Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

गहन शांति और आस्था के केंद्र हैं बागली के जटाशंकर

हमें फॉलो करें गहन शांति और आस्था के केंद्र हैं बागली के जटाशंकर
, रविवार, 13 अगस्त 2017 (17:22 IST)
कुंवर राजेन्द्रपालसिंह सेंगर  
बागली।  जटाशंकर तीर्थ अपने भीतर गहन शांति को समेटे हुए है। तीर्थ के परिक्षेत्र में  दाखिल होते ही व्यक्ति तनावरहित हो जाता है। श्रावण मासपर्यंत पार्थिव शिवलिंग निर्माण और पूजन का कार्यक्रम पिछले 15 वर्षों से जारी है। 
 
कार्यक्रम में स्वतंत्रता आंदोलन में शहीद क्रांतिकारियों, पठानकोट हमले सहित आतंकी  घटनाओं में शहीद सैनिकों को श्रद्धांजलि देने व उनकी अकाल मृत्यु के शिकार हुए लोगों की  आत्मशांति के लिए भी विविध कार्यक्रम संपन्न हुए हैं।  उक्त विचार वाग्योग चेतना पीठम्‌ के संचालक मुकुंद मुनि पं. रामाधार द्विवेदी ने गुरुवार  को जटाशंकर तीर्थ पर आयोजित 15वें मासिक अखंड महारुद्राभिषेक व अयुताधिक पार्थिव  पूजन की पूर्णाहूति के अवसर पर प्रकट किए।
 
ब्रह्मलीन संत केशवदासजी त्यागी (फलाहारी बाबा) की सूक्ष्म उपस्थिति में आयोजन का यह  अनवरत 15वां वर्ष था जिसमें सप्त मृतिका, समुद्र जल, गंगा जल, मानसरोवर जल, दूध व  दही आदि वस्तुएं मिश्रित कर लगभग 5 क्विंटल वजनी पार्थेश्वर लिंग का निर्माण किया गया। पार्थेश्वर व भगवान जटाशंकर को पुष्प गुच्छों व पंखुड़ियों से श्रृंगारित किया गया  तथा फूल बंगले का निर्माण किया गया।

अक्षत, कुमकुम, चावल सहित विभिन्न दलहन  पदार्थों से चतुर्लिंग भद्रमंडल का निर्माण हुआ।  भगवान जटाशंकर का विभिन्न रंगों के पुष्पों से श्रृंगार किया गया। पूर्णाहुति कार्यक्रम महंत  बद्रीदासजी महाराज की उपस्थिति में वाग्योग चेतना पीठम्‌ के संचालक मुकुंद मुनि, पं.  रामाधार द्विवेदी के आचार्यत्व में पं. ओमप्रकाश शर्मा व पं. मुकेश शर्मा सहित 11 बटुक  विद्वानों द्वारा प्रारंभ किया गया। 
 
पूर्णाहुति कार्यक्रम में शुक्ल यजुर्वेद की ऋचाओं पर विभिन्न यजमानों नपं उपाध्यक्ष लक्ष्मी  ग्रेवाल, पूर्व पार्षद हरजीत ग्रेवाल, भाजपा किसान मोर्चा प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य मोतीलाल  पटेल, संजय सोनी,आदि  ने क्रमवार आहुतियां दीं। इसके उपरांत महाआरती और महाप्रसादी वितरण हुआ।  

विश्वशांति, सुखद वर्षा व क्षेत्र की सुख-समृद्धि की कामना से आयोजित 31 दिवसीय अखंड  महाभिषेक में 5 लाख 51 हजार आहुतियां दी गईं। 21 लाख महामृत्युंजय मंत्रों के जप, 11  लाख पंचाक्षर जप, सवा लाख पार्थिव लिंगों का निर्माण, श्रीसूक्त, पुरुसूक्त और कनकधारा  स्तोत्र के 21-21 हजार पारायण आदि क्रियाएं संपन्न हुईं।

 इस दौरान बागली की संस्कृत पाठशाला में मनाए गए संस्कृत सप्ताह का समापन भी हुआ  जिसमें बटुकों ने संस्कृत के महत्व को लेकर श्रोताओं को कई महत्वपूर्ण जानकारियां दीं।  आयोजन का समापन सहभोज के बाद हुआ। आभार पं. शर्मा ने माना। 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

बच्चों की मौत पर सियासत नहीं, संवेदना चाहिए : योगी