भोपाल। मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा को बड़ा झटका लगा है। सिंधिया के गढ़ माने जाने वाले शिवपुरी जिले की कोलारस विधानसभा सीट से भाजपा विधायक वीरेंद्र रघुवंशी ने भाजपा की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। भाजपा विधायक ने अपना इस्तीफा पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा को भेजा है। भाजपा से इस्तीफा देने वाले वीरेंद्र रघुवंशी ने पार्टी पर अपनी उपेक्षा करने का आरोप लगाया है।
वहीं भाजपा की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देने वाले वीरेंद्र रघुवंशी जल्द कांग्रेस ज्वाइन कर सकते है। वीरेंद्र रघुवंशी के 2 सिंतबर को प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में कांग्रेस में शामिल होने की अटकलें लगाई जा रही है। चुनाव से ठीक पहले वीरेंद्र रघुवंशी भाजपा के पहले विधायक है जिन्होंने पार्टी से इस्तीफा दिया है। बताया जा रहा है कि वीरेंद्र रघुवंशी ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके समर्थकों के भाजपा में शामिल होने के बाद से ही उपेक्षित थे और अब चुनाव से पहले उन्होंने इस्तीफा दे दिया है। पार्टी अध्यक्ष को भेजे इस्तीफे में वीरेंद्र रघुवंशी ने आरोप लगाया है कि ग्वालियर-चंबल में पार्टी के पुराने कार्यकर्ताओं को उपेक्षा नए कार्यकर्ता कर रहे है।
शिवपुरी में सबसे ज्यादा बगावत-मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा को सबसे अधिक बगावत का सामना शिवपुरी जिले में करना पड़ रहा है। कोलारस से भाजपा विधायक वीरेंद्र रघुवंशी से पहले ही शिवपुरी के कोलारस विधानसभा सीट से टिकट के दावेदार रघुराज सिंह धाकड़ भी कांग्रेस में शामिल हो चुके है। वहीं शिवपुरी के पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष और भाजपा नेता जितेंद्र जैन गोटू ,रघुराज सिंह धाकड़, भाजपा नेता यादवेंद्र सिंह यादव और बैजनाथ यादव भी कांग्रेस में शामिल हो चुके है।
ऐसे में अब जब प्रदेश में विधानसभा चुनाव की तारीखों के एलान में एक महीने से कम समय शेष बचा है तब भाजपा नेताओं का पार्टी से मोहभंग होना पार्टी के लिए परेशानी का सबब बन गया है।
नई भाजपा और पुरानी भाजपा में टकराव?- दरअसल ज्योतिरादित्य सिंधिया के भाजपा में आने के बाद पार्टी ग्वालियर-चंबल में पार्टी दो गुटों में बंटती हुई दिख रही है। बात चाहे पंचायत चुनाव की हो या नगरीय निकाय चुनाव में उम्मीदवारों के चयन की नई भाजपा और पुरानी भाजपा के नेताओं में टकराव साफ देखा गया था। ग्वालियर नगर निगम के महापौर में भाजपा उम्मीदवार के टिकट को फाइनल करने को लेकर ग्वालियर से लेकर भोपाल तक और भोपाल से लेकर दिल्ली तक जोर अजमाइश देखी गई थी और सबसे आखिरी दौर में टिकट फाइनल हो पाया था। ग्वालियर नगर निगम में महापौर चुनाव में 57 साल बाद भाजपा की हार को भी नई और पुरानी भाजपा की खेमेबाजी का परिणाम बताया जाता है। गौर करने वाली बात यह है कि भाजपा की महापौर उम्मीदवार को सिंधिया खेमे के मंत्री के क्षेत्र से बड़ी हार का सामना करना पड़ा था।
इतना ही नहीं पंचायत चुनाव में ग्वालियर के साथ-साथ डबरा और भितरवार में जनपद पंचायत अध्यक्ष पद पर अपने समर्थकों को बैठाने के लिए महाराज समर्थक पूर्व मंत्री इमरती देवी और भाजपा के कई दिग्गज मंत्री आमने सामने आ गए थे। पंचायत चुनाव में दोनों ही गुटों ने अपना वर्चस्व दिखाने के लिए खुलकर शक्ति प्रदर्शन भी किया था।