EVM-VVPAT वेरिफिकेशन पर SC में 5 घंटे सुनवाई, फैसला सुरक्षित, EC- मशीन से छेड़छाड़ संभव नहीं
आयोग के 2017 के फैसले को उलटने की भी मांग
Lok Sabha Elections 2024 : सुप्रीम कोर्ट ने ईवीएम (EVM) के जरिए डाले गए मतों का वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपीएटी) के साथ पूर्ण मिलान की मांग वाली विभिन्न याचिकाओं पर अपना फैसला को सुरक्षित रख लिया। गुरुवार को इस पर करीब 5 घंटे तक सुनवाई चली।
न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने याचिकाओं पर निर्वाचन आयोग का जवाब सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।
याचिकाकर्ताओं ने वीवीपैट मशीनों पर पारदर्शी कांच को अपारदर्शी कांच से बदलने के आयोग के 2017 के फैसले को उलटने की भी मांग की है, जिसके जरिए कोई मतदाता केवल सात सेकंड के लिए रोशनी चालू होने पर ही पर्ची देख सकता है।
आयोग की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मनिंदर सिंह ने बताया कि ईवीएम किस प्रकार काम करती है। याचिकाकर्ताओं की ओर से वकील प्रशांत भूषण और वरिष्ठ वकील गोपाल शंकरनारायणन पेश हुए।
सुप्रीम कोर्ट ने 16 अप्रैल को इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (EVM) की आलोचना और मतपत्रों के जरिए चुनाव की लौटने की मांग की निंदा करते हुए कहा था कि भारत में चुनावी प्रक्रिया एक "बहुत बड़ा काम" है और "व्यवस्था को खराब करने" का प्रयास नहीं किया जाना चाहिए।
7 सेकंड तक जलती है VVPAT लाइट : प्रशांत भूषण ने केरल के लिए अखबार में छपी खबर का हवाला देते हुए कहा कि भाजपा के पक्ष में EVM में मॉक के समय एक अतिरिक्त वोट पड़ रहा था। इस पर अदालत ने चुनाव आयोग से इसे वेरीफाई करने को कहा। ADR के वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि वीवीपैट मशीन में लाइट 7 सेकंड तक जलती है। अगर वह लाइट हमेशा जलती रहे तो पूरा फंक्शन मतदाता देख सकता है।
क्या हो सकती है कोई छेड़छाड़ : सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि प्रोग्राम मेमोरी में कोई छेड़छाड़ हो सकती है. इस पर चुनाव आयोग ने कहा कि इसे बदला नहीं जा सकता, यह एक फर्मवेयर है, जो सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर के बीच का है। इसे बिल्कुल भी नहीं बदला जा सकता
चुनाव आयोग ने पेश की प्रक्रिया : चुनाव आयोग ने कहा कि पहले रेंडम तरीके से ईवीएम का चुनाव करने के बाद मशीनें विधानसभा के स्ट्रांग रूम में जाती हैं और राजनीतिक दलों की मौजूदगी में लॉक किया जाता है।
सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि जब आप ईवीएम को जब भेजते हैं तो क्या उम्मीदवारों को टेस्ट चेक करने की अनुमति होती है। इस पर चुनाव आयोग ने बताया कि मशीनों को स्ट्रांग रूम में रखने से पहले मॉक पोल आयोजित किया जाता है। उम्मीदवारों को रैंडम मशीनें लेने और जांच करने के लिए पोल करने की अनुमति होती है। इनपुट एजेंसियां