- एक तरफ चमकती दमकती अयोध्या, दूसरी तरफ आशियानों के लिए बिलखते लोग
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किस प्रोजेक्ट की वजह से अयोध्या में गरीब हुए बेघर
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क्यों अयोध्या में ही नहीं जीत हिंदू हार्डलाइनर भाजपा
The real story of BJP losing Ayodhya : जिस राम मंदिर को सबसे बड़ा मुद्दा बनाकर भाजपा ने चुनाव लड़ा। उसी अयोध्या सीट से भाजपा को हार मिली है। आखिर ऐसी क्या बात है कि हिंदू हार्डलाइन की पार्टी माने जाने वाली भगवा ब्रिगेड भाजपा उसी जगह से हार गई, जहां उसने रामलला को टैंट से एक भव्य राम मंदिर में स्थापित किया।
ऐसा क्या हुआ कि अयोध्या की आस्था वोट में तब्दिल नहीं हो सकी। अपने जिस पवित्र कर्म पर भाजपा को सबसे ज्यादा भरोसा था, उसी जगह पर आखिर वो मात क्यों खा गई। आखिर लोग अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण ही तो चाहते थे। फिर ऐसा क्या हुआ कि इससे भी खुश नहीं हुए अयोध्यावासी, जानते हैं भाजपा में अयोध्या में हारने की पूरी कहानी अयोध्यावासियों की जुबानी...
एक तरफ चमकती दमकती अयोध्या, दूसरी तरफ अपने आशियानों के लिए बिलखते लोग। एक तरफ विकास, दूसरी तरफ विकास की भेंट चढे गरीब परिवार। लोकसभा चुनावों के नतीजों के बाद अयोध्या के दो चेहरों की कुछ ऐसी ही तस्वीर सामने आ रही है।
क्या आवाजें आ रही अयोध्या से : गरीबों को घर से झोपड़ी में लाएंगे, भगवान का मंदिर बनाएंगे, मस्जिद बनाएंगे गरीब का झोपड़ा तोड़कर। राम के भक्त बनते हो, राम के भक्तों को तकलीफें दे रहे हो। वो सरकार सरकार नहीं है, जो घर तोड़ती है। पत्थर के भगवान की इज्जत और जिंदा लोगों की इतनी बेकदरी। लाख मंदिर बनवा दो, लाख भगवान बना दो। इससे कोई भगवान खुश नहीं होगा। ऐसे रोते बिलखते कई परिवारों के वीडियो सामने आ रहे हैं, जो बेघर हो गए हैं।
राम मंदिर निर्माण के लिए घर और दुकान तोड़े गए: दरअसल, अयोध्या से जो वीडियो सामने आ रहे हैं, उनमें कई लोगों को यह सब कहते सुना जा सकता है। यहां अयोध्या में 14 किलोमीटर लंबा रामपथ बनाया गया। इसके अलावा भक्ति पथ और रामजन्मभूमि पथ भी बना। ऐसे में इसकी जद में आने वाले घर और दुकानें टूटीं, लेकिन मुआवजा सभी को नहीं मिल सका। उदाहरण के तौर पर अगर किसी शख्स की 200 साल पुरानी कोई दुकान थी, लेकिन उसके पास कागज नहीं थे तो उसकी दुकान तो तोड़ी गई, लेकिन मुआवजा नहीं दिया गया। मुआवजा केवल उन्हें मिला, जिसके पास कागज थे। ऐसे में लोगों के बीच नाराजगी थी। जिसे उन्होंने वोट न देकर जाहिर किया।
जमीन अधिग्रहण से स्थानीय लोग नाराज : लक्ष्मीकांत तिवारी ने इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए कहा, स्थानीय मुद्दे थे, जो केंद्र में थे। अयोध्या के कई गांव के लोग मंदिर और एयरपोर्ट के आसपास हो रहे जमीन अधिग्रहण से नाराज थे। साथ ही, बसपा के वोट सपा को स्थानांतरित हो गए, क्योंकि अवधेश प्रसाद एक दलित नेता हैं। नौ बार के विधायक और सपा के प्रमुख दलित चेहरों में से एक अवधेश प्रसाद ने लल्लू सिंह को 54,567 वोटों के अंतर से हराया, जो तीसरी बार फिर से निर्वाचित होने की कोशिश कर रहे थे।
संविधान पर बयान पड़ा भारी : अयोध्या से बीजेपी उम्मीदवार लल्लू सिंह का संविधान को लेकर दिया गया उनका बयान भारी पड़ गया। लल्लू सिंह वही नेता हैं, जिन्होंने कहा था कि मोदी सरकार को 400 सीट इसलिए चाहिए क्योंकि संविधान बदलना है। उनके इस बयान का खामियाजा बीजेपी को भुगतना पड़ा।
अयोध्या छोड़िए… इसके आसपास 100-100 किलोमीटर तक नहीं जीत पाई भाजपा
बता दें कि भाजपा को सिर्फ कैसरगंज-गोंडा पर जीत नसीब हुई है। अयोध्या लोकसभा से सटी हुई कैसरगंज और गोंडा संसदीय सीट ही बीजेपी जीतने में सफल रही। इसके अलावा अयोध्या से लेकर बलिया तक पूरी तरह बीजेपी का सफाया हो गया। अयोध्या से लगी बाराबंकी सीट पर कांग्रेस के प्रत्याशी तनुज पुनिया ने बीजेपी उम्मीदवार राजरानी रावत को 215704 वोट से हराया है। इसी तरह से अयोध्या से सटी अमेठी लोकसभा सीट पर बीजेपी के केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी को कांग्रेस के किशोरी लाल शर्मा से करी 1 लाख 62 हजार वोटों से चुनाव हार गई। ऐसे ही अयोध्या से लगी सुल्तानपुर लोकसभा सीट सपा के राम भुआल निषाद ने बीजेपी के दिग्गज नेता मेनिका गांधी को हराने में सफल रहे।
क्या चल रहा सोशल मीडिया में : अयोध्या सीट हारने पर सोशल मीडिया में भी भूचाल सा आ गया है। लोग अयोध्या के वोटर्स को कोस रहे हैं। एक फेसबुक और एक्स की पोस्ट में लिखा जा रहा है कि... अच्छा हुआ रामायण में रामजी रावण से युद्ध करने के लिए बंदरो और भालुओ को ही ले गए थे! अगर अयोध्या वालो को ले जाते तो सोने की लंका में सोने के चक्कर में रावण से भी समझौता कर लेते।
कई फेसबुक पोस्ट में कहा जा रहा है कि वतन की असली भक्ति मध्यप्रदेश से सीखना चाहिए। बता दें कि लोकसभा चुनाव में मध्यप्रदेश में सभी 29 सीटें भाजपा ने जीती हैं।
एक पोस्ट यह वायरल हो रही है, जिसमें कहा जा रहा है कि लगता है अयोध्या अभी अयोध्या नहीं बनी है, यह अभी भी फैजाबाद है।
Edited by Navin Rangiyal