Janata Dal United History: बिहार और झारखंड में असर रखने वाली राजनीतिक पार्टी जनता दल (यूनाइटेड) का गठन 30 अक्टूबर 2003 में हुआ। जनता दल से टूटकर बने इस दल के पहले अध्यक्ष शरद यादव बने। उस समय इसमें समता पार्टी और लोकशक्ति पार्टी का भी विलय हुआ। इस दल का चुनाव चिह्न तीर और झंडा हरे-सफेद रंग का है। वर्तमान में यह पार्टी भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) का हिस्सा है और इसके प्रमुख नीतीश कुमार हैं।
जेडीयू और भाजपा गठबंधन ने 2005 के बिहार विधानसभा चुनाव में राजद की अगुवाई वाले संप्रग गठबंधन को शिकस्त दी और नीतीश कुमार बिहार के मुख्यमंत्री बने। 2009 के लोकसभा चुनाव में एनडीए को बिहार में 32 सीटें मिलीं। इनमें जदयू को 20 तथा उसकी सहयोगी भाजपा को 12 सीटें हासिल हुईं।
इसी तरह 2010 के बिहार विधानसभा चुनाव में भी इस गठबंधन ने अच्छी सफलता अर्जित की। 243 सदस्यों वाली बिहार विधानसभा में तब जदयू को 115 और भाजपा को 91 सीटें मिली थीं। एक बार फिर नीतीश बिहार के मुख्यमंत्री बने। भाजपा-जदयू गठबंधन 2014 आते-आते टूट गया। 2014 के लोकसभा चुनाव में नरेन्द्र मोदी को भाजपा द्वारा चुनाव प्रचार कमेटी का प्रमुख बनाए जाने के विरोध में जदयू ने भाजपा के साथ 17 साल पुराना गठजोड़ तोड़ दिया। इसके चलते शरद यादव को भी एनडीए का संयोजक पद छोड़ना पड़ा था।
लोकसभा चुनाव में भाजपा से गठबंधन तोड़ने का खामियाजा नीतीश को भुगतना पड़ा। जेडीयू ने भाकपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ा लेकिन उसे उस चुनाव में बिहार की कुल चालीस लोकसभा सीटों में से सिर्फ दो पर ही सफलता मिली, जबकि भाजपा और उसके सहयोगी दल 32 सीटें जीतने में कामयाब रहे।
बिहार विधानसभा चुनाव 2015 में जेडीयू, आरजेडी और कांग्रेस ने मिलकर एनडीए के खिलाफ महागठबंधन बनाया और विधानसभा चुनाव में 178 सीटों पर जीत दर्ज की। नीतीश फिर मुख्यमंत्री बने, लेकिन 2017 आते-आते इस गठबंधन में दरार पड़ गई और नीतीश ने लालू की पार्टी राजद का साथ छोड़कर एक बार फिर भाजपा का दामन थाम लिया। इतना ही नहीं पार्टी के संस्थापक अध्यक्ष रहे शरद यादव भी जदयू से अलग हो गए।
नीतीश कुमार का आया राम गया राम का सिलसिला यूं ही चलता रहा। वे एक बार फिर राजद के साथ आए, लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले वे फिर एनडीए में शामिल हो गए। यही कारण रहा कि नीतीश राजनीति के गलियारों में पलटूराम के नाम से मशहूर हो गए।