Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

भोपाल में वेदान्त की गूंज: पीवीआर आइनॉक्स और राज्य के शीर्ष इंजीनियरिंग कॉलेज मैनिट में आचार्य प्रशांत का संवाद

Advertiesment
हमें फॉलो करें Bhopal News

भोपाल ब्यूरो

, बुधवार, 23 अप्रैल 2025 (13:44 IST)
भोपाल। आधुनिक जीवन की उलझनों और वैश्विक संकटों के बीच वेदांत की प्रासंगिकता को रेखांकित करते हुए प्रख्यात दार्शनिक, वेदांत मर्मज्ञ और लेखक आचार्य प्रशांत ने रविवार को भोपाल में दो विशिष्ट आयोजनों को संबोधित किया। ये आयोजन पीवीआर आइनॉक्स और मौलाना आज़ाद राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान में प्रशांतअद्वैत फाउंडेशन के तत्वावधान में संपन्न हुए। विषय रहे—आत्मबोध, भगवद्गीता, जलवायु परिवर्तन, महिला सशक्तिकरण और आधुनिक जीवन की नैतिक चुनौतियाँ।

दिन का पहला आयोजन PVR INOX में हुआ, जहाँ आचार्य प्रशांत ने पहली बार वेदांत को सिनेमा जैसे आधुनिक माध्यम के ज़रिए प्रस्तुत किया। यह पहल दर्शाती है कि आध्यात्मिक विचार अब पारंपरिक सीमाओं को पार कर समकालीन मंचों पर आ रहे हैं। उन्होंने कहा, “वेदांत कोई रूढ़ ग्रंथ नहीं, यह आज के विज्ञान, तर्क और जीवनशैली से जुड़ा हुआ दर्शन है। इसे सिनेमाघरों जैसे जनसुलभ मंचों पर लाकर हम इसे आम जनमानस तक पहुँचा सकते हैं।”

राज्य के शीर्ष इंजीनियरिंग कॉलेज — मौलाना आज़ाद राष्ट्रीय प्रोद्योगिकी संस्थान (मैनिट) में हुए मुख्य व्याख्यान में आचार्य प्रशांत ने कहा, “भगवद्गीता कोई पुरातन धार्मिक ग्रंथ नहीं, बल्कि आज के हर व्यक्ति के भीतर चल रही लड़ाई का समाधान है। अर्जुन की दुविधा वही है जो आज के युवा के भीतर है—कर्तव्यों को लेकर भ्रम, भय और असमंजस।” उन्होंने आत्मज्ञान को जीवन का केंद्रीय बिंदु बताया और कहा कि जब तक व्यक्ति स्वयं को नहीं जानता, तब तक शिक्षा और तकनीकी ज्ञान अधूरा रहता है।“जीवन का उद्देश्य केवल नौकरी या सफलता नहीं है, बल्कि खुद को जानना और संतुलित व सजग जीवन जीना है।”

आचार्य प्रशांत ने जलवायु परिवर्तन पर आज की भोगवादी संस्कृति की तीव्र आलोचना की और कहा, “क्लाइमेट चेंज का असली कारण हमारी असंयमित इच्छाएँ हैं। और इसका समाधान मात्र आत्मज्ञान है।” उन्होंने युवाओं से अपील की कि वे उपभोग की होड़ से बाहर निकलें और पर्यावरण-जागरूकता को अपनाएँ।

महिला सशक्तिकरण पर बोलते हुए आचार्य प्रशांत ने कहा, “सशक्तिकरण केवल अधिकार या कानूनों से नहीं आता, बल्कि तब आता है जब समाज महिलाओं को केवल उनकी जैविक पहचान से परे एक स्वतंत्र व्यक्ति के रूप में देखना शुरू करता है।” उन्होंने कहा कि जब तक मानसिकता नहीं बदलेगी, तब तक समानता एक दिखावा ही बनी रहेगी।

दोनों आयोजनों में युवाओं ने आचार्य प्रशांत से गहन और निजी प्रश्न पूछे—असंतोष, भविष्य की अनिश्चितता, धार्मिक भ्रम, और जीवन की दिशा को लेकर। आचार्य ने सभी प्रश्नों का उत्तर अत्यंत सहजता और स्पष्टता के साथ दिया। हर उत्तर केवल जानकारी नहीं, बल्कि आत्मचिंतन और अनुभव पर आधारित रहा।

उल्लेखनीय है कि प्रशांतअद्वैत फाउंडेशन के माध्यम से चल रहा यह अभियान केवल धार्मिक या आध्यात्मिक चर्चा नहीं, बल्कि एक वैचारिक आंदोलन है, जो आधुनिक समाज को जागरूक, विवेकशील और संतुलित बनाने का प्रयास कर रहा है। IIT और IIM जैसे संस्थानों से शिक्षा प्राप्त आचार्य प्रशांत ने दिखाया कि तर्क और अध्यात्म एक-दूसरे के विरोधी नहीं, बल्कि पूरक हो सकते हैं।

भोपाल के नागरिकों और छात्रों ने इस पूरे आयोजन को अत्यंत प्रेरणादायक और जीवनपरिवर्तनकारी बताया। आयोजकों के अनुसार, यह पहल आने वाले समय में अन्य शहरों में भी दोहराई जाएगी, ताकि अधिक से अधिक युवाओं तक आत्मबोध और जागरूकता का यह संदेश पहुँचा सके।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

जल गंगा संवर्धन अभियान में सबकी सहभागिता जरूरी: मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव