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महाकाल लोक से मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में भाजपा के हिंदुत्व के एजेंडे को मिलेगी नई धार!

मध्यप्रदेश भाजपा अपने हर विधानसभा चुनाव में अपने चुनावी अभियान का आगाज बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन में जनसभा से करती आई है। आज उज्जैन में लोकार्पण कार्यक्रम से BJP का होगा चुनावी शंखनाद ?

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विकास सिंह

, मंगलवार, 11 अक्टूबर 2022 (14:25 IST)
भोपाल। उज्जैन में श्री महाकाल लोक के लोकार्पण के भव्य कार्यक्रम के जरिए भाजपा एक तरह से मध्यप्रदेश में अपना चुनावी शंखनाद भी करने जा रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में महाकाल लोक के लोकार्पण का भव्य कार्यक्रम ठीक उस समय हो रहा है जब प्रदेश चुनावी मोड में आ चुका है। मध्यप्रदेश भाजपा अपने हर विधानसभा चुनाव में अपने चुनावी अभियान का आगाज बाबा महाकाल के आशीर्वाद के बाद उज्जैन में जनसभा से करती आई है।

आज भी महाकाल लोक का लोकार्पण करने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान उज्जैन में एक जनसभा को संबोधित करेंगे। चुनाव से पहले महाकाल लोक का उद्घाटन का भव्य कार्यक्रम भाजपा का बड़ा सियासी दांव भी माना जा रहा है। पिछले दिनों धार के मांडू में भाजपा की तीन दिवसीय मंथन के बाद भाजपा महाकाल लोक के लोकार्पण के जरिए मध्यप्रदेश के साथ मालवा-निमाड़ में चुनावी बिगुल फूंकने जा रही है।

हिंदुत्व के एजेंडे को मिलेगी नई धार?- श्री महाकाल लोक के जरिए भाजपा मध्यप्रदेश में हिंदुत्व के एजेंडे को नई धार देने की तैयारी में है। हिंदुत्व का एजेंडा जो 2014 बाद भाजपा की जीत की गारंटी बन गया है, वह महाकाल लोक के लोकार्पण के जरिए मध्यप्रदेश के चुनावी फिजा में एक तरह से वाइल्ड कार्ड एंट्री करने जा रहा है। यहीं कारण है श्री महाकाल लोक के लोकार्पण के कार्यक्रम को वैश्विक पटल पर लाकर भाजपा हिंदुओं के बीच एक सीधा संदेश देना चाह रही है।
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उज्जैन में महाकाल लोक के लोकार्पण कार्यक्रम से भाजपा 50 देशों के एनआरआई को जोड़ने जा रही है। इसके लिए बकायदा भाजपा विदेश संपर्क विभाग के प्रदेश सह संयोजक सुधांशु गुप्ता ने मध्यप्रदेश के एनआरआई के साथ वर्चुअल मीटिंग भी की। मीटिंग में श्री महाकाल लोक परिसर की भव्यता, सुंदरता और सरकार की प्रयासों के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई और उनको लोकार्पण कार्यक्रम से जुड़ने का आग्रह भी किया गया।

इसके साथ मध्यप्रदेश भाजपा ने लोकार्पण कार्यक्रम का 1070 मंडलों में लाइव प्रसारण की व्यवस्था की है। प्रदेश के सभी 1070 मंडलों समेत प्रत्येक बूथ पर लाइव प्रसारण की व्यवस्था की गई है जिससे लोगों को कार्यक्रम से जोड़ा जा सके। इसके साथ भाजपा कार्यकर्ता प्रत्येक मंडल समेत हर बूथ पर स्थित देवालयों में स्वच्छता अभियान और शाम के समय दीपोत्सव का आयोजन करेंगे।

वहीं महाकाल लोक के कार्यक्रम के गांव-गांव लाइव प्रसार की व्यवस्था भी सरकार के खर्चे पर की गई है। गांव के मंदिर और देवालयों में लोगों को एकत्र करके शिव भजन, पूजन, कीर्तन, अभिषेक, आरती की व्यवस्था की गई है। इसी प्रकार शहरी वार्डों के प्रमुख मंदिरों में भी धार्मिक-आयोजन होंगे। इन सभी स्थान पर भी एलईडी स्क्रीन पर कार्यक्रम के सीधे प्रसारण की व्यवस्था की गई है जिसके लिए बकायदा आदेश निकाला गया है।

