नई दिल्ली। एक चुनावी सभा में भारतीय सेना को मोदीजी की सेना कहना उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भारी पड़ सकता है। चुनाव आयोग ने योगी आदित्यनाथ के इस बयान पर गाजियाबाद के डीएम से रिपोर्ट मांगी है।
आदित्यनाथ पर विपक्ष के हमलों के बीच चुनाव आयोग ने गाजियाबाद के जिला मजिस्ट्रेट से इस मामले में रिपोर्ट तलब की ताकि यह पता लगाया जा सके कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री की टिप्पणी से आचार संहिता का उल्लंघन हुआ है कि नहीं। चुनाव आयोग राजनीतिक पार्टियों को पहले ही नसीहत दे चुका है कि वे लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान सैन्य बलों के मुद्दे पर कोई प्रचार या दुष्प्रचार नहीं करें।
कांग्रेस ने कहा, 'योगी आदित्यनाथ द्वारा सेना की वीरता को हड़पना और इसे ‘मोदी की सेना’ करार देना हमारे शहीदों एवं हमारे बहादुर जवानों की वीरता और त्याग का अपमान है।'
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने योगी की टिप्पणी पर हैरत जताई। भाकपा नेता डी राजा ने भी योगी के बयान की निंदा की।
पूर्व नौसेना प्रमुख एडमिरल एल रामदास ने भी सोमवार को कहा कि भारतीय सेना को ‘मोदीजी की सेना’ कहने पर सख्त नाराजगी जाहिर की थी। उन्होंने कहा कि सैन्य बल किसी व्यक्ति से नहीं जुड़ा है। उन्होंने दावा किया कि कई पूर्व और सेवारत सैनिक उनकी टिप्पणी पर नाराज हैं।
एडमिरल रामदास ने कहा, 'सैन्य बल किसी व्यक्ति से नहीं जुड़ा हुआ है, वे देश की सेवा करते हैं। चुनाव होने तक मुख्य चुनाव आयुक्त बॉस हैं। मैं इस संबंध में चुनाव आयोग जा रहा हूं।'
लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) एच एस पनाग ने भी कहा कि यह हैरान करने वाली टिप्पणी नहीं है क्योंकि पिछले पांच साल में कई नेताओं ने इस तरह की टिप्पणी करते हुए राष्ट्रवाद को सैन्य बलों से जोड़ने की कोशिश की है।
उल्लेखनीय है कि उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गाजियाबाद में एक चुनावी सभा में भाजपा के लिए प्रचार करते हुए भारतीय सेना को मोदीजी की सेना करार दिया। विपक्षी दलों पर प्रहार करते हुए रविवार को आदित्यनाथ ने कहा कि कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के लिए जो असंभव था, वह अब भाजपा के शासन में संभव हो गया है। इसे विपक्ष ने सेना का अपमान बताया था।