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क्या है रतलाम जिले की 5 सीटों का हाल, कितना असर डालेगी PM मोदी की चुनावी सभा?

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नृपेंद्र गुप्ता

Madhya Pradesh Assembly Election 2023: सेंव, सोने चांदी और साड़ियों के लिए मशहूर रतलाम जिले की 5 विधानसभा सीटों पर सभी की नजरें टिक गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 4 नवंबर को रतलाम में चुनावी सभा को संबोधित किया। यह प्रत्याशियों की घोषणा के बाद पीएम मोदी की राज्य में पहली चुनावी सभा थी। मोदी द्वारा रतलाम में लगाए प्रचार के तड़के का असर इंदौर और उज्जैन संभाग की सभी सीटों पर होने की संभावना है।

मध्यप्रदेश में चुनावी अभियान की शुरुआत करते हुए पीएम मोदी ने कमलनाथ और दिग्विजय सिंह का नाम लिए बिना उन पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के दो नेताओं के बीच कपड़े फाड़ने की कम्पीटिशन चल रही है। अभी तो यह फिल्म का ट्रेलर है। 3 दिसंबर को भाजपा की जीत के बाद यहां कांग्रेस की असली पिक्चर दिखेगी। लड़ाई इस बात की है कि किसका बेटा मध्य प्रदेश कांग्रेस पर कब्जा करेगा।
 
उन्होंने कहा कि कांग्रेस मतलब राज्य में हजारों करोड़ के घोटाले, अपराधियों का बोलबाला, गरीबों से विश्वासघात, दलितों, पिछड़ों और आदिवासियों पर अत्याचार, राज्य को बीमार बनाने की गारंटी। यह उनके स्वभाव में है। उनके खून का हिस्सा है। बहरहाल पीएम मोदी के भाषण ने मालवा में भाजपा के प्रचार का एजेंडा सेट कर दिया। आने वाले समय में कई भाजपा नेता इसी लाइन पर कांग्रेस को घेरते दिखाई देंगे। जानिए क्या है रतलाम की 5 सीटों का हाल?
 
रतलाम शहर : रतलाम शहर में भाजपा के चेतन कश्यप का सामना कांग्रेस के पारस सकलेचा से है। लगातार 2 बार से चेतन कश्यप ही यहां चुनाव जीते हैं। कश्यप की क्षेत्र पर मजबूत पकड़ है। चुनाव प्रचार में भी वे बाजी मार चुके हैं। ऐसे में इस बार भी यहां भाजपा का पलड़ा भारी नजर आ रहा है। हालांकि कांग्रेस उम्मीदवार पारस सकलेचा भी किसी भी तरह से कमजोर नहीं हैं। 2008 में अस्तित्व में आई इस सीट पर पहला चुनाव पारस सकलेचा ने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में जीता था। यहां नाम वापसी के बाद 8 प्रत्याशी चुनाव मैदान में डटे हुए हैं।
 
रतलाम ग्रामीण : रतलाम ग्रामीण सीट पर भाजपा के मथुरालाल डामोर का मुकाबला कांग्रेस के लक्ष्मण सिंह डिंडोर से हैं। भाजपा ने वर्तमान विधायक दिलीप मकवाना का टिकट काटकर यहां से डामोर को टिकट दिया है। जयस नेता डॉ अभय औहरी यहां मुकाबले को त्रिकोणीय बना रहे हैं। उन्हें करणी सेना और भीम आर्मी का भी समर्थन प्राप्त है। इस सीट से 5 प्रत्याशी चुनाव लड़ रहे हैं। कहा जा रहा है कि लोग वर्तमान विधायक के काम से खुश है।
 
भाजयुमो नेता राजीव चौधरी ने कहा कि 2013 में मथुरालाल डामोर ने 27000 से ज्यादा वोटों से चुनाव जीता था। उन्होंने किसानों के लिए काफी काम किया है। कई डेम बनवाए हैं। ऐसे में पार्टी विकास के नाम पर ही चुनाव लड़ रही है। यहां पिछले 15 साल से यहां भाजपा का ही विधायक है।
 