वहीं उज्जैन में होने वाली प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सभा में उज्जैन एवं इंदौर संभाग के हर जिले से विभिन्न समाज और संस्थाओं के अध्यक्ष, पार्षद, सरपंच, तड़वी, पटेल, पुजारी आदि को आमंत्रित किया गया है। जिसके जरिए भाजपा मालवा-निमाड़ पर खास फोकस करने जा रही है।

मालवा-निमाड़ से तय होती है सत्ता की कुर्सी?-मध्यप्रदेश की राजनीति में कहा जाता है कि जिस सियासी दल ने मालवा निर्माण में फतह हासिल कर ली समझो उसने सत्ता की कुर्सी पाई। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की नर्सरी कहलाने वाले मालवा-निमाड़ को भाजपा का गढ़ माना जाता है। मालवा-निमाड में आने वाली विधानसभा की 67 सीटों में जो पार्टी बेहतर प्रदर्शन करती है वह सत्ता में काबिज होती है।

अगर पिछले दो विधानसभा चुनाव के मालवा-निमाड़ के नतीजों को देखा जाए तो स्थिति बहुत कुछ साफ होती है। 2013 के विधानसभा चुनाव में मालवा-निमाड़ की 57 सीटें बीजेपी के खाते में गई थी और 10 सीटें कांग्रेस मो मिली थी। वहीं 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 67 सीटों में से 35 सीटों पर जीत हासिल की थी और भाजपा के खाते में केवल 28 सीटें आई थी। पिछले दो विधानसभा चुनाव के नतीजें साफ बताते है कि क्यों भाजपा 2023 विधानसभा चुनाव के लिए मालवा-निमाड़ पर फोकस कर रही है।

महाकाल लोक पर भाजपा बनाम कांग्रेस-महाकाल लोक प्रदेश की चुनावी फिजा में कितना असर डालेंगे इसको इससे समझा जा सकता है कि कांग्रेस महाकाल लोक को अपनी सरकार की उपलब्धि बता रही है तो भाजपा महाकाल लोक के निर्माण का श्रेय लेने में चूकना नहीं चाहती है। नेता प्रतिपक्ष गोविंद सिंह का कहना है कि कमलनाथ सरकार ने उज्जैन की अलौकिक भूमि पर महाकालेश्वर ज्योर्तिलिंग मंदिर के विकास और विस्तार के लिए न सिर्फ एक समग्र योजना बनायी और उसको मूर्तरूप देना भी प्रारंभ कर दिया था।

अगस्त 2019 में कमलनाथ के मुख्यमंत्री रहते हुए महाकाल मंदिर विकास की 300 करोड़ रूपए की योजना का विस्तृत ब्यौरा महाकाल मंदिर के पुजारियों और मंत्रिमंडल के सदस्यों के सामने पेश किया गया था। कांग्रेस का दावा है कि कमलनाथ सरकार ने ज्योर्तिलिंग महाकालेश्वर, ओंकारेश्वर, राम पथ वन गमन के साथ ही श्रीलंका में माता सीता के मंदिर सहित समूचे मप्र के मंदिरों के विकास और विस्तार के साथ मंदिरों के पुजारियों के मानदेय के लिए एक व्यापक अग्रणी भूमिका का निर्वाहन किया था।

वहीं कांग्रेस के इस दावे पर मध्यप्रदेश सरकार के प्रवक्ता नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि महाकाल लोक के निर्माण का श्रेय लेने का दावा करने वाली कांग्रेस झूठ बोल रही है। उन्होंने कहा कि सच्चाई यह है कि कमलनाथ की सरकार के समय श्री महाकाल लोक का निर्माण कार्य ठंडे बस्ते में चला गया था और भाजपा सरकार आने पर इसमें तेजी आई। बरहाल महाकाल लोक और हिंदुत्व का मुद्दा आने वाले समय में मालवा निमाड़ और मध्यप्रदेश की चुनावी सियासत पर क्या असर दिखाएगा, यह देखना दिलचस्प होगा।

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