नई दिल्ली। देश में सबसे ज्यादा बिहार की जनता ने नोटा का बटन दबाकर अपने उम्मीदवारों को खारिज किया। बिहार के 8.17 लाख मतदाताओं ने नोटा का इस्तेमाल किया।
चुनाव आयोग की वेबसाइट के अनुसार बिहार में 40 लोकसभा सीटों पर हुए कुल मतदान में 2 फीसदी लोगों ने नोटा का चयन किया। दमन और दीव में 1.7 फीसदी, आंध्रप्रदेश में 1.49 फीसदी, छत्तीसगढ़ में 1.44 फीसदी मतदाताओं ने नोटा का चयन किया।
भारत में उम्मीदवारों की सूची में नोटा को 2013 में उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद शामिल किया गया था। इससे मतदाताओं को एक ऐसा विकल्प मिला कि अगर वे अपने क्षेत्र के किसी उम्मीदवार को पसंद नहीं करते हैं तो वे अपना मतदान नोटा पर कर सकते हैं।
16वीं लोकसभा के चुनाव में 2014 में पहली बार संसदीय चुनाव में नोटा की शुरुआत हुई। इसमें करीब 60 लाख मतदाताओं ने नोटा के विकल्प को चुना। यह लोकसभा चुनाव में हुए कुल मतदान का 1.1 फीसदी था, वहीं 17वें लोकसभा चुनाव में गोपालगंज में सबसे ज्यादा 51,660 मतदाताओं ने नोटा का बटन दबाया। कुल 5.04 फीसदी मतदाताओं ने नोटा का इस्तेमाल किया, जो देश में सबसे ज्यादा था।
पश्चिम चंपारण में (4.51 फीसदी), नवादा (3.73 फीसदी) और जहानाबाद (3.37 फीसदी) में मतदाताओं ने नोटा का इस्तेमाल किया।