Many independent candidates are trying their luck in Delhi : दिल्ली में चुनावी शोर के बीच कुछ उम्मीदवार ऐसे भी हैं, जिनके लिए न तो किसी के पास मालाएं हैं, न लाउडस्पीकर, न नारे, न पैसे और न लोगों की भीड़ लेकिन फिर भी बतौर निर्दलीय चुनाव लड़ने का इनका फैसला मतपत्र पर अपने नाम को देखने की चाहत के बजाय अपनी-अपनी कहानियों से प्रेरित है।
दिल्ली की सात लोकसभा सीट पर कुल 49 निर्दलीय उम्मीदवार चुनाव मैदान में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं, जिनमें से एक वेल्डर, एक मिस्त्री, एक पूर्व एमएनसी कर्मी, एक सामाजिक कार्यकर्ता और शेयर कारोबारी शामिल है। उत्तर-पश्चिमी दिल्ली लोकसभा सीट से चुनाव लड़ रहे मिस्त्री हरिकिशन ने कहा, लोकसभा चुनाव लड़ना अपने आप में बड़ी बात है। मेरे जैसा बमुश्किल 20 हजार रुपए महीना कमाने वाला व्यक्ति चुनाव लड़ने का फैसला करता है तो वह हर किसी की हंसी का पात्र बन सकता है, लेकिन भगवान जानता है कि मेरी मंशा सही है और मैं सिर्फ लोगों की सेवा करना चाहता हूं।
उत्तर-पश्चिमी दिल्ली लोकसभा सीट पर हरिकिशन (47) का मुकाबला भारतीय जनता पार्टी के योगेन्द्र चंदोलिया और कांग्रेस के उदित राज से है। रिठाला के रहने वाले हरि किशन ने कहा, मुझे वाकई में अच्छा समर्थन मिल रहा है, जिसकी वजह से मुझे चार जून को अच्छे परिणाम की उम्मीद जगी है। दिल्ली में 162 उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं, जिसमें से एक सुभाष चंद्र भी हैं।
राजधानी में लोकसभा चुनाव के छठे चरण के तहत 25 मई को मतदान होना है। शेयर कारोबारी (67) और प्रतिष्ठित चांदनी चौक लोकसभा सीट से भाजपा उम्मीदवार प्रवीण खंडेलवाल और कांग्रेस के पूर्व सांसद जयप्रकाश अग्रवाल को चुनौती दे रहे सुभाष चंद्र भी अपनी संभावनाओं को तलाश रहे हैं।
हरियाणा के सिरसा में रहने वाले सुभाष को घर-घर प्रचार करने के लिए हर दूसरे दिन आने-जाने में कोई दिक्कत नहीं है। पैसों की तंगी से जूझ रहे सुभाष पैसे बचाने के लिए अलग-अलग गुरुद्वारों में रात बिताते हैं। चुनाव लड़ने के पीछे उनका मकसद यह है कि एक भी सांसद संसद में जनता के मुद्दों को नहीं उठाता है।
उन्होंने कहा, प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी पहली सरकार में अच्छा काम किया था। अब वह भी दूसरों की तरह हो गए हैं। वह मुफ्त की रेवड़ियां बांटने में व्यस्त हैं और असली मुद्दों को छिपा रहे हैं। दिल्ली गैस चैंबर बन चुकी है और इस बारे में कोई कुछ नहीं कर रहा है।
अर्थशास्त्र में स्नातक और मानव संसाधन विकास प्रबंधन में स्नातकोत्तर अचला जेठमलानी को बेरोजगारी के मुद्दे ने चुनाव मैदान में कूदने के लिए प्रेरित किया। एमएनसी की पूर्व कर्मचारी जेठमलानी नई दिल्ली लोकसभा सीट से चुनाव मैदान में हैं, जिनका सामना भाजपा की बांसुरी स्वराज और आम आदमी पार्टी (AAP) प्रत्याशी सोमनाथ भारती से है।
कंपनी में काम करते वक्त अपने बचाए हुए पैसों से राजनीति में कदम रख रहीं 57 वर्षीय जेठमलानी ने कहा कि नौकरियों की कमी के मुद्दे को अगर हल नहीं किया गया तो यह सामाजिक अपराध को जन्म दे सकता है। भारत निर्वाचन आयोग के हालिया आंकड़ों के अनुसार, मतदाताओं का निर्दलीय उम्मीदवारों पर भरोसा कम हो रहा है और 1991 के बाद से '99 प्रतिशत' से अधिक उम्मीदवारों की जमानत जब्त हुई है।
पश्चिमी दिल्ली से चुनाव लड़ रहीं सामाजिक कार्यकर्ता अंजू शर्मा का एजेंडा बिल्कुल अलग है। 'आप' के साथ गठबंधन के बाद कांग्रेस का हाथ छोड़ने वाली पार्टी की पूर्व कार्यकर्ता ने कहा कि वह अपना सपना जी रही हैं। अपने व्यवसायी पति से वित्त और बच्चों से नैतिक समर्थन मिलने पर खुश 53 वर्षीय अंजू ने क्षेत्र के लोगों के सपनों को पूरा करने का वादा किया।
तिलक नगर की रहने वाली अंजू ने कहा, मुझे भले ही किसी राजनीतिक दल का समर्थन नहीं मिला लेकिन मुझे मेरे क्षेत्र के लोगों से समर्थन मिला है। वे मुझे जानते हैं। मैं पिछले कई वर्षों से उनकी बेहतरी के लिए कार्य कर रही हूं। पश्चिमी दिल्ली लोकसभा सीट पर अंजू का मुकाबला भाजपा की कमलजीत सहरावत और 'आप' के महाबल मिश्रा से है। (भाषा)
Edited By : Chetan Gour