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चंद्रग्रहण 2022 : 5 चंद्र मंत्र और गंगाजल-तुलसी के सरल प्रयोग से टलेंगे हर संकट

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Chandra Grahan 2022
 
जहां दीपावली के ठीक एक दिन बाद सूर्य ग्रहण पड़ा था, वहीं आज यानी देव दीपावली/ कार्तिक पूर्णिमा के दिन चंद्र ग्रहण लगने जा रहा है। आज के दिन भगवान चंद्र देव के मंत्रों का जाप करने से जहां जीवन के समस्त संकट टल जाएंगे, वहीं भगवान शिव जी की विशेष कृपा भी प्राप्त होगी, क्योंकि भगवान शिव जी ने अपने मस्तक पर चंद्र देव को विराजमान किया हुआ है।
 
चंद्रमा की प्रकृति सौम्य और शीतल है तथा चंद्रमा को प्रत्यक्ष भगवान भी माना जाता है। अत: चंद्र ग्रहण के दिन उनके मंत्रों का जाप करने का विशेष महत्व है तथा इस दिन किए गए मंत्र जाप से चंद्र ग्रहण से होने वाले दुष्प्रभावों से भी हम बच सकते हैं-ॐ चं चंद्रमस्यै नम:
 
आइए जानते हैं चंद्र देव के 5 विशेष मंत्र-mantra for moon  
 
1. ॐ श्रां श्रीं श्रौं चन्द्रमसे नम:।
 
2. ॐ श्रां श्रीं श्रौं स: चंद्राय नम:।
 
3. ॐ भूर्भुव: स्व: अमृतांगाय विदमहे कलारूपाय धीमहि तन्नो सोमो प्रचोदयात्।
 
4. ॐ ऐं क्लीं सोमाय नम:।
 
5. दधिशंखतुषाराभं क्षीरोदार्णव सम्भवम ।
नमामि शशिनं सोमं शंभोर्मुकुट भूषणं ।। 
 
आज करें गंगाजल और तुलसी के ये सरल प्रयोग- 
 
- धार्मिक मान्यता के अनुसार गंगाजल को सबसे पवित्र जल तथा तुलसी जी को सबसे पवित्र पौधा माना गया है। अत: दूषित पानी में तुलसी की कुछ पत्ती डालने मात्र से पानी शुद्ध हो जाता है, अत: ग्रहण के समय जल में तुलसी का पत्ता डालकर रखना चाहिए।
 
- चंद्र ग्रहण के दिन ग्रहण के मोक्ष के बाद यदि आप किसी तीर्थ में जैसे- गंगा, जमुना, नर्मदा आदि के तट पर जाकर स्नान नहीं कर सकते हैं तो घर में ही नहाने के पानी में गंगा जल डाल कर स्नान करना चाहिए। 
 
- मान्यतानुसार ग्रहण समाप्त होने के पश्चात घर के जल में तीर्थ जल डालकर स्नान करने से सभी संकट दूर होते हैं। 
 
- तुलसी भगवान व‌िष्णु के स‌िर पर शोभित रहती हैं, अत: ग्रहण के दिन तुलसी पत्ता मुंह में डालने से व्यक्त‌ि के संकट दूर होते हैं। 
 
- तुलसी और गंगाजल संबंधी पौराणिक मान्यता हैं कि इस दिन मुंह में गंगाजल और तुलसी रखने से यमदूत मृतक की आत्मा को नहीं सताते है।
 
- चंद्र ग्रहण वाले दिन सूतक के पहले बनी वस्तुओं में तुलसी दल डालकर रखना चाहिए, क्योंकि इससे खाना दूषित होने से बच जाता है। यदि तुलसी उपलब्ध न हो तो कुशा डाल सकते हैं। 
 
- ग्रहण के पश्चात गंगा स्नान, देवा पूजा तथा दान-पुण्य करने के बाद ताजा भोजन या तुलसी पत्र रखा हुआ भोजन करें। 

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