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हेमा मालिनी ने चला जाति कार्ड, कहा- मैं जाटों की बहू और ब्राह्मण की बेटी

हमें फॉलो करें हेमा मालिनी ने चला जाति कार्ड, कहा- मैं जाटों की बहू और ब्राह्मण की बेटी

वेबदुनिया न्यूज डेस्क

Mathura Lok Sabha constituency: मथुरा लोकसभा क्षेत्र से एक दशक राष्ट्रीय राजनीति में बिताने के बावजूद ‘ड्रीमगर्ल’ हेमा मालिनी (Hema Malini) खुद को मंजी हुई राजनेता नहीं मानतीं, लेकिन उनका कहना है कि इस बार के लोकसभा चुनाव (Lok Sabha elections 2024) में मतदाता उनके काम और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नाम पर भाजपा को वोट देंगे। इस बीच, हेमा ने जाति कार्ड भी चल दिया है। उन्होंने खुद जाटों की बहू और ब्राह्मण बताया है।  
 
मथुरा लोकसभा सीट से दो बार की सांसद हेमा ने एक विशेष इंटरव्यू में कहा कि सांसद होने के नाते मैं यहां के लिए बहुत कुछ कर सकती हूं। मैं कृष्णभक्त हूं। यदि मथुरा सीट नहीं होती तो मैं चुनाव ही नहीं लड़ती। मैं राजनीति में नहीं आना चाहती थी, लेकिन कृष्ण ने मुझे सेवा का मौका दिया है।
 
मेरा काम और मोदी का नाम : यह पूछने पर कि मथुरा के मतदाता 26 अप्रैल को चुनाव में हेमा मालिनी को वोट देंगे या नरेन्द्र मोदी के लिए वोट पड़ेंगे, उन्होंने कहा कि यह दोनों का संयोजन होगा। उन्होंने कहा कि मोदी जी ने पूरे देश के लिए इतना कुछ किया है, जिससे हमें वोट मिलेंगे। लेकिन, अगर आप पूछ रहे हैं कि मैंने क्या किया है तो मेरा काम खुद बोलता है।
प्रसिद्ध अभिनेता धर्मेंद्र जाट सिख हैं और उनकी पत्नी और जाट बहू होने के अलावा रालोद नेता जयंत चौधरी के राजग के साथ आने से जाट बहुल सीट पर हेमा को एक बार फिर फायदा मिलने की उम्मीद है। इसके अलावा 2022 के विधानसभा चुनाव में मथुरा लोकसभा की पांचों विधानसभा सीटों छाता, मांट, गोवर्धन, मथुरा और बलदेव पर भाजपा को मिली जीत भी उनके भीतर अपनी अपनी जीत के प्रति मजबूत भरोसा पैदा करती है।
 
जाटों की बहू हूं : एक सवाल के जवाब में हेमा ने कहा कि लगता है कि चुनाव एकतरफा रहने वाला है, लेकिन हमें अधिकतम वोट लेने के लिए मेहनत करनी है। मैं जाट बहू हूं और जाटों से मुझे बहुत प्यार मिला है। इसके अलावा मैं ब्राह्मण भी हूं। एक सवाल के जवाब में उनका कहना था कि सपनों का वृंदावन बनाने का काम अधूरा होने की वजह से वह तीसरी बार मथुरा लोकसभा सीट से चुनाव लड़ रही हैं।
उन्होंने कहा कि मुझे हमेशा से दुख था कि कृष्ण की जन्मभूमि को सुंदर क्यों नहीं रखा गया है। जब मैं सांसद बनी तो मैंने चीजों को बदलने की कोशिश की, लेकिन इतना पर्याप्त नहीं था। महत्वपूर्ण चीज है लोगों की मानसिकता बदलनी चाहिए। जब मैं साफ सफाई पर जोर देती हूं तो लोग मेरी आलोचना करते हैं और बहुत से कहते हैं कि उन्हें स्थानीय सांसद चाहिए क्योंकि उन्हें लगता है कि उन्हें वैसे ही जीते रहना चाहिए जैसा वे पिछले कई दशकों से जीते आ रहे हैं।
 
मेरा काम अभी अधूरा है : उन्होंने कहा कि मैंने पार्टी से कहा कि मेरा काम अभी यहां अधूरा है और मुझे तीसरी बार टिकट दिया गया। मेरे सपनों का वृंदावन बनाने की दिशा में काफी काम बाकी है और उसमें से आधा भी हो गया तो मुझे संतोष रहेगा। भाजपा ने उम्मीदवारों की पहली सूची में हेमा को मथुरा से प्रत्याशी बनाया था और 75 वर्ष की होने के बावजूद उन्हें टिकट दिया जाना भी पार्टी के अघोषित नियमों में एक अपवाद है।
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यह पूछने पर कि दो बार सांसद रहने के बाद अब क्या वह ‘बसंती’ की छवि से बाहर निकल आई हैं तो उन्होंने ‘ना’ में जवाब दिया। उन्होंने कहा कि मैं इस छवि से कभी बाहर नहीं निकलूंगी। यह सदैव मेरे साथ रहेगी। मैंने 200 से अधिक फिल्में की हैं और लोग आज भी मुझे ‘शोले’ की बसंती या ‘सीता और गीता’ या ‘बागबान’ के लिए जानते हैं। मैं थ्री इन वन हूं यानी एक अभिनेत्री, शास्त्रीय नृत्यांगना और राजनेता। मैं अभी भी देश-विदेश में नृत्य करती हूं और शास्त्रीय नृत्य के प्रति समर्पित हूं। फिल्मों में अच्छी भूमिका मिलेगी तो जरूर करूंगी। ये तीनों रोल मेरे हृदय के करीब हैं। 
कोई आकांक्षा नहीं, लेकिन... : यह पूछने पर कि मौका मिलने पर क्या सरकार में बड़ी भूमिका के लिए वह तैयार हैं, उन्होंने कहा कि मैं संतुष्ट प्राणी हूं और किसी चीज की आकांक्षा नहीं रही। लेकिन अगर मुझे कोई और भूमिका भी मिलती है तो मैं तैयार हूं। जो मुझे नहीं आता, वह मैं सीखती हूं और करती हूं।
 