आलोट : रतलाम जिले की आलोट सीट से 2 पूर्व सांसद चिंतामणि मालवीय और प्रेमचंद गुड्डू समेत 9 उम्मीदवार चुनाव मैदान में है। कांग्रेस ने वर्तमान विधायक मनोज चावला को टिकट दिया है। कांग्रेस छोड़कर चुनाव मैदान में उतरे गुड्डू ने मनोज चावला की समस्या बढ़ा दी है। वहीं रमेश मालवीय द्वारा नाम वापस लेने से चिंतामणि मालवीय को राहत मिली है। हालांकि मुकाबला त्रिकोणीय है। हालांकि कांग्रेस ने प्रेमचंद गुड्‍डू को पार्टी से 6 साल के लिए निष्कासित कर दिया है। 
 
पत्रकार प्रवीण व्यास ने बताया कि जनता लोकल विधायक चाहती है। करीब 10 माह पहले कांग्रेस विधायक चावला ने यूरिया खाद का मुद्दा उठाया था। इस मामले में उन्हें राजनीतिक रूप से फायदा मिल सकता है। स्थानीय भाजपा नेता रमेश मालवीय ने भी टिकट मिलने से नाराज होकर मैदान संभाला था हालांकि किसी तरह पार्टी उन्हें मनाने में सफल रही। 
 
सैलाना : सैलाना सीट पर प्रभुलाल गहलोत के बेटे हर्ष विजय गेहलोत का मुकाबला भाजपा की संगीता चारेल से है। 2013 के चुनाव में संगीता हर्ष विजय गेहलोत को 47,000 से ज्यादा वोटों से हरा चुकी हैं। हालांकि 2018 में हर्ष विजय ने भाजपा के नारायण मईडा को हराकर यहां चुनाव जीता था। बहरहाल दोनों दिग्गजों में इस बार दिलचस्प मुकाबला दिखाई दे रहा है। रतलाम जिले की इस सीट से सर्वाधिक 10 प्रत्याशी चुनाव मैदान में है।
 
जावरा : मंदसौर संसदीय क्षेत्र में आने वाली रतलाम जिले की जावरा सीट पर भाजपा ने वर्तमान विधायक राजेन्द्र पांडेय पर ही समर्थन जताया है, जबकि कांग्रेस ने पहले हिम्मत ‍श्रीमाल एवं बाद में उनके स्थान पर वीरेन्द्र सिंह सोलंकी को इस सीट से उम्मीदवार बना दिया। इस सीट पर दोनों ही पार्टियों को भितरघात का खतरा है। सोलंकी को जहां टिकट कटने से नाराज हिम्मत श्रीमाल का विरोध झेलना पड़ सकता है, वहीं स्व. महेन्द्रसिंह कालूखेड़ा के भाई केके सिंह कालूखेड़ा भी सिंधिया की मदद से टिकट की जुगाड़ में थे, लेकिन वे सफल नहीं हो पाए। कालूखेड़ा काफी समय से जमीनी स्तर पर काम भी कर रहे थे। ऐसे में भाजपा को उनकी नाराजगी भारी पड़ सकती है।
 
इस सीट पर करणी सेना के जीवन सिंह शेरपुर की मौजूदगी ने मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया है। माना जा रहा है कि जीवन सिंह कांग्रेस के चुनाव चिह्न पर चुनाव लड़ना चाह रहे थे, इसकी तैयारी भी उन्होंने कर ली थी। लेकिन, ऐन मौके पर उन्हें टिकट नहीं मिल पाया। इसके बाद निर्दलीय रूप से वे मैदान में उतर गए। उनकी मौजूदगी का ज्याद नुकसान कांग्रेस को ही होने की संभावना व्यक्त की जा रही है।   
 
5 साल में बढ़े 1.24 लाख मतदाता : रतलाम जिले में मतदाताओं की कुल संख्या 11 लाख 2 हजार 386 है। इनमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 5 लाख 50 हजार 811 जबकि महिला मतदाता 5 लाख 50 हजार 894, सर्विस वोटर 645 व अन्य मतदाताओं की संख्या 36 है। 2018 की तुलना में 1.24 लाख मतदाता बढ़े। जिले में 2 लाख 90 हजार 716 मतदाताओं की आयु 30 वर्ष से कम है। ऐसे में युवा मतदाता इस चुनाव में अहम साबित होने वाली है।
 


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