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Lunar Eclipse 2021: जानिए इस चंद्रग्रहण की 5 रोचक बातें

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अनिरुद्ध जोशी

इस साल 2 बार चंद्रग्रहण होने वाले हैं। पहला ग्रहण 26 मई 2021 को वैशाख मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को है। दूसरा चंद्रग्रहण 19 नवंबर को लगेगा। इसी साल 2 सूर्यग्रहण भी होंगे। पहला सूर्यग्रहण 10 जून को होगा और दूसरा 4 दिसंबर को लगेगा। 26 मई 2021 को होने वाले चंद्रग्रहण को खग्रास चंद्रग्रहण अर्थात पूर्ण चंद्रग्रहण माना जा रहा है। आओ जानते हैं इस चंद्रग्रहण की 5 बातें-
 
 
1. ग्रहण काल : 26 मई 2021 को लगने वाले चंद्रग्रहण का सूतक प्रारंभ होगा सुबह 6 बजकर 15 मिनट पर और ग्रहण प्रारंभ होगा दोपहर 3 बजकर 15 मिनट पर। खग्रास आरंभ होगा 4 बजकर 40 मिनट पर और ग्रहण का मध्‍यकाल होगा 4 बजकर 49 मिनट पर। जबकि खग्रास समाप्‍त होगा 4 बजकर 58 मिनट पर और ग्रहण समाप्‍त होगा 6 बजकर 23 मिनट पर। स्थानीय समय अनुसार इसके समय में भेद रहेगा।
 
 
2. सूतक काल : जहां-जहां ग्रहण दिखाई देगा, वहां-वहां सूतक काल मान्य होगा और जहां नहीं दिखाई देगा, वहां मान्य नहीं होगा। भारत के अधिकांश हिस्सों में यह चंद्रग्रहण नहीं दिखाई देगा इसीलिए वहां सूतक काल मान्य नहीं होगा। फिर भी जान लें कि चंद्रग्रहण के वक्त सूतक काल 9 घंटे पूर्व आरंभ होता है जबकि सूर्यग्रहण के दौरान 12 घंटे पहले होता है।
 
 
3. कहां नजर आएगा चंद्रग्रहण जानिए : यह चंद्रग्रहण ग्रहण भारत के पूर्वी राज्यों- अरुणाचल, मिजोरम, नगालैंड, मणिपुर, त्रिपुरा, असम और मेघालय सहित बंगाल और पूर्वी ओडिशा में भी देखा जा सकेगा। भारत के अलावा यह चंद्रग्रहण जापान, बांग्लादेश, सिंगापुर, बर्मा, दक्षिण कोरिया, फिलीपींस, उत्तरी एवं दक्षिणी अमेरिका, प्रशांत और हिन्द महासागर क्षेत्र में देखा जा सकेगा।
 
 
4. सूतक काल के नियम : सूतक काल में घर पर रहना चाहिए। सूतक काल में खाना नहीं बनाना चाहिए। ग्रहण के बाद स्नान कर पूजा करनी चाहिए। भोजन और पानी में तुलसी डालकर ही उनका उपयोग करना चाहिए। गर्भवती महिलाओं को खासतौर पर नियमों का पालन करना चाहिए। इस दौरान शुभ कार्य वर्जित होते हैं।
 
 
5. क्या है खग्रास और उपछाया चंद्रग्रहण : सूर्य और चंद्रमा के ठीक बीच में धरती आ जाती है तब उसकी पूर्ण छाया चंद्रमा पर पड़ती है, जिसके कारण चंद्रमा पूर्णत: ढंक जाता है। धरती की छाया जब चंद्रमा के संपूर्ण हिस्से को ढंक ले, तो खग्रास ग्रहण होता है।
 
उपछाया चंद्रग्रहण ऐसी स्थिति में बनता है, जब चंद्रमा पर पृथ्वी की छाया न पड़कर उसकी उपछाया मात्र पड़ती है। इसमें धरती की धुंधली-सी छाया नजर आती है। प्रत्येक चंद्रग्रहण के प्रारंभ होने से पहले चंद्रमा धरती की उपछाया में ही प्रवेश करता है जिसे चंद्र मालिन्य कहते हैं। ग्रहण से पहले चंद्रमा, पृथ्वी की परछाई में प्रवेश करता है जिससे उसकी छवि कुछ मंद पड़ जाती है तथा चंद्रमा का प्रभाव मलीन पड़ जाता है जिसे उपछाया कहते हैं।

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