क्या उचित है विवाह पूर्व सेक्स?
जब मन में प्रेम का लड्डू फूटा!
महानगरों के युवा इन दिनों दोस्ती, लिव इन रिलेशनशिप व रिश्तेदारी की आड़ में यौन संबंधों को बनाने में हिचक महसूस नहीं करते हैं। यह एक तेजी से बढ़ता ट्रेंड बन चुका है। इस संवेदनशील मुद्दे को लेकर कुछ कॉलेजों में युवाओं से बातचीत की गई। अधिकांश युवा मानते हैं कि विवाह के पहले सेक्स संबंध उचित नहीं हैं।
पढ़ाई, नौकरी व रिश्तेदारी के बीच कोंपलों की तरह हमारे बच्चे से दिल की उमंगे बन फूटते प्रेम के ये अंकुर कभी तो सात फेरों के रूप में वृहदता को छू लेते हैं तो कभी मौजमस्ती व टाइम पास के रूप में कुछ समय तक हरे-भरे रह फिर से मुरझा जाते हैं। समाज की दृष्टि में गलत पर प्रेमियों की दृष्टि में सही "विवाह पूर्व यौन संबंध" बनाने का ट्रेंड चलाने वाले युवा एक ओर तो इन संबंधों को स्वीकारने से साफ मुकर रहे हैं, पर "दिल में हाँ, जुबा पर ना" की तरह जमाने से छुपते- छुपाते परोक्ष रूप से इन संबंधों को अपनाकर भारत में इनके चलन को भी बढ़ावा दे रहे हैं।
भारतीय संस्कृति और हमारे संस्कारों को दागदार करने वाले ये संबंध असल जिंदगी में कितने उचित हैं? बड़े ही चुपके से खामोशी में पलने वाले इन संबंधों का पता लगाने के लिए इस विषय को लेकर हम पहुँचे इंदौर के अलग-अलग कॉलेजों के युवाओं के बीच और उनसे जाना कि आखिर दोस्ती और प्यार के नाम पर उनके बीच इन संबंधों के रूप में कौन-सी खिचड़ी पक रही है?
जाहिर तौर पर इस सपाट प्रश्न के जवाब में चुप्पी साधे युवाओं में से मात्र १० फीसद युवा यह स्वीकारते हैं कि जब प्यार होता है तब शादी के पहले सब कुछ होता है। खैर इस सब कुछ में क्या कुछ शामिल है। यह किसी से छुपा नहीं है। अब यह सब कुछ हो जाने के बाद भी ये युवा स्वेच्छा से ही अपनी-अपनी खुशी के लिए कुछ समय तक एक-दूसरे से अपनी शारीरिक माँगों की पूर्ति करने के बाद अपने परिवार की पसंद से शादी-ब्याह करके फिर से अलग होकर अपनी जिंदगी के सुनहरे रंगों में रंग जाते हैं और इस तरह इनके लिए शारीरिक सुख देने वाला वह रिश्ता केवल इन्हीं सुखों से आरंभ होकर जल्द ही इन्हीं सुखों की खानापूर्ति पर सिमटकर खत्म भी हो जाता है। इससे आगे या अधिक लंबे समय तक ये युवा इस रिश्ते को प्यार, दोस्ती या विवाह का कोई नाम नहीं देना चाहते हैं। ऐसे युवाओं में अधिकांशत: युवा पढ़ाई के लिए शहर से बाहर आकर कुछ सालों तक इसी शहर में रहने वाले युवा होते हैं।
अब चलते हैं इंप्रेशन जताने के लिए दिखावे पर यकीन करने वाले युवाओं के वर्ग की ओर। लगभग 15 फीसदी युवा सोसाइटी व अपने कार्य संस्थान में अपना इंप्रेशन झाड़ने के लिए दिन-दिन भर खूबसूरत चेहरों से घिरे रहते हैं। एक-दूसरे को चूमना, उनसे हाथ मिलाकर अभिवादन करना और खुशी एवं गम के मौकों पर गले मिलकर अपने दोस्तों के सुख-दुख को शेयर करने वाले ये युवा रिलेशनशिप में किसिंग और हगिंग को आम बात मानते हैं, पर इससे आगे बढ़ने को 'खतरनाक' भी मानते हैं। उनके अनुसार रिश्ते में गरमाहट बनाए रखने के लिए एक-दूजे के थोड़ा-बहुत करीब आना जरूरी भी होता है। यदि आप भी अपने दोस्तों के साथ ऐसा करते हैं तो इसमें शर्माने की या इस रिश्ते को विवाह का रूप देने की कोई जरूरत नहीं है, क्योंकि यह तो अप्रत्यक्ष रूप से आपका 'स्टेटस सिंबल' है।
क्या उचित है विवाह पूर्व सेक्स?
