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सुप्रीम कोर्ट ने EVM की आलोचना पर जताई नाखुशी, बूथ पर कब्जे का किया जिक्र

कहा, वीवीपैट एक स्वतंत्र वोट सत्यापन प्रणाली

हमें फॉलो करें supreme court

वेबदुनिया न्यूज डेस्क

, बुधवार, 17 अप्रैल 2024 (00:37 IST)
Supreme Court expressed unhappiness over criticism of EVM : उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने मंगलवार को इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) की आलोचना और मतपत्रों को वापस लाने का आह्वान करने के कदम पर नाखुशी जताई और कहा कि भारत में चुनावी प्रक्रिया (electoral process) एक बहुत बड़ा काम है और तंत्र को कमजोर करने का प्रयास नहीं किया जाना चाहिए।

 
न्यायालय ने इस बात का भी जिक्र किया कि कैसे चुनाव परिणामों में हेरफेर करने के लिए मतपत्र के दौर में मतदान केंद्रों को कब्जा लिया जाता था। शीर्ष अदालत ईवीएम के साथ 'वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल' (VVPAT) का उपयोग करके डाले गए वोटों के पूर्ण सत्यापन के अनुरोध करने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी।
 
वीवीपैट, एक स्वतंत्र वोट सत्यापन प्रणाली : वीवीपैट, एक स्वतंत्र वोट सत्यापन प्रणाली है, जो मतदाता को यह देखने में सक्षम बनाती है कि उसका वोट सही ढंग से पड़ सका है या नहीं? न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने इस दलील की आलोचना की कि कई यूरोपीय देश वोटिंग मशीनों का परीक्षण करने के बाद मतपत्र के जरिए मतदान पर वापस लौट आए हैं।

 
तंत्र को कमजोर करने की कोशिश न करें : न्यायमूर्ति दत्ता ने गैर सरकारी संगठन 'एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स' की ओर से पेश वकील प्रशांत भूषण से कहा कि यह (भारत में चुनाव) एक बहुत बड़ा कार्य है। कोई भी यूरोपीय देश ऐसा करने में सक्षम नहीं हो सकता। आपने जर्मनी की बात की लेकिन वहां की आबादी कितनी है। मेरा गृहराज्य पश्चिम बंगाल जर्मनी से कहीं अधिक आबादी वाला है। हमें चुनावी प्रक्रिया में आस्था और विश्वास बनाए रखना होगा। इस तरह तंत्र को कमजोर करने की कोशिश न करें।
 
भारत में 98 करोड़ पंजीकृत मतदाता : भूषण ने जर्मनी का उदाहरण देते हुए मतपत्र से चुनाव कराने पर लौटने की वकालत की थी। पीठ ने कहा कि भारत में लगभग 98 करोड़ पंजीकृत मतदाता हैं। इसने कहा कि कुछ मानवीय त्रुटियों के कारण मतों की गिनती में कुछ विसंगति हो सकती है, लेकिन इसे रोका और सुधारा जा सकता है।
न्यायमूर्ति खन्ना ने अतीत में बूथ कब्जाने का जिक्र करते हुए कहा कि श्रीमान भूषण, हम सभी ने 60 का दशक देखा है। हमने देखा है कि पहले क्या होता था, जब ईवीएम नहीं थे। हमें यह आपको बताने की जरूरत नहीं है। पीठ ने अदालत में मौजूद निर्वाचन आयोग के अधिकारियों से ईवीएम की कार्यप्रणाली, उनके भंडारण और डेटा हेरफेर की संभावना के बारे में सवाल किए।
 
पीठ ने आयोग की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मनिंदर सिंह से कहा कि हम चाहते हैं कि आप हमें ईवीएम के बारे में 'ए' से 'जेड' तक प्रत्येक विवरण से अवगत कराएं। भूषण ने कहा कि वे यह भी चाहते हैं कि प्रत्येक मतदाता को वीवीपैट मशीन से डाले गए वोट की पर्ची एकत्र करने और उसे मतपेटी में डालने की अनुमति दी जानी चाहिए।(भाषा)
 
Edited by: Ravindra Gupta

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