डेढ़ दशक से मध्यप्रदेश में भाजपा का परचम लहरा रहा है। पिछले चुनावों में तो कांग्रेस के पास ऐसा कोई कद्दावर चेहरा नहीं था जो शिवराजसिंह की भाजपा सरकार को चुनौती दे सके। लेकिन, अब कांग्रेस के दिग्गज एकजुट होकर भाजपा का मुकाबला करने की तैयारी कर रहे हैं।
आगामी नवंबर महीने में होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारियों का जायजा लेने आए भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के माथे पर जमीनी हालत देखकर चिंता की लकीरें उभर आईं हैं। दरअसल, पिछले कुछ समय से मप्र भाजपा और शिवराज सरकार पर लगातार नेगेटिव फीडबैक आ रहे हैं।
2019 के लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा के इस मजबूत गढ़ को बचाए रखने और चौथी बार मप्र में जीत के लिए भाजपा का केंद्रीय संगठन अब कमर कस चुका है।
बताया जा रहा है कि जबलपुर में पार्टी के चुनाव प्रबंधन, रणनीतिकार और सोशल मीडिया की बैठक में अमित शाह ने चिंता जताई है कि मप्र में भाजपा की लगातार चौथी जीत की संभावना धूमिल होती जा रही है।
शाह इस बात से भी खासे चिंतित दिखे कि विभिन्न न्यूज चैनलों और अखबारों के सर्वे में भाजपा की सीटों में भारी गिरावट और कांग्रेस को बढ़त दिखाई जा रही हैं। यही नहीं भाजपा और आरएसएस के अंदरूनी सर्वे के नतीजे भी कुछ ऐसे ही इशारे कर रहे हैं।
मंदसौर में राहुल गांधी की रैली के बाद से ही अमित शाह को समझ आ गया है कि इस बार मप्र में मुकाबला टक्कर का होना तय है। महंगाई, अपराध दर और किसान आक्रोश के अलावा भाजपा के कट्टर समर्थक व्यापारी वर्ग में भी जीएसटी से उपजा असंतोष कहीं न कहीं भाजपा के प्रति बढ़ती एंटीइनकंबेंसी को दर्शा रहा है।
इन सब से निपटने के लिए अमित शाह कई अलग-अलग रणनीतियों पर काम कर रहे हैं। उन्होंने सर्वे के आधार पर एक लिस्ट बनाई है जिसमें वर्तमान विधायकों में से 100 से अधिक के टिकट काटे जा सकते हैं और बड़ी संख्या में युवा व अनुभवी चेहरों को चुनाव मैदान में उतारा जा सकता है।