आज चंद्र ग्रहण लगने जा रहा है। आइए जानें lunar eclipse moon eclipse chandra grahan की 25 विशेष बातें...
1. यह चंद्रग्रहण कनाडा, पूर्वी एशिया, उत्तरी यूरोप, ऑस्ट्रेलिया, उत्तर-दक्षिण अमेरिका और प्रशांत क्षेत्र में दिखाई देगा।
2. भारत में ये आंशिक चंद्र ग्रहण पूर्वोत्तर के अरुणाचल और असम के कुछ हिस्सों में दिखाई देगा।
3. नासा के अनुसार ये मौका 580 साल बाद आया है जबकि भारत के उत्तर-पूर्वी राज्यों में ये सबसे लंबा आंशिक चंद्र ग्रहण ( anshik chandra grahan 2021 ) देखा जा सकेगा।
4. इससे पहले इतना लंबा चंद्रग्रहण 18 फरवरी 1440 को हुआ था और अब संभवत: 8 फरवरी, 2669 में होगा।
5. ये आंशिक चंद्र ग्रहण धरती पर 18 और 19 नवंबर की दरमियानी रात में होगा। भारत में इसकी शुरुआत 19 नवंबर को दोपहर में होगी।
6. 19 नवंबर 2021, शुक्रवार को कार्तिक मास की पूर्णिमा की तिथि के दिन चंद्र ग्रहण ( chandra grahan 2021 ) लगने जा रहा है।
7. भारत में उपच्छाया चंद्र ग्रहण दिखाई देगा। इस ग्रहण को खुली आंखों से नहीं देखा जा सकता इसे देखने के लिए खास तरह के उपकरणों की जरूरत पड़ती है।
8. भारत में इसकी शुरुआत 19 नवंबर को दोपहर 12 बजकर 48 मिनट से होगी और ये 4 बजकर 17 मिनट तक दिखाई देगा, जिसकी अवधि 3 घंटे 28 मिनट और 24 सेकंड रहेगी।
9. चंद्रग्रहण के 9 घंटे पहले उसका सूतक काल लागू होता है वहीं सूर्य ग्रहण के 12 घंटे पहले से सूतक प्रारंभ हो जाता है। ग्रहण जब समाप्त होता है तब उसका सूतक काल भी समाप्त हो जाता है।
10. ग्रहण के समय संयम रखकर जप-ध्यान करने से कई गुना फल प्राप्त होता है।
11. ग्रहण के समय गायों को घास, पक्षियों को अन्न, जरूरतमंदों को वस्त्रदान से अनेक गुना पुण्य प्राप्त होता है।
12. चंद्र ग्रहण में 3 प्रहर (9) घंटे पूर्व भोजन नहीं करना चाहिए। बूढ़े, बालक और रोगी डेढ़ प्रहर (4.30 घंटे) पूर्व तक खा सकते हैं।
13. ग्रहण वेध के पहले जिन पदार्थों में कुश या तुलसी की पत्तियां डाल दी जाती हैं, वे पदार्थ दूषित नहीं होते। पके हुए अन्न का त्याग करके उसे गाय, कुत्ते को डालकर नया भोजन बनाना चाहिए।
14. ग्रहण वेध के प्रारंभ में तिल या कुशमिश्रित जल का उपयोग भी अत्यावश्यक परिस्थिति में ही करना चाहिए और ग्रहण शुरू होने से अंत तक अन्न या जल नहीं लेना चाहिए।
15. ग्रहण के स्पर्श के समय स्नान, मध्य के समय होम, देव पूजन और श्राद्ध तथा अंत में सचैल (वस्त्र सहित) स्नान करना चाहिए। स्त्रियां सिर धोए बिना भी स्नान कर सकती हैं।
16. ग्रहण पूर्ण होने पर जिसका ग्रहण हो, उसका शुद्ध बिंब देखकर भोजन करना चाहिए।
17. ग्रहण काल में स्पर्श किए हुए वस्त्र आदि की शुद्धि हेतु बाद में उसे धो देना चाहिए तथा स्वयं भी वस्त्र सहित स्नान करना चाहिए।
18. ग्रहण के समय भोजन करने वाला मनुष्य जितने अन्न के दाने खाता है, उतने वर्षों तक नरक में वास करता है।
19. ग्रहण के दिन पत्ते, तिनके, लकड़ी और फूल नहीं तोड़ने चाहिए, बाल तथा वस्त्र नहीं निचोड़ने चाहिए व दंतधावन नहीं करना चाहिए।
20. ग्रहण के समय ताला खोलना, सोना, मलमूत्र का त्याग, मैथुन और भोजन ये सब कार्य वर्जित हैं।
21. ग्रहण के समय कोई भी शुभ व नया कार्य शुरू नहीं करना चाहिए।
22. ग्रहण के समय गुरु मंत्र, ईष्टमंत्र अथवा भगवन्नाम जप अवश्य करें। न करने से मंत्र को मलिनता प्राप्त होती है। ग्रहण के अवसर पर दूसरे का अन्न खाने से 12 वर्षों का एकत्र किया हुआ सब पुण्य नष्ट हो जाता है।
23. भगवान वेदव्यासजी ने परम हितकारी वचन कहे हैं- सामान्य दिन से चंद्र ग्रहण में किया गया पुण्य कर्म (जप, ध्यान, दान आदि) 1 लाख गुना और सूर्य ग्रहण में 10 लाख गुना फलदायी होता है।
24. यदि गंगाजल पास में हो तो चंद्र ग्रहण में 1 करोड़ गुना और सूर्य ग्रहण में 10 करोड़ गुना फलदायी होता है।
25. गर्भवती महिला को ग्रहण के समय विशेष सावधान रहना चाहिए। 3 दिन या 1 दिन उपवास करके स्नान-दानादि का ग्रहण में महाफल है किंतु संतानयुक्त गृहस्थ को ग्रहण और संक्रांति के दिन उपवास नहीं करना चाहिए।