इंदौर। मध्यप्रदेश के इंदौर जिले के एक अदालत ने शुक्रवार को देह व्यापार के मामले में महिला बाल विकास व पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) सहित 17 संबंधितों से जवाब तलब किया है।
प्रशासनिक न्यायाधीश पीके जायसवाल और न्यायाधीश वीरेन्द्र सिंह की युगल पीठ ने मंदसौर, नीमच, रतलाम में जारी प्रतिबंधित देह व्यापार पर रोक लगाने के विषय से जुड़ी बांछड़ा समाज के एक युवक की जनहित याचिका पर ये आदेश दिए हैं।
याची आकाश चौहान निवासी नीमच ने अदालत को बताया कि वह स्वयं बांछड़ा समाज से है। उसके समाज की महिलाओं द्वारा वर्षों से देह व्यापार का कार्य किया जा रहा है जिस पर समय-समय पर सरकार द्वारा रोक लगाकर इस अनैतिक कार्य में लिप्त महिलाओं, युवतियों और नाबालिग लड़कियों के उद्धार हेतु सकारात्मक प्रयास किए गए हैं। किंतु लचर प्रशासनिक व्यवस्था, इस संबंध में जारी आदेश-निर्देशों के अनुपालन के अभाव में पुन: अनैतिक देह व्यापार फल-फूल रहा है।
याचिकाकर्ता ने तथ्यों के साथ अदालत के समक्ष अपना पक्ष रखते हुए बताया कि रतलाम, नीमच, मंदसौर में 72 बांछड़ा समाज बहुल गांव हैं जिनमें से 68 गांवों में नाबालिग बच्चियों से उनके माता-पिता द्वारा घरों में देह व्यापार करवाया जा रहा है। प्रभावित बालिग-नाबालिग महिलाएं नारकीय जिंदगी जीने के लिए मजबूर हैं।
याची ने अदालत के समक्ष आरोपों के समर्थन में छायाचित्र और स्थानीय समाचार पत्रों में प्रकाशित खबरों को रखते हुए बताया कि खुलेआम उक्त प्रभावित क्षेत्रों में सड़कों के किनारे बने ढाबों, होटलों में देह व्यापार संचालित किया जा रहा है। इस संबंध ने उनके द्वारा स्थानीय पुलिस, प्रशासन को कई शिकायतें कर पूर्व में भी कार्रवाई का अनुरोध किया गया किंतु कार्रवाई होने की वजह उन पर ही जानलेवा हमले देह व्यापार से जुड़े परिवारों के लोगों द्वारा किए गए।
अदालत से याची ने प्रार्थना की है कि प्रभावित 68 गांवों में जारी देह व्यापार पर रोक लगाए जाने हेतु उचित आदेश व निर्देश जारी किए जाएं। संलिप्त नाबालिग युवतियों व महिलाओं को मुक्त कराया जाए। इनके जीवन निर्वहन हेतु उचित व्यवस्था की जाए।
जिस पर अदालत ने प्रमुख सचिव महिला एवं बाल विकास, डीजीपी, रतलाम, नीमच मंदसौर के कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक सहित कुल 17 जिम्मेदारों को नोटिस जारी कर आगामी 4 सप्ताह में जवाब तलब किया है। (वार्ता)