अयोध्या में भगवान श्रीराम की प्राण प्रतिष्ठा का निमंत्रण को कांग्रेस पार्टी ने अमर्यादित भाषा का इस्तेमाल कर ठुकरा दिया। इससे मुझे आघात पहुंचा। मैं अयोध्या में राममंदिर निर्माण का पक्षधर शुरु से रहा हूं। इसलिए मैंने भाजपा में शामिल होने का निर्णय लिया।– सुरेश पचौरी, पूर्व केंद्रीय मंत्री
अयोध्या में राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के न्योते को कांग्रेस ने ठुकराया, मुझे इसी बात का बुरा लगा था। इसी के चलते मैंने भारतीय जनता पार्टी का दामन थामा है।– संजय शुक्ला,पूर्व विधायक
अयोध्या में भगवान राम के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम का कांग्रेस की ओर से बहिष्कार किए जाने के फैसले से बेहद आहत होकर मैं भाजपा में शामिल हुआ हूं- जगत बहादुर अन्नू- महापौर जबलपुर
राम किसी पार्टी के नहीं हैं। वे बीजेपी या आरएसएस के नहीं हैं। वे सनातन धर्म को मानने वाले करोड़ों लोगों के दिल में हैं। ऐसे में कांग्रेस को अस्वीकार्य पत्र जारी नहीं करना चाहिए था। हमारी लड़ाई अयोध्या या राम मंदिर से नहीं है। हमारी लड़ाई हिंदुओं से नहीं है।– आचार्य प्रमोद कृष्णम
लोकसभा चुनाव से ठीक पहले मध्यप्रदेश में कांग्रेस के इन चार बड़े नेताओं ने पिछले दिनों भाजपा का दामन थामा। भाजपा में शामिल होने के पीछे इन चारों बड़े नेताओं ने एक मात्र कारण अयोध्या में राममंदिर के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम का न्योता कांग्रेस की ओर ठुकराना बताया। अयोध्या में राममंदिर के निर्माण के बाद मध्यप्रदेश समेत देश के कई राज्यों में कांग्रेस के बड़े नेता इन दिनों भाजपा में शामिल हो रहे है। भाजपा में शामिल होने के पीछे सभी नेता एकमात्र कारण राममंदिर पर कांग्रेस पार्टी के स्टैंड को बता रहे है।
ऐसे में सवाल खड़ा हो रहा है कि क्या राममंदिर पर कांग्रेस पार्टी का स्टैंड अब उसके गले की फांस बन गया है। लोकसभा चुनाव की तारीखों के एलान से ठीक पहले अयोध्या में राममंदिर के प्राण प्रतिष्ठा के बाद जमीनी स्तर पूरा चुनाव राममंदिर के आसपास ही घूमता नजर आ रहा है। भाजपा लोकसभा चुनाव में राममंदिर के मुद्दें पर सियासी माइलेज लेने में जुट गई है। अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह बयान कि कि वह भगवान राम से क्षमा याचना करते हैं, क्यों कि हमारे पुरुषार्थ, त्याग, तपस्या में कुछ तो कमी रह गई होगी कि इतनी सदियों तक यह कार्य नहीं किया जा सका, लेकिन आज वह कमी पूरी हुई है। भगवान राम आज हमें अवश्य क्षमा करेंगे।
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव कहते हैं कि कांग्रेस द्वारा राम मंदिर के मामले में किए गए व्यवहार को पूरे देश में एक बड़ी गलती माना है। प्राण-प्रतिष्ठा के कार्यक्रम का न्यौता ठुकराकर कांग्रेस ने बड़ी गलती की है, जिसकी निंदा देश की जनता ने भी की है। उनके इस व्यवहार के कारण कांग्रेस के नेता और कार्यकर्ता भी असमंजस में हैं। अनके कांग्रेस के नेता भाजपा की ओर आकर्षित हो रहे हैं।
पीएम मोदी के इस बयान से साफ हो गया था कि भाजपा राममंदिर के मुद्दें को पूरे चुनाव में जोर-शोर से भुनाएगी। वहीं अब लोकसभा चुनाव की तारीखों का एलान हो चुका है तब भाजपा का हर छोड़ा और बड़ा नेता अपने हर मंच से राममंदिर के मुद्दें पर कांग्रेस को घेर रहा है। वहीं उत्तर प्रदेश से लेकर मध्यप्रदेश तक वोटर्स से बात करने पर एक बात एकदम साफ हो रही है कि इस बार लोकसभा चुनाव में रामंदिर बड़ा मुद्दा है। बाते चाहे गांव के वोटर्स की हो या शहर के युवा वोटर्स की सभी इस बात को एक सुर में स्वीकार कर रहे है कि राममंदिर बनने का फायदा कांग्रेस पार्टी को सीधे चुनाव में मिलेगा।
मध्यप्रदेश में प्रत्याशी चयन में कांग्रेस को चुनौती- अयोध्या में राममंदिर के निर्माण के बाद जो माहौल बना है और जिस तरह से मध्यप्रदेश में कांग्रेस नेताओं में भगदड़ मची है उसके बाद कांग्रेस को लोकसभा चुनाव के लिए प्रत्याशी चयन करने में चुनौती का सामना करना पड़ा रहा है। कांग्रेस नेताओं के लाख दावाओं के बाद पार्टी अब तक सभी 28 सीटों पर अपने उम्मीदवारों के नामों का एलान नहीं कर पाई है। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी अब तक प्रत्याशियों के नामों की एलान की जो भी डेडलाइन दे चुके है वह सभी फेल हो चुकी है। ऐसे में अब जब आज से मध्यप्रदेश में चुनावी प्रक्रिया शुरु हो चुकी है और प्रदेश में पहले चरण में जिन छह सीटों पर चुनाव होना है, वहां भी कांग्रेस प्रत्याशियों के नामों का एलान नहीं होना पार्टी के अंदर संकट को बताया रहा है।