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रायबरेली से पांचवीं बार भाग्य आजमाएंगी सोनिया गांधी, मात्र 3 बार कांग्रेस ने हारी है यह हाईप्रोफाइल सीट

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नई दिल्ली , रविवार, 10 मार्च 2019 (10:43 IST)
नई दिल्ली। आजादी के बाद से लगातार नेहरु-गांधी परिवार का साथ देती रही उत्तर प्रदेश की रायबरेली सीट से कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी पांचवीं बार भाग्य आजमाएंगी। इस सीट से तीन लोकसभा चुनाव और एक उपचुनाव जीत चुकी सोनिया गांधी की अस्वस्थता को देखते हुए यह माना जा रहा था कि इस बार वह चुनाव मैदान में नहीं उतरेंगी लेकिन कांग्रेस ने अपनी पहली ही सूची में उनका नाम शामिल कर इस तरह की अटकलों पर विराम लगा दिया।

सोनिया 2004 से लगातार इस सीट पर चुनाव जीत रहीं हैं। पिछले आम चुनाव में मोदी लहर के बावजूद रायबरेली के मतदाताओं ने उनका साथ दिया था और उन्हें भारी मतों से विजयी बनाया था।
 
रायबरेली सीट 1957 में अस्तित्व में आई थी। वहां अब तक 16 लोकसभा चुनाव और तीन उपचुनाव हुए हैं जिनमें से 16 बार कांग्रेस ने जीत हासिल की है। कांग्रेस को 1977 में यहां पहली बार हार का सामना करना पड़ा था और 1996 तथा 1998 में भाजपा ने जीत दर्ज की थी। वर्ष 1999 के बाद से इस सीट पर कांग्रेस का लगातार कब्जा है।
 
सोनिया ने रायबरेली से पहली बार 2004 में चुनाव लड़ा था और करीब ढाई लाख मतों से जीत हासिल की थी। उस समय उन्होंने संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन तैयार करने में विशेष भूमिका निभाई थी। इन चुनावों के बाद केंद्र में कांग्रेस के नेतृत्व में इस गठबंधन की सरकार बनी थी। गठबंधन सरकार ने सोनिया की अध्यक्षता में राष्ट्रीय सलाहकार परिषद का गठन किया था। लाभ के पद को लेकर विवाद खड़ा होने पर उन्होंने 2006 में लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था। इस सीट पर हुए उपचुनाव में रायबरेली के लोगों ने उन्हें फिर से अपना सांसद चुना।
 
कांग्रेस अध्यक्ष रहते उन्होंने 2009 और 2014 में भी यहीं से चुनाव लड़ा और जीत का सिलसिला बरकरार रखा। मोदी लहर के बावजूद पिछले चुनाव में वह साढ़े तीन लाख से अधिक मतों से जीती थीं। पिछले चुनाव में कांग्रेस रायबरेली के अलावा अमेठी में ही जीत दर्ज कर पाई थी। भाजपा ने प्रदेश की 80 में से 71 सीटों पर कब्जा किया था।
 
इस सीट के चुनावी इतिहास पर नजर डाली जाये तो 1971 तक इस सीट पर लगातार कांग्रेस ने जीत हासिल की। आपातकाल के बाद 1977 में हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को पहली बार हार का सामना करना पड़ा था जब भारतीय लोकदल के राजनारायण ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को शिकस्त दी लेकिन उसके तीन वर्ष बाद हुए सातवीं लोकसभा के चुनाव में रायबरेली के मतदाताओं ने एक बार फिर इंदिरा गांधी के नाम पर मोहर लगाई। उस समय वह आंध्र प्रदेश के मेडक से भी चुनाव जीती थीं तथा उन्होंने इस सीट से इस्तीफा दे दिया था। इस पर हुए उपचुनाव में नेहरु परिवार के सदस्य अरुण नेहरु कांग्रेस के उम्मीदवार के रुप में चुनाव जीते और 1984 के चुनाव में भी उन्होंने इस पर अपना कब्जा बरकरार रखा।
 
इंदिरा गांधी इस सीट से 1967, 1971 और 1980 में चुनाव जीतीं। उनके पति फिरोज गांधी ने 1957 में इस सीट से जीत हासिल की थी। नेहरु-गांधी परिवार की एक अन्य सदस्य शीला कौल ने 1989 और 1991 में यहां से जीत हासिल की।
 
भाजपा ने 1996 में पहली बार इस सीट पर जीत का स्वाद चखा। उसके उम्मीदवार अशोक सिंह ने शीला कौल के पुत्र दीपक कौल को हराया था। सिंह ने 1998 में हुए चुनाव में भी इस सीट पर अपना कब्जा बरकरार रखा। इसके एक वर्ष बाद ही 1999 में हुए चुनाव में यह सीट फिर से कांग्रेस के पास आ गई। तब गांधी परिवार के खास कैप्टन सतीश शर्मा रायबरेली से चुनाव जीते थे। (वार्ता) 
 

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