साध्वी प्रज्ञा ठाकुर के बाद लोकसभा अध्यक्ष और इंदौर से वर्तमान सांसद सुमित्रा महाजन ने मुंबई आतंकवादी हमले के दौरान शहीद हुए पुलिस अधिकारी हेमंत करकरे की भूमिका पर सवाल उठाते हुए कहा कि महाराष्ट्र आतंकवाद निरोधी दस्ते (एटीएस) के प्रमुख के रूप में करकरे की भूमिका संदेह से परे नहीं थी।
महाजन ने कहा कि चूंकि करकरे को शहीद के रूप में ही जाना जाएगा क्योंकि वे ड्यूटी के दौरान आतंकवादियों की गोली का शिकार हुए थे, लेकिन एटीएस प्रमुख के रूप में उनकी भूमिका संदेह से परे नहीं थी।
सुमित्रा महाजन ने आरोप लगाया कि उनके पास अपनी बात के लिए कोई सबूत नहीं हैं, लेकिन उन्होंने सुना है कि कांग्रेस नेता और भोपाल से पार्टी के उम्मीदवार दिग्विजयसिंह करकरे के दोस्त थे। दिग्विजय पर निशाना साधते हुए ताई ने कहा कि सिंह जब मप्र के सीएम थे तब वे संघ पर बम बनाने और आतंकी संगठन होने का आरोप लगाया करते थे। उन्होंने आरोप लगाया कि महाराष्ट्र एटीएस द्वारा इंदौर से की गई गिरफ्तारी पूर्व सीएम दिग्विजय के इशारे पर हुई थी।
दिग्विजय का जवाब : जवाब में दिग्विजय ने ट्वीट कर कहा कि सुमित्रा ताई, मैं धार्मिक उन्माद फैलाने वालों के हमेशा ख़िलाफ़ रहा हूं। मुझे गर्व है कि मुख्यमंत्री रहते हुए मुझमें सिमी और बजरंग दल दोनों को बैन करने की सिफारिश करने का साहस था। मेरे लिए देश सर्वोपरि है, ओछी राजनीति नहीं।
सुमित्रा ताई, मुझे गर्व है कि अशोक चक्र विजेता शहीद हेमंत करकरे के साथ आप मुझे जोड़ती हैं। आपके साथी उनका अपमान भले ही करें, मुझे गर्व है कि मैं सदैव देशहित, राष्ट्रीय एकता और अखंडता की बात करने वालों के साथ रहा हूं।