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लोकसभा चुनाव के उम्मीदवारों की पहली सूची क्यों है कांग्रेस का मास्टर स्ट्रोक?

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विकास सिंह

लखनऊ। लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने चुनाव की तारीखों के ऐलान होने से पहले ही उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर विपक्षी खेमे में हलचल मचा दी है। कांग्रेस के इस दांव को सियासत के जानकार कांग्रेस का मास्टर स्ट्रोक बता रहे हैं। पहली सूची में कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश से ग्यारह और गुजरात से चार उम्मीदवारों के नामों का ऐलान किया है।

कांग्रेस की इस सूची में पार्टी में राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी का नाम अमेठी से और सोनिया गांधी का नाम रायबरेली से है। वहीं पार्टी ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सहारनपुर से इमरान मसूद को, धौरहरा से सीनियर नेता जितिन प्रसाद,उन्नाव से अन्नू टंडन, फरूर्खाबाद से अल्पसंख्यक चेहरे और पूर्व मंत्री सलमान खुर्शीद, फैजाबाद से सीनियर नेता निर्मल खत्री और कुशीनगर से पूर्व सांसद आरपीएन सिंह को चुनावी मैदान में उतारा है।

कांग्रेस की पहली सूची का बरीकी से विश्लेषण करने पर पता चलता है कि कांग्रेस ने इस सूची को जरिए उत्तर प्रदेश में कई सियासी समीकरणों को साधने की कोशिश की है। वेबदुनिया की खास रिपोर्ट...

महागठबंधन पर कांग्रेस की प्रेशर पॉलिटिक्स - कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश में चुनाव की तारीखों के ऐलान से पहले उम्मीदवारों के नामों का ऐलान कर एक तरह से महागठबंधन पर एक ओर जहां दबाव बनाने की सियासत की है तो दूसरी ओर सिर्फ़ ग्यारह सीटों पर नामों का ऐलान कर महागठबंधन में शामिल होने की गुंजाइश भी छोड़ रखी है। कांग्रेस के इस सियासी दांव पर उत्तर प्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार और बीबीसी के पूर्व संवाददाता रामदत्त त्रिपाठी कहते हैं कि कांग्रेस ने पहली सूची में जिन 11 उम्मीदवारों के नामों का ऐलान किया है वो सभी कांग्रेस के दिग्गज चेहरे हैं। ऐसा कर कांग्रेस ने अभी भी सपा- बसपा के साथ गठबंधन की गुंजाइश रखी है।

कांग्रेस ने महागठबंधन के नेताओं को ये संदेश देने की कोशिश की है कि उसे अगर महागठबंधन के सीट बंटवारे में सम्मानजनक स्थान मिलता है तो वो शामिल हो सकती है। रामदत्त त्रिपाठी कहते हैं कि कांग्रेस ने अब गेंद सपा और बसपा के पाले में डाल दी है और अगर कांग्रेस को 15-20 सीटें मिलती है तो वो महागठबंधन के साथ जाकर बीजेपी के खिलाफ चुनाव लड़ने को तैयार रहेगी..कांग्रेस ने ये साफ कर दिया है कि अपने बड़े नेताओं को चुनाव जरूर लड़ाएगी।

कांग्रेस ने ये दांव उस वक्त चला है जब समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कांग्रेस के महागठबंधन में होने की बात कही है। अखिलेश ने कहा कि कांग्रेस महा गठबंधन में शामिल है और दो सीटों पर चुनाव लड़ रही है। अखिलेश के इस बयान के बाद लखनऊ से लेकर दिल्ली तक सियासी पंडित इस बयान के मयाने तलाशते रहे हैं।
 
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पुराने दिग्गज चेहरों पर दांव - कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश में जिन ग्यारह सीटों पर उम्मीदवारों के नामों का ऐलान किया है, उसमें सभी नाम पार्टी के बड़े चेहरे है। कांग्रेस की इस रणनीति पर वरिष्ठ पत्रकार रामदत्त त्रिपाठी कहते हैं कि पहली सूची में पार्टी ने जिन उम्मीदवारों के नामों का ऐलान किया है, उनका अपने क्षेत्र में काफी प्रभाव है। इन नेताओं के पास ऐसे कार्यकर्ता हैं जो बूथ लेवल तक पहुंच रखते हैं। रामदत्त त्रिपाठी कहते हैं कि चुनाव जीतने में बूथ पर पकड़ और सक्रिय कार्यकर्ताओं का होना बहुत ही अहम रोल अदा करता है।

प्रियंका गांधी को फ्री हैंड  - पहली सूची में कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश में अपनी दोनों परंपरागत सीट से वर्तमान सांसदों के नामों का ऐलान किया है। पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी पार्टी की परंपरागत सीट अमेठी से तो सोनिया गांधी रायबरेली से ही इस बार चुनाव लड़ेगी। इसके बाद उन अटकलें पर फिलहाल विराम लग गया है कि जिसमें प्रियंका गांधी के चुनाव लड़ने की बात कही जा रही थी।

कई दशक से कांग्रेस की सियासत को करीब से देखने वाले वरिष्ठ पत्रकार रामदत्त त्रिपाठी कहते हैं कि कांग्रेस में प्रियंका की भूमिका चुनाव लड़वाने की होती रही है और इस बार भी चुनाव में प्रियंका कांग्रेस की ओर से चुनावी मैनेजर की भूमिका में नजर आएगी। वो कहते हैं कि अगर प्रियंका चुनाव लड़ती तो वो एक सीट पर सीमित हो जाती। ऐसे में जब पार्टी ने प्रियंका को पूर्वी उत्तर प्रदेश से अहम इलाके की जिम्मेदारी सौंपी है तो पार्टी उनको चुनाव में फ्री हैंड देकर पार्टी उम्मीदवारों को चुनाव लड़वाने की जिम्मेदारी सौंपी है।

राजनीति में सक्रिय रहेगी सोनिया गांधी - कांग्रेस ने रायबरेली से सोनिया गांधी के चुनाव का ऐलान करने से ये साफ हो गया है कि सोनिया गांधी राजनीति में सक्रिय रहेगी। राहुल गांधी के कांग्रेस अध्यक्ष बनने और प्रियंका के कांग्रेस महासचिव बनने के बाद ये अटकलें लगाई जा रही थी कि इस बार रायबरेली सीट से प्रियंका गांधी चुनाव लड़ेगी लेकिन अब साफ हो गया है कि सोनिया राजनीति में सक्रिय रहेगी।

बीजेपी पर दबाव की सियासत - कांग्रेस ने उन्मीदवारों की सूची जारी कर बीजेपी पर भी नामों के ऐलान का दबाव बढ़ा दिया है। उत्तर प्रदेश में बीजेपी जिसने 2014 में रिकॉर्ड सीटें जीती थी इस बार अधिकांश सीटिंग सांसदों के टिकट काटने की तैयारी में है। वहीं पार्टी में इस वक्त गुट बाजी चरम पर है ऐसे में कांग्रेस ने नामों का ऐलान कर बीजेपी पर मनोवैज्ञानिक बढ़त बनाने की कोशिश की है।

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