मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह 30 साल बाद फिर अपने गढ़ से चुनावी मैदान में ताल ठोंक रहे है। दिग्विजय सिंह राजगढ़ लोकसभा सीट से चुनावी मैदान में है। चुनावी मैदान में उतरने के बाद दिग्विजय सिंह ने राजगढ़ लोकसभा सीट पर मतदाताओं तक पहुंचने के लिए पदयात्रा का आगाज कर दिया है। चुनाव में दिग्विजय सिंह का मुकाबला भाजपा प्रत्याशी रोडमल नागर से है जो पिछले 10 साल से राजगढ़ लोकसभा सीट का प्रतिनिधित्व कर रहे है। ऐसे में दिग्विजय ने भाजपा को घेरने के लिए एक अलग ही अंदाज में अपना चुनावी प्लान तैयार किया है।
चुनाव प्रचार की स्पेशल रणनीति-मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस उम्मीदवार दिग्विजय सिंह ने राजगढ़ लोकसभा चुनाव प्रचार के लिए स्पेशल रणनीति बनाई है। जिसके तहत वह राजगढ़ लोकसभा सीट की सभी विधानसभा में पदयात्रा करेंगे। इसके तहत राजगढ़ लोकसभा क्षेत्र में दिग्विजय सिंह ने रविवार को सुसनेर विधानसभा क्षेत्र से वादा निभाओ पदयात्रा का शुरुआत की जो आज दूसरे दिन खिलचीपुर विधानसभा में है। अपनी पदयात्रा में नुक्कड़ साभाओं के जरिए दिग्विजय सिंह भाजपा प्रत्याशी रोडमल नागर से 10 साल में क्षेत्र में किए गए विकास कार्यों का ब्यौरा मांगने के साथ विधानसभा चुनाव में भाजपा ने जो चुनावी वादे किए थे, उसको पूरा करने की मांग कर रहे है।
दिग्विजय सिंह की पदयात्रा के द्वारा हार विधानसभा के वोटर्स से जनसंपर्क कर रहे हैं। वे हर विधानसभा में 60 किलोमीटर की पदयात्रा करेंगे। इस दौरान उनके समर्थक साथ रहेंगे। इतना ही नहीं दिग्विजय सिंह के साथ पार्टी कार्यकर्ता भी अलग-अलग क्षेत्रों में पदयात्रा के जरिए वोटर्स से जनसंपर्क कर रहे है। दरअसल दिग्विजय सिंह को पदयात्रा का एक लंबा अनुभव है। 2018 के विधानसभा चुनाव से पहले उन्होंने नर्मदा परिक्रमा यात्रा की थी और 2018 के विधानसभा चुनाव में प्रदेश में कांग्रेस की जीत हुई थी। ऐसे में पदयात्रा दिग्विजय सिंह की राजनीतिक यात्रा में एक गेमचेंजर साबित होती आई है।
राजगढ़ में दांव पर दिग्विजय की प्रतिष्ठा-दरअसल राजगढ़ लोकसभा सीट के पहचान पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के गढ़ के रूप में होती रही है। मध्यप्रदेश की सियासत में राजा के नाम से पहचाने जाने वाले दिग्विजय सिंह राघौगढ़ रियासत से ताल्लुक रखते है, जो राजगढ़ संसदीय क्षेत्र में आती है। 1984 में दिग्विजय सिंह पहली बार राजगढ़ लोकसभा सीट से चुनाव जीते थे। वहीं 1991 में दिग्विजय सिंह आखिरी बार राजगढ़ लोकसभा सीट से चुनावी मैदान में उतरे थे। करीब तीस साल (1984 से 2014) 2014 तक राजगढ़ लोकसभा सीट कांग्रेस के गढ़ के रूप में पहचानी जाती थी तो इसका कारण दिग्विजय सिंह ही थे। दिग्विजय सिंह खुद दो बार राजगढ़ लोकसभा सीट से सांसद चुने गए तो उनके भाई लक्ष्मण सिंह पांच बार सांसद चुने गए।
मोदी लहर में गढ़ में लगी सेंध-2014 में मोदी लहर में राजगढ़ के किले पर भाजपा ने अपना कब्जा जमाया। 2014 और 2019 में लगातार दो बार भाजपा प्रत्याशी रोडमल नागर ने राजगढ़ लोकसभा सीट पर जीत हासिल की। 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी रोडमल नागर ने दिग्विजय सिंह के करीबी नारायण सिंह आमलाबे को दो लाख से अधिक वोटों से हराया। वहीं 2019 लोकसभा चुनाव में एक बार फिर भाजपा प्रत्याशी रोडमल नागर ने दिग्विजय सिंह के करीबी मोना सुस्तानी को चार लाख से अधिक वोटों से हराया।