* ना 75%
* कभी हाँ कभी ना 15%
* हाँ 10%
यह तो हुई ऐसे युवाओं की बात, जिनकी 'ना' में भी 'हाँ छुपी है लेकिन इनके अलावा युवाओं का सर्वाधिक बहुमत यानी 75 फीसदी युवा वर्ग 'विवाह पूर्व यौन संबंधों' से पूर्णत: असहमत हैं। उनके अनुसार भारतीय संस्कृति एवं हमारे संस्कारों पर सवालिया निशान लगाने वाले ये अवैध संबंध एक ओर जहाँ भारत में पश्चिम का दर्शन करा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर यह भारतीय युवाओं को शर्मसार भी कर रहे हैं। ये युवा समाज को गुमराह करने वाले अवैध संबंधों को बढ़ावा देने का समग्र श्रेय उन छात्रों को देते हैं, जो बाहर से आकर दूसरे शहर में बसते हैं।
इसी के साथ ही ये युवा पालकों को भी युवाओं के गुमराह होने का बराबर दोषी मानते हैं, क्योंकि इनकी मानें तो माता-पिता कॉलेज जाने के बाद अपने बेटे-बेटियों की जिंदगी में क्या कुछ चल रहा है। इसकी सुध लेना भूल जाते हैं।
समग्र आलेख को यदि कुछ शब्दों में समेटा जाए तो भारतीय युवाओं की जड़ें आज भी कहीं न कहीं अपनी संस्कृति व संस्कारों से जुड़ी हैं। आज भी उनके लिए रिश्तों में पवित्रता तथा परिवार के संस्कार दुनिया के किसी भी सुख से कई गुना बढ़कर हैं।
शहद के छत्ते में मधुमक्खी की तरह विवाह पूर्व पनपने वाले इन अवैध संबंधों ने हमारे सामने भारतीय युवाओं की जो कामुक छवि बनाई है, वह सरासर गलत है। यही कारण है कि 75 फीसद युवा 'विवाह पूर्व यौन संबंधों' से दो टूक शब्दों में खफा हैं और वे चाहते हैं कि टाइम पास या मौजमस्ती के लिए इन तरह के शॉर्ट टाइम संबंध बनाकर प्यार, दोस्ती व पाक रिश्तों को लज्जित करने वाले युवाओं को कड़ी फटकार लगाना चाहिए ताकि वे सीधी राह पर आएँ और रिश्तों की पवित्रता को गहराई से समझकर उन्हें ताउम्र निभाना सीखें।
युवाओं के पथभ्रमित होने के कारण
* वेस्टर्न कल्चर का असर।
* गर्लफ्रेंड या बॉयफ्रेंड बनाना स्टेटस सिंबल।
* अपोजिट सेक्स के प्रति उत्सुकता।
* इंटरनेट पर परोसी जाने वाली अश्लीलता।
* पत्र-पत्रिकाओं में सस्ता अश्लील साहित्य।
* स्कूलों व कॉलेजों में बुरी संगत।
* देर रात तक एक-दूसरे के साथ रहना।
* फिल्मी बातों को जीवन में उतारना।
* पालकों का गैरजिम्मेदाराना रवैया।
(फीचर डेस्क)