मध्यप्रदेश के उपचुनाव में ग्वालियर-चंबल में बसपा बनेगी गेम चेंजर ?
हाथी की चाल बिगाड़ेगी भाजपा-कांग्रेस का सियासी गणित
मध्यप्रदेश में विधानसभा की 28 सीटों पर हो रहे उपचुनाव में बसपा के मैदान में उतरने से चुनावी मुकाबला दिलचस्प हो गया है। मायावती की पार्टी ने अब तक उम्मीदवारों की दो सूची जारी कर 18 सीटों पर अपने प्रत्याशियों के नामों का एलान कर दिया है। बसपा की ओर से जारी की गई दोनों सूचियों में कई बड़े चेहरों के नाम होने के बाद अब ग्वालियर-चंबल की कई सीटों पर चुनावी मुकाबला त्रिकोणीय होता दिख रहा है।
दअसल ग्वालियर-चंबल अंचल में अपना खास प्रभाव रखने वाली मायावती की पार्टी इस अंचल में 16 सीटों पर हो रहे उपचुनाव को एक मौके के रूप में देख रही है। उत्तरप्रदेश से सटे इस अंचल के कई जिलों में बसपा का अच्छा खासा जनाधार और उसका एक मजबूत वोट बैंक भी है,जो कई सीटों पर उम्मीदवारों की किस्मत तय करने की भूूमिका निभाता है।
2018 के विधानसभा चुनाव में पार्टी ग्वालियर-चंबल में कई सीटों पर दूसरे नंबर पर रहीथी और अब उपचुनाव में ताल ठोंकने से उसने भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों के उम्मीदवारों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। बसपा ने अपनी दूसरी सूची में जिन 10 उम्मीदवारों के नामों का एलान किया है उसमें कई ऐसे चेहरे है जो लंबे समय से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे थे। हाल में ही कांग्रेस छोड़ बसपा में आए पूर्व मंत्री महेंद्र सिंह बौद्ध को पार्टी ने भांडेर से टिकट देकर मैदान में उतारा है।
महेंद्र सिंह बौद्ध को चुनावी चुनाव मैदान में उतारने से इस सीट पर अब त्रिकोणीय मुकाबला हो गया है। कांग्रेस ने इस सीट से फूल सिंह बरैया को चुनाव मैदान में उतारा है ऐसे में अब महेंद्र सिंह बौद्ध अपनी पुरानी पार्टी के उम्मीदवार फूलसिंह बरैया के लिए बड़ी चुनौती बनते हुए दिखाई दे रहे हैं। इसके साथ दूसरी सूची में घोषित रमेश डाबर और गोपाल सिंह भिलाला पहले भी चुनाव लड़ चुके है।
इसके साथ-साथ ग्वालियर-चंबल में आने वाली अंबाह,गोहद और देवरी विधानसभा सीटें ऐसी हैं जहां बसपा का काफी लंबा चौड़ा जनाधार है ऐसे में अब इन सीटों पर बसपा की ओर से उम्मीदवार उतारे जाने से मुकाबला त्रिकोणीय और दिलचस्प हो गया है।