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जेल से बाहर आए बाहुबली अनंत सिंह, चुनाव के बीच जमीन बंटवारे के लिए मिली पेरोल

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वेबदुनिया न्यूज डेस्क

, रविवार, 5 मई 2024 (13:23 IST)
Anant Singh released from jail : लोकसभा चुनाव के बीच बाहुबली नेता अनंत सिंह को जमीन बंटवारे के लिए 15 दिन की पेरोल मिल गई। अनंत सिंह आज पटना की बेउर जेल से आज सुबह रिहा कर दिया गया। समर्थकों ने फूलों का हार पहनाकर उनका स्वागत किया। बिहार की मुंगेर लोकसभा सीट पर 13 मई को चौथे चरण के तहत मतदान होना है। मतदान से पहले अनंत सिंह की जेल से रिहाई को लेकर राज्य की सियासत गरमा गई।

अप्रैल में बाहुबली नेता और पूर्व विधायक अनंत सिंह की अचानक तबीयत बिगड़ गई थी। इस पर उन्हें तुरंत आईजीआईएमएस अस्पताल में भर्ती कराया गया। जांच में किडनी की परेशानी सामने आई। उनका क्रियेटिनिन लेवल भी बढ़ा हुआ था। ALSO READ: जेल में बिगड़ी अनंत सिंह की तबियत, जानिए संन्यासी से कैसे बना बिहार का बाहुबली?
 
लोकसभा चुनाव 2024 में अनंत सिंह सत्तारुढ़ जदयू के करीब नजर आ रहे हैं। कहा जा रहा है कि वे खुले तौर पर चुनाव प्रचार ना भी करें, तो भी वह मुंगेर में अपने स्तर से जेडीयू के लोकसभा उम्मीदवार ललन सिंह को फायदा पहुंचा सकते हैं।
 
क्या बोले राजद नेता मृत्युंजय तिवारी : अनंत सिंह को पैरोल मिलने पर राष्ट्रीय जनता दल के प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि सरकार ने पैरोल दे दिया है लेकिन सरकार में बेचैनी बढ़ गई है। अब सरकार बाहुबल, धनबल का प्रयोग कर रही है और बाहुबल धनबल के भरोसे किसी तरह से कुछ सीट जीतना चाह रही है. लेकिन ये संभव नहीं क्योंकि जनबल तेजस्वी यादव के साथ है।
 
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संन्यासी से कैसे बाहुबली बना अनंत सिंह : नब्बे के दशक में अनंत सिंह का परिवार भले ही बिहार में अपराध की दुनिया के साथ चुनावी राजनीति में तेजी से आगे बढ़ रहा हो लेकिन चार भाईयों में सबसे छोटा अनंत सिंह इन सबसे दूर वैराग्य लेकर पटना से कोसों दूर हरिद्धार में साधु बन ईश्वर की आरधना में लीन हो गया था।
 
लेकिन कहते है न कि होइहि सोइ जो राम रचि राखा..अनंत सिंह के जीवन पर उक्त लाइन एकदम सटीक बैठती है। सियासी अदावत में अनंत सिंह के बड़े भाई बिरंची सिंह की दिनदहाड़े हत्या कर दी जाती है। भाई की हत्या की खबर सुनकर अनंत सिंह का खून खौल उठता है और भाई के हत्यारों को मौत के घाट उतारने के लिए वह वापस बिहार लौटता है और अपने भाई की हत्या का बदला ले लेता है।
 
भाई के हत्यारे को मौत के घाट उतारने के साथ ही अनंत सिंह ने अपराध की दुनिया का बेताज बदशाह बढ़ने की ओर अपने कदम बढ़ा दिए और वह देखते ही देखते बिहार की राजनीति में भूमिहारों का सबसे बड़ा चेहरा बन बैठा।  
इसके बाद तो अनंत सिंह के नाम का डंका बजने लगा। अपराध की दुनिया में अनंत सिंह के अपराध की अनंत कथाएं पुलिस की फाइलों में एक के बाद दर्ज होनी शुरू हो गई है। बेहद शातिर, चालाक अनंत सिंह देखते ही देखते अपराध की दुनिया का बेताज बदशाह बन गया है। उसको न तो पुलिस का खौफ था और न ही कानून का डर। उसके खिलाफ 38 आपराधिक मामले दर्ज है।
 
राजनीति में अनंत सिंह की एंट्री : अपराध की दुनिया में अनंत सिंह का बढ़ता कद अब बिहार के सबसे बड़े बाहुबली नेता सूरजभान को खटकने लगा था। सूरजभान उस बाहुबली नेता का नाम था जिसने साल 2000 के विधानसभा चुनाव में अनंत सिंह के भाई दिलीप सिंह को मोकामा सीट से मात दी थी। विधायक बनने के बाद 2004 में सूरजभान बलिया सीट से सांसद बन गया। सूरजभान के सांसद बनने के बाद अब अनंत सिंह पर पुलिसिया प्रेशर बढ़ने लगा। 2004 में बिहार एसटीएफ ने अनंत सिंह के घर को घेर कर उसका एनकाउंटर करने की कोशिश की लेकिन अनंत सिंह बच निकला। 
 
अनंत सिंह अब तक इस बात को अच्छी तरह जान चुका था कि सूरजभान से मुकाबला करने के लिए उसको राजनीति के मैदान में उतरना ही पड़ेगा जिसके बाद वह साल 2005 के चुनाव में पहली बार मोकामा सीट से नीतीश की पार्टी जेडीयू के टिकट पर चुनावी मैदान में उतरा और अपराधी से माननीय विधायक जी बन गया। 
 
अनंत सिंह का विधायक बनना और फिर नीतीश कुमार का सत्ता में आना, मानो अनंत सिंह के लिए मुंह मांगी मुराद पूरी होने जैसा था। सत्तारूढ़ पार्टी का विधायक बनने के बाद उसके अपराधों की रफ्तार और तेजी से बढ़ती गई। इसके बाद 2010 में फिर अनंत सिंह फिर जेडीयू के टिकट पर मोकामा से चुनाव जीत गया। पुलिस की फाइलों का दुर्दांत अपराधी अनंत सिंह अब ‘छोटे सरकार’ के नाम से पहचाने जाना लगा था। मोकामा के लोगों के लिए अनंत सिंह ‘दादा’ बन कर और गरीबों के मसीहा यानि रॉबिनहुड बन बैठे।
 
बाहुबली अनंत सिंह मोकामा विधानसभा सीट से लगातार पांच बार विधायक चुने जा चुके हैं। जेल चुनाव लड़ते हुए आरजेडी के उम्मीदवार अनंत सिंह ने बड़ी जीत हासिल करते हुए जेडीयू उम्मीदवार राजीव लोचन नारायण सिंह को 20,194 मतों से हराया। फिलहाल वे लोकसभा चुनाव में NDA उम्मीवार का समर्थन कर रहे हैं।
Edited by : Nrapendra Gupta 

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