Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

सपा का अभेद्य किला है मैनपुरी, दांव पर फिर मुलायम की प्रतिष्ठा

हमें फॉलो करें सपा का अभेद्य किला है मैनपुरी, दांव पर फिर मुलायम की प्रतिष्ठा
उत्तर प्रदेश की मैनपुरी सीट से एक बार फिर समाजवादी पार्टी के पितृपुरुष मुलायमसिंह यादव मैदान में हैं। मोदी लहर में जब बड़े-बड़े किले धराशायी हो गए थे, तब भी मुलायम ने इस सीट पर भाजपा के प्रत्याशी शत्रुघ्न चौहान को करीब 3 लाख 64 हजार वोटों के बड़े अंतर से हराया था। हालांकि बाद मुलायम ने इस सीट से इस्तीफा दे दिया था और आजमगढ़ सीट अपने पास रखी थी। 
 
मैनपुरी सीट पर 1996 से सपा का कब्जा है। इस सीट पर सपा का खाता भी मुलायमसिंह यादव ने ही खोला था। 1952 से 1977 तक यह सीट कांग्रेस के कब्जे में रही। 1977 के चुनाव में भारतीय लोकदल ने यह सीट कांग्रेस से छीन ली। 1984 में कांग्रेस की लहर में एक बार फिर यह सीट कांग्रेस के खाते में आई। 1989 और 1991 में मैनपुरी से जनता दल और जनता पार्टी के झंडे तले उदय प्रताप सिंह चुनाव जीते। इसके बाद से यहां सपा का ही कब्जा ही है। भाजपा तो इस सीट पर एक बार जीत हासिल नहीं कर पाई। 
 
वोटों का गणित : आंकड़ों पर नजर डालें तो इस क्षेत्र में 16 लाख से अधिक मतदाता हैं, लेकिन मैनपुरी लोकसभा सीट की सबसे खास बात है यह है कि यहां पर यादव समुदाय का वर्चस्व है। यानी कि लगभग 35 फीसदी मतदाता यादव हैं, जबकि करीब 3.5 लाख वोटर शाक्य समुदाय के हैं। इन मतदाताओं के चलते यहां सपा का एकछत्र साम्राज्य है।
 
मोदी लहर के चलते 2017 के विधानसभा चुनाव के बाद यूपी में भाजपा सरकार बनाने में तो सफल रही थी, लेकिन मैनपुरी क्षेत्र में मोदी लहर का असर दिखाई नहीं दिया। यहां तो सपा का जादू ही मतदाताओं के सिर चढ़कर बोलता है। इस इलाके में विधानसभा की मैनपुरी, भोगांव, किषनी, करहल और जसवंतनगर सीटें हैं, लेकिन सिर्फ भोगांव ही भाजपा जीत पाई थी, शेष चार सीटों पर सपा ने ही जीत दर्ज की थी। 
 
webdunia
क्या बोले अखिलेश यादव : अपने पिता मुलायमसिंह यादव के साथ नामांकन कराने पहुंचे समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष व उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने वेबदुनिया से बातचीत करते हुए कहा कि इस बार चुनाव में मैनपुरी से नेताजी की जीत देश की सबसे बड़ी जीत होगी। अखिलेश ने प्रधानमंत्री पद के लिए दावेदारी को साफ तौर से खारिज करते हुए कहा कि मैं प्रधानमंत्री पद की दौड़ में नहीं हूं और न ही इस बारे में सोचता हूं। हालांकि उन्होंने यह जरूर कहा कि जो भी प्रधानमंत्री बनेगा वह यूपी से ही होगा। 
 
राहुल गांधी के दो जगह से चुनाव लड़ने से जुड़े सवाल पर सपा नेता ने राहुल का नाम लिए बिना कहा कि इसे डर से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए। इस तरह के फैसले क्षेत्रीय समीकरणों को साधने के उद्देश्य से लिए जाते हैं। अटलजी जैसे बड़े दिग्गज भी एक से अधिक स्थानों से चुनाव लड़ चुके हैं। मैं खुद दो जगह से चुनाव लड़ा था। इसका मतलब यह नहीं मैं डर गया था। 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

हार्दिक पटेल को बड़ा झटका, सुप्रीम कोर्ट ने तत्काल सुनवाई से किया इनकार