंदिर : भाजपा का संकल्प है कि अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण होना चाहिए, लेकिन राज्यसभा में बहुमत नहीं होने कारण अध्यादेश से भी बात नहीं बनती। अत: मंदिर जैसे संवेदनशील मुद्दे को बचपने में उछालना गंभीरता नहीं है। यदि राज्यसभा में बहुमत होता तो निश्चित रूप से हम मंदिर निर्माण के लिए अध्यादेश या विधेयक लाते। अब मंदिर निर्माण का काम समय, काल और परिस्थिति को देखकर ही होगा।
क्या है सीकर सीट का गणित : पिछले चुनाव में स्वामी सुमेधानंद ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस प्रतापसिंह जाट को करीब 2 लाख 39 हजार वोटों से पराजित किया था। इस बार कांग्रेस ने सुभाष महरिया पर दांव लगाया है। महरिया 2014 में निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़े थे तब उन्हें 1 लाख 88 हजार से ज्यादा वोट मिले थे।
महरिया और जाट दोनों के वोट भी जोड़ लिए जाएं तो भी यह आंकड़ा स्वामी सुमेधानंद को मिले वोटों से कम है। पिछली बार 53 हजार से ज्यादा वोट हासिल करने वाले कॉमरेड अमराराम भी एक बार फिर मैदान में हैं। अमराराम की मौजूदगी मुकाबले को भले त्रिकोणीय न बनाए, लेकिन वे अच्छे-खासे वोट जुटा लेते हैं। महरिया 1998, 99 और 2004 में भाजपा के टिकट पर चुनाव जीत चुके हैं, जबकि 2009 में वे भाजपा के ही टिकट पर करीब डेढ़ लाख वोटों से चुनाव हारे थे। 2014 में सुभाषा बागी होकर चुनाव लड़े और करारी शिकस्त झेलनी पड़ी। अब कांग्रेस का हाथ थाम लिया है।
स्थानीय लोगों का मानना है कि इस बार लोकसभा चुनाव स्थानीय मुद्दों से ज्यादा 'मोदी फैक्टर' का जोर रहेगा। पाकिस्तान में आतंकवादी ठिकानों पर एयर स्ट्राइक के बाद लोगों का मोदी और भाजपा की ओर झुकाव बढ़ा है। वैसे भी इस इलाके सैन्य परिवारों की संख्या अच्छी-खासी है। वहीं लोगों का यह भी मानना है कि राज्य में सरकार होने से कांग्रेस को फायदा मिल सकता है।