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दिग्विजय का सवाल, कच्चातीवु द्वीप पर कोई रहता है क्या?

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वेबदुनिया न्यूज डेस्क

, बुधवार, 10 अप्रैल 2024 (15:26 IST)
kachchatheevu : तमिलनाडु लोकसभा चुनावों में कच्चातिवु एक बड़ा मुद्दा बनता नजर आ रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस मामले में लगातार कांग्रेस पर निशाना साध रहे हैं। कच्चातीवु द्वीप को लेकर प्रधानमंत्री मोदी के बयान पर कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने कहा कि उस द्वीप पर कोई रहता है क्या? मैं पूछना चाहता हूं।
उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को तमिलनाडु के वेल्लोर की रैली में भी कच्चातीवु का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने अपनी सरकार के दौरान कई दशक पहले कच्चातिवु द्वीप श्रीलंका को दे दिया। किस कैबिनेट में ये निर्णय हुआ? इस पर कांग्रेस की बोलती बंद है।
 
उन्होंने कहा कि बीते वर्षों में उस द्वीप के पास जाने पर तमिलनाडु के हजारों मछुआरे गिरफ्तार हुए हैं। उनकी नौकाएं गिरफ्तार कर ली गई हैं। गिरफ्तारी पर कांग्रेस और DMK झूठी हमदर्दी दिखाते हैं, लेकिन ये लोग तमिलनाडु के लोगों को ये सच नहीं बताते हैं कि कच्चातिवु द्वीप इन लोगों ने स्वयं श्रीलंका को दे दिया।
 
उन्होंने कहा कि NDA सरकार ऐसे मछुआरों को निरंतर रिहा कराकर वापस ला रही है। इतना ही नहीं 5 मछुआरों को श्रीलंका ने फांसी की सजा दे दी थी। वह उनको भी जिंदा वापस लेकर आए हैं। DMK और कांग्रेस सिर्फ मछुआरों के नहीं बल्कि देश के भी गुनहगार हैं।
क्या है कच्चातीवु विवाद : कहां है कच्चातीवु द्वीप (Kachchativu island) : कच्चातिवु द्वीप रामेश्वरम से सिर्फ 25-30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। कच्चातीवु पिछले सौ साल से श्रीलंका और भारत में विवाद का विषय रहा था। यह द्वीप 14वीं सदी में ज्वालामुखी विस्फोट से बना है। इस द्वीप पर तभी से रामेश्वरम के आसपास के मछुआरे मछली पकड़ते रहे हैं। साथ द्वीप एक सालाना उत्सव में भाग लेते रहे हैं। 
 
1921 में श्रीलंका ने किया दावा : 1921 में श्रीलंका ने इस पर दावा कर दिया और इसे विवादित क्षेत्र बना दिया। हालांकि इसके बावजूद पारंपरिक रूप से श्रीलंका के तमिलों और तमिलनाडु के मछुआरे इसका इस्तेमाल करते रहे हैं लेकिन पिछले कुछ साल से श्रीलंका यहां भारतीय मछुआरों को न सिर्फ परेशान करता है बल्कि उसे गिरफ्तार भी कर लेता है।
 
इंदिरा गांधी ने किया गिफ्ट : 1974 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और श्रीलंका की तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमाओ भंडारनायके के बीच हुए समझौते में यह द्वीप ने भारत ने श्रीलंका को गिफ्ट में दे दिया। उस समझौते की संसद ने कोई पुष्टि नहीं की थी, जिस पर सवाल उठता है कि इंदिरा गांधी को यह अधिकार किसने दिया था कि वह भारत की जमीन का एक टुकड़ा किसी अन्य देश को उपहार स्वरूप दे दे।
 
जयललिता ने बनाया था मुद्दा : जिस समय इंदिरा गांधी ने कच्चातीवु द्वीप श्रीलंका को उपहारस्वरूप दे दिया था तब स्टालिन के पिता एम. करुणानिधि तमिलनाडु के मुख्यमंत्री थे। उस समय एम. करुणानिधि ने श्रीलंका को कच्चातीवु द्वीप देने का उस ढंग से विरोध नहीं किया था, जैसे उन्हें करना चाहिए था। इसके बाद जयललिता ने अपने मुख्यमंत्रित्व काल में कच्चातीवु द्वीप को मुख्य राजनीतिक मुद्दा बना लिया था।   
 
क्या है श्रीलंका का पक्ष : श्रीलंका के मत्स्य पालन मंत्री डगलस देवानंद ने कहा कि कच्चातीवु द्वीप को श्रीलंका से वापस लेने संबंधी भारत से आ रहे बयानों का कोई आधार नहीं है। उन्होंने कहा कि यह भारत में चुनाव का समय है, कच्चातीवु के बारे में दावों और प्रतिदावे सुनना असामान्य नहीं है।
 
उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि भारत अपने हितों को देखते हुए इस जगह को हासिल करने पर काम कर रहा है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि श्रीलंकाई मछुआरों की उस क्षेत्र तक कोई पहुंच न हो और श्रीलंका संसाधन से युक्त इस क्षेत्र पर कोई अधिकार का दावा नहीं करे। कच्चातीवु को श्रीलंका से वापस लेने के बयानों का कोई आधार नहीं है।
 
श्रीलंकाई मंत्री ने कहा कि 1974 के समझौते के अनुसार दोनों पक्षों के मछुआरे दोनों देशों के क्षेत्रीय जल में मछली पकड़ सकते हैं लेकिन बाद में इसकी समीक्षा की गई और 1976 में इसमें संशोधन किया गया। तदनुसार, दोनों देशों के मछुआरों को पड़ोसी जलक्षेत्र में मछली पकड़ने पर प्रतिबंध लगा दिया गया।
 
देवानंद ने कहा कि वेस्ट बैंक नामक एक जगह होने का दावा किया जाता है जो कन्याकुमारी के नीचे स्थित है - यह व्यापक समुद्री संसाधनों के साथ एक बहुत बड़ा क्षेत्र है - यह कच्चातिवू से 80 गुना बड़ा है, भारत ने इसे 1976 के समीक्षा समझौते में सुरक्षित किया था।
Edited by : Nrapendra Gupta
 

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