कांग्रेस ने गुरुवार को बनारस से एक बार फिर अजय राय को चुनाव मैदान में उतार दिया। इसके साथ ही उन अटकलों पर भी विराम लग गया है, जिनमें कहा जा रहा था कि प्रियंका गांधी वाड्रा काशी से चुनाव लड़ सकती हैं। प्रियंका के चुनाव नहीं लड़ने से मोदी की राह बेहद आसान हो गई है। आइए जानते हैं आखिर क्या कारण रहे, जिनके चलते प्रियंका चुनाव लड़ने से पीछे हट गईं...
1. हार का डर : पिछले चुनाव में नरेंद्र मोदी ने वाराणसी से 3 लाख 71 हजार वोटों से जीत दर्ज की थी। यहां दूसरे नंबर पर आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल थे, जबकि कांग्रेस उम्मीदवार अजय राय को मात्र 75 हजार वोट मिल सके थे।
2. थम सकता है राजनीतिक करियर : प्रियंका के लिए पहले ही चुनाव में मोदी जैसे कद्दावर नेता से सामना करना उतना आसान नहीं था। मोदी टीम से लेकर अनुभव तक हर मामले में प्रियंका और कांग्रेस से मजबूत हैं। अगर प्रियंका यहां से हार जातीं तो उनका राजनीतिक करियर शुरू होने से पहले ही समाप्त हो जाता।
3. वाराणसी में बंधकर रह जाएंगी : उत्तर प्रदेश में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाराणसी से चुनाव लड़ने की स्थिति में केवल एक सीट पर ही सिमट जातीं। अब प्रियंका यूपी में कांग्रेस उम्मीदवारों के लिए ज्यादा दे सकेंगी और हो सकता है कि राज्य में वह पार्टी को कुछ सीटें जिता भी दें।
4. पार्टी में घटेगी स्वीकार्यता : अगर प्रियंका अपना पहला ही चुनाव हार जातीं तो कांग्रेस कार्यकर्ताओं में उनका क्रेज ही खत्म हो जाता। ऐसे में इंदिरा गांधी की जिस छवि के कारण वह अपना राजनीतिक परचम लहराना चाहती हैं, उस पर भी बुरा असर पड़ता। प्रियंका के साथ ही स्वयं कांग्रेस अध्यक्ष राहुल भी नहीं चाहते थे कि उनकी बहन का हाल इस तरह बेहाल हो।
5. सुरक्षित सीट की तलाश : संभव है कि प्रियंका गांधी इस बार चुनाव नहीं लड़ेगीं। लेकिन, अगले चुनावों में वह किसी सुरक्षित सीट से अपनी किस्मत आजमा सकती है। उनकी मां सोनिया गांधी भी अकसर बीमार रहती है, अगर वह अगला चुनाव नहीं लड़ती हैं तो उनके लिए रायबरेली से सुरक्षित सीट कोई ओर नहीं होगी।