ग्रामीण बहुल सीट पर क्या किसानों के आंदोलन का विपरीत असर उनके वोट बैंक पर पड़ेगा, यह पूछने पर उन्होंने कहा कि मामले को अनावश्यक तूल दिया गया है। उन्होंने कहा कि बृज क्षेत्र के किसान कतई नाराज नहीं हैं। उनकी हर समस्या का मैंने समाधान निकालने का प्रयास किया है। यह मसला इतना बड़ा नहीं था जितना बनाया गया है लेकिन मुझे यकीन है कि सरकार इसका हल निकाल लेगी।
 
श्रीकृष्ण जन्मभूमि पर टिप्पणी नहीं : उन्होंने कहा कि चुनाव में राम मंदिर अहम मुद्दा होगा लेकिन कृष्ण जन्मभूमि मसले पर उन्होंने कुछ भी बोलने से इंकार कर दिया। उन्होंने कहा कि राम मंदिर भी एक मसला होगा, लेकिन मोदी जी के कामों में यही एक नहीं है। उन्होंने अपना वादा पूरा करके रामलला को घर दिया और पूरे देश ने अश्रुपूरित नेत्रों से इसमें भाग लिया। इस तरह का भाव आध्यात्मिक मामले में मैंने देश में कभी नहीं देखा।
 
उन्होंने कहा कि श्रीकृष्ण जन्मभूमि का मामला अदालत के विचाराधीन है तो उस पर टिप्पणी करना सही नहीं होगा। अगर कृष्ण चाहेंगे तो यह भी हो जाएगा। बतौर सांसद 2014 से 2024 तक वह परिपक्व हुई हैं और उन्होंने स्वीकार किया कि पहले कार्यकाल में उन्हें चीजों की उतनी समझ नहीं थी। दूसरे कार्यकाल में बड़े और बेहतर काम किए, जिनमें रेलवे स्टेशन का सौंदर्यीकरण, एक विश्व स्तरीय थिएटर का निर्माण, फ्लायओवर, बृज तीर्थ विकास परिषद के साथ मिलकर सूरदास स्थल, रसखान समाधि का सौंदर्यीकरण, कुंडों की सफाई आदि शामिल है।
 
भक्ति और संस्कृति का मिश्रण : हेमा ने कहा कि मुझे हमेशा से लगता था कि भक्ति और संस्कृति का मिश्रण जरूरी है। इसके लिए अत्याधुनिक थिएटर बनाया जो अगले दो तीन महीने में तैयार हो जाएगा। इसमें देश विदेश के बड़े-बड़े कलाकार आकर प्रस्तुति देंगे जिसकी कमी यहां खल रही थी। इसके अलावा खारे पानी की समस्या भी हल कर रहे हैं और जल्दी ही गंगाजल यहां पहुंचेगा।
यमुना के प्रदूषण के लिए दिल्ली सरकार को दोषी ठहराते हुए उन्होंने कहा कि समस्या यह है कि दिल्ली से गंदा पानी यहां यमुना में आ रहा है। हम यहां पानी साफ रख सकते हैं, लेकिन जो गंदा ही आ रहा है, उसका क्या करेंगे? दिल्ली सरकार अगर यमुना की सफाई करेगी तो हमें इतने प्रयास नहीं करने पड़ेंगे। इसका जवाब तो अरविंद केजरीवाल को देना होगा।
 
बृजवासी बनाम बाहरी : पिछले दो आम चुनाव यहां ‘बृजवासी बनाम बाहरी’ करार दिए गए, लेकिन हेमा ने पहले 2014 में रालोद के जयंत चौधरी को 3 लाख 40 हजार 725 वोटों से और फिर 2019 में इसी पार्टी के कुंवर नरेंद्र सिंह को 2 लाख 93 हजार 471 वोट से हराया।
 
उन्होंने कहा कि पहली बार जब मैंने चुनाव लड़ा तो लोग मेरे अभिनेत्री होने के कारण आकर्षित हुए, लेकिन मन में यह कहीं ना कहीं था कि यह मुंबई में रहेंगी और यहां चुनाव के बाद नहीं आएंगी। मैंने उन्हें गलत साबित किया और यहां घर बनाया। वृंदावन में मेरा घर है तो मैं बाहरी कैसे हुई। (भाषा)
Edited by: Vrijendra Singh Jhala